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फिल्म रिव्यू: शराफत गई तेल लेने

दिल्ली में ‘शराफत गयी तेल लेने’  आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला लोकप्रिय मुहावरा है। इसका इस्तेमाल अक्सर लोग उस समय करते हैं,  जब उन्हें अपनी शराफत की वजह से परेशानियों का...

फिल्म रिव्यू: शराफत गई तेल लेने
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 16 Jan 2015 08:04 PM
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दिल्ली में ‘शराफत गयी तेल लेने’  आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला लोकप्रिय मुहावरा है। इसका इस्तेमाल अक्सर लोग उस समय करते हैं,  जब उन्हें अपनी शराफत की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उससे उकता कर वे उल्टे रास्ते पर चलने का फैसला कर लेते हैं। या फिर उस व्यक्ति द्वारा किया जाता है,  जो उसमें यकीन नहीं करता। दिल्ली का एक सीधा-साधा नौजवान है पृथ्वी खुराना (जायेद खान),  जो मेहनत और शराफत से अपना काम करता है। उसका रुममेट है सैम (रणविजय सिंह),  जो लापरवाह और ‘कूल’ टाइप बंदा है। जायेद की प्रेमिका है टीना देसाई,  जो कानून में भरोसा करने वाली लड़की है। जायेद की आर्थिक स्थिति एक आम मध्यवर्गीय नौजवान जैसी है,  जिसके अकाउंट में हमेशा उतने ही पैसे होते हैं,  जिससे किसी तरह उसका काम चल जाता है। एक दिन अचानक उसके अकाउंट में 100 करोड़ रुपये आ जाते हैं। उसे समझ में ही नहीं आता कि आखिर ऐसा हुआ कैसे!

इसके बाद उसकी जिंदगी में ऐसे हिचकोले आते हैं कि वह हैरान-परेशान रह जाता है। उसे इस स्थिति से निकलने का कोई रास्ता ही नहीं सूझता। उसके बाद एक ट्विस्ट आता है और एक दिन उसे पता चलता है कि ये चक्कर है क्या! फिर वह अपनी शराफत को ताक पर रख देता है और खुद को निर्दोष साबित करने के मिशन पर लग जाता है। फिल्म की कहानी में खास नयापन नहीं है,  लेकिन उसे अच्छी तरह से पेश किया गया है,  जिससे दर्शकों की दिलचस्पी फिल्म में बनी रहती है। निर्देशक गुरमीत सिंह ने फिल्म पर पकड़ बनाए रखी है। वे अपने निर्देशन से प्रभावित करते हैं। निर्देशक को स्क्रिप्ट का भी साथ मिला है। संवाद भी ठीक है। जायेद खान का अभिनय ठीक है। टीना देसाई ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। रणविजय वही अपने वीजे वाले स्टाइल में हैं। अनुपम खेर हमेशा की तरह प्रभावी हैं। कुल मिला कर फिल्म एक बार देखने लायक है।

कलाकार:  अनुपम खेर,  जायेद खान,  टीना देसाई,  रणविजय सिंह,  टालिया बेन्स्टन
निर्देशक:  गुरमीत सिंह
निर्माता:  देविंदर जैन और अखिलेश जैन
संगीत:  ध्रुव ढल्ला, संदीप चटर्जी, मीत बदर्स और फरीदकोट बैंड
कहानी:  राजेश चावला

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