फिल्म रिव्यू: अलोन
हॉरर फिल्मों में बॉलीवुड से कुछ बेहतर की उम्मीद बहुत समय से है। इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म अलोन भी इसी की एक कड़ी है। यह तमिल फिल्म ‘चारूलता’ का हिंदी रीमेक है।...
हॉरर फिल्मों में बॉलीवुड से कुछ बेहतर की उम्मीद बहुत समय से है। इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म अलोन भी इसी की एक कड़ी है। यह तमिल फिल्म ‘चारूलता’ का हिंदी रीमेक है। ‘अलोन’ की कहानी दो जुड़वां बहनों अंजना और संजना की है, जिनका शरीर पैदा होने के बाद भी एक-दूसरे से जुड़ा रहता है। दोनों एक साथ काफी खुश रहती हैं और बचपन से जवानी तक एक दूसरे के हर काम में पूरक की भूमिका निभाती हैं। अगर एक बहन का मन झूला झूलने का है और दूसरे का नहीं तो भी उसका दिल रखने के लिए वो उसका साथ देती है। किसी एक की तबीयत खराब होने पर उसके दवा लेने से इनकार करने पर दूसरी बहन उसकी दवा पीकर उससे अपने प्यार का इजहार करती है। ऐसे अनेक मौके हैं, जिनके जरिए दोनों बहनों की मजबूत बॉन्डिंग को फिल्म में दिखाया गया है। इन जुड़वां बहनों के आपसी प्यार के जुड़ाव में दरार कबीर (करन सिंह ग्रोवर) के आने के बाद से पड़ती है। कबीर संजना से प्यार करता है। और संजना कबीर से। यह बात अंजना को पसंद नहीं आती। दरअसल वह भी कबीर से प्यार करती है। अपने प्यार को पाने की खातिर अंजना किसी भी तरीके से संजना और कबीर को अलग करने की कोशिश करती है।
कहानी में फिर एक मोड़ तब आता है, जब एक दुर्घटना में अंजना की मौत हो जाती है। अंजना की मौत के लिए संजना खुद को जिम्मेदार मानती है। अब संजना को अंजना का भूत परेशान करने लगता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए कबीर अपने एक डॉक्टर दोस्त नमित (जाकिर हुसैन) की मदद लेता है। नमित संजना के इलाज के दौरान संजना के व्यवहार में अचानक हुए बदलाव को लेकर सशंकित हो उठता है। कबीर का पालतू कुत्ता संजना को देख कर अचानक जोर-जोर से भौंकने लगता है, जिसे नमित एक्स्ट्रा सेंसिटिव रिसेप्शन कहता है यानी कोई ऐसी बात, जो इंसानों की बजाय जानवरों को पहले पता लग जाती है। यहां से संजना पर शक गहराने लगता है और कई घटनाक्रमों के बाद रहस्य का परदाफाश होता है।
यूं तो यह कहानी पहले भी कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में दिखाई जा चुकी है, लेकिन फिर भी जिस तरीके से पूरी फिल्म में दोनों बहनों के बीच संशय बना रहता है, उसका प्रस्तुतीकरण वास्तव में बेहतरीन है। दर्शकों को कहानी के जरिए निर्देशक ने जरूर थोड़ा-सा मनोरंजन परोसा है, लेकिन इसी कहानी में कई ऐसे भी पेंच हैं, जो फिल्म के बाद खटकते हैं। दरअसल ‘अलोन’ से कुछ नएपन की उम्मीद थी। इसके पीछे वजह भी खास थी। वह थी भूषण पटेल जैसे डायरेक्टर द्वारा इस फिल्म को निर्देशित करना, जो पहले भी कई हॉरर फिल्में बना चुके हैं। भूषण ने कोशिश भी की है, पर अपनी कोशिश में वो कुछ जगह तो भटक गए और कुछ जगह बेहतर करने की चाह में कहानी में बड़ा झोल कर बैठे। कहानी में दर्शकों को जो बात सबसे ज्यादा परेशान करेगी, वह यह कि कबीर और उसका दोस्त नमित संजना के अंदर बसे अंजना के भूत को बाहर निकालने के लिए जाने-माने तांत्रिक का सहारा लेते हैं। इस तरह के पेंच कहानी को कमजोर बनाते हैं।
हॉरर के नाम पर जिस आत्मा या भूत का चित्रण फिल्म में किया गया है, वो हॉलीवुड फिल्म कॉन्जुरिंग की आत्मा का ही दूसरा रूप है। हॉरर फिल्म के बावजूद हॉल में आपको कई लोग ठहाके लगाते सुनाई पड़ेंगे। इस फिल्म से बतौर हीरो शुरुआत कर रहे करन सिंह ग्रोवर को एक्टिंग में हाथ दिखाने के लिए बहुत कुछ नहीं मिला। छोटे पर्दे पर उन्हें देख चुके लोगों को उनमें कुछ भी नया नजर नहीं आएगा, कुछ हॉट सीन्स को छोड़ कर। वहीं बिपाशा ने हॉरर फिल्मों में जो महारत हासिल कर रखी है, वे उसी को आगे बढ़ाती नजर आती हैं। फिल्म में कुल चार गाने हैं, जो यकीनन हॉल से बाहर आते ही जेहन से बाहर हो जाते हैं। तो अगर इस वीकएंड आप हॉरर से ज्यादा सस्पेंस फिल्म देखने की चाह रखते हैं तो इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं।
कलाकार: बिपाशा बसु, करन सिंह ग्रोवर, जाकिर हुसैन
निर्देशक: भूषण पटेल
निर्माता: कुमार मंगत, अभिषेक पाठक, प्रदीप अग्रवाल, प्रशांत शर्मा
संगीत: अंकित तिवारी, मिथुन