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MOVIE REVIEW: फिल्म देखने से पहले पढ़े जज्बा का रिव्यू

इस फिल्म को देखने की उत्सुकता कहिये या कहिये कि सबसे बड़ी वजह है ऐश्वर्या राय बच्चन, जो फिल्मों में पांच साल बाद लौटी हैं। ये फिल्म सन 2007 में आयी साउथ कोरियन फिल्म 'सेवन डेज' का रीमेक है, जिसे...

MOVIE REVIEW: फिल्म देखने से पहले पढ़े जज्बा का रिव्यू
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 09 Oct 2015 08:31 PM
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इस फिल्म को देखने की उत्सुकता कहिये या कहिये कि सबसे बड़ी वजह है ऐश्वर्या राय बच्चन, जो फिल्मों में पांच साल बाद लौटी हैं। ये फिल्म सन 2007 में आयी साउथ कोरियन फिल्म 'सेवन डेज' का रीमेक है, जिसे निर्देशक ने अपने अंदाज में बनाया है। फिल्म तेज है, चुस्त है और केवल दो रंगों में रंगी दिखती है। ग्रीन और ब्लैक। फिल्म एक केस की तहकीकात से कहीं ज्यादा बॉन्ड शैली से प्रेरित है। एक लेडी बॉन्ड, जो एक तरफ कोर्ट में अपराधियों को सजा से बचा लेती है तो दूसरी तरफ मां होने का फर्ज भी बखूबी अदा करती है।

अनुराधा वर्मा उर्फ अनु (ऐश्वर्या राय) एक हाई-प्रोफाइल वकील है, जिसकी फीस बेकसूर लोग अफोर्ड नहीं कर पाते। पहले ही सीन में वह एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश (अभिमन्यु सिंह) को सजा से बचा लेती है। बदमाश जाते-जाते ये जता देता है कि एक दिन वो उसके काम जरूर आएगा। सच मानिये, ये अंदाजा लगाने के लिए काफी है कि वह बदमाश एक दिन वकील के किस काम आएगा। अनु का एक दोस्त है योहान (इरफान खान), जो क्राइम ब्रांच में इंस्पेक्टर है। योहान खुद के ही बुने एक जाल में फंस गया है, जिससे छुटकारा पाने के लिए उसे अपने ही महकमे के लोगों को डेढ़ करोड़ की घूस देनी है। वो चाहता है कि अनु उसका केस लड़े, लेकिन अनु के पास टाइम नहीं है।

एक दिन अनु की बेटी सनाया (सारा अर्जुन) किडनैप हो जाती है। अनु के पास एक फोन आता है, जो उसे नियाज शेख (चंदन राय सान्याल) को जेल से छुड़ाने को कहता है। बदले में वो सनाया को आजाद करने की शर्त रखता है। अपहरणकर्ता उस पर हर वक्त नजर रख रहा है, इसलिए अनु ये बात योहान को नहीं बताती। अनु को पता चलता है कि नियाज ने सिया (प्रिया बैनर्जी) नामक युवती का रेप के बाद कत्ल किया था, जिसे योहान ने मुजरिम साबित कर जेल भेजा था।

एक दिन योहान को पता चल जाता है कि सनाया किडनैप हो चुकी है। वो अनु की मदद करता है और उसे सिया की मां गरिमा चौधरी (शबाना आजमी) से मिलवाता है, जो पेशे से प्रोफेसर है। गरिमा को नहीं पता कि अनु वकील है और उसकी बेटी के कातिल को छुड़ाने वाली है। जल्द ही इस उलझे केस में सैम (सिद्धांत कपूर) की एंट्री होती है, जो नशेड़ी है और सिया का पूर्व प्रेमी भी। अनु कोर्ट में साबित कर देती है कि कत्ल वाली रात उस कमरे में सिया और नियाज के अलावा सैम भी था। नियाज को बेल मिल जाती है और वह बाहर आ जाता है, लेकिन जो उसे जेल से आजाद करवाता है, वो ही उसे मार देता है। आखिर क्यों... कहानी की वजह से यह दो घंटे की फिल्म बांधे रखती है।

क्लाईमैक्स से 5 मिनट पहले तक ये कयास लगाना मुश्किल है कि इस 'आखिर क्यों' के पीछे कौन है। ये करामात उस कोरियन फिल्म की कही जा सकती है, जिसे निर्देशक ने उत्सुकता के दायरे से बाहर नहीं जाने दिया है। फिल्म कसी हुई है। जो कुछ गीत-संगीत है, वो पार्श्व में है और फिलर का काम करता है। लेकिन जज्बा के किरदार पूरी तरह से फिल्मी लगते हैं। बेशक यह एक मसाला फिल्म है और इस बात की निर्देशक ने पूरी आजादी भी ली है। योहान का किरदार स्टाइल, एक्शन और डायलॉग्स से लबरेज है। वो ड्यूटी पर है, नहीं है, वॉरंट निकलने के बावजूद महकमे से भागा हुआ है, फिर भी अपनी बचपन की दोस्त की मदद वह पूरे जी जान से कर रहा है। इरफान का एक डायलॉग... तो क्या मैं सिंघम बन कर घूमूं...बेशक वो फिल्म में सिंघम और चुलबुल पांडे की शैली में दिखते हैं। उन्हें किरदार में ढलना आता है।

लंबे समय बाद किसी फिल्म में दिखीं शबाना आजमी में आज भी करारापन कायम है। उनका किरदार भावुक करता और चौंकाता है। संजय गुप्ता ने ऐश्वर्या को कमबैक छवि देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, इसलिए उन्होंने ऐश को योहान से भी दो हाथ आगे दिखाया है। ऐश का अभिनय अच्छा है। कुछ सीन्स में लाउड है और फिल्मी फॉर्मूलों से पटा है। फिर भी थ्रिलर फिल्म में जैसी बॉडी लैंग्वेज होनी चाहिये, उसकी कमी है। इस कमी को योहान का किरदार पूरा करता है, जिसके हर डायलॉग पर सीटियां सुनाई देती हैं। फिल्म जताती है कि इसे किसी के 'कमबैक' के लिए बनाया गया है, इसलिए समझौते भी किये गये हैं। ये एक निर्देशक और विश्व सुंदरी का जज्बा नहीं तो और क्या है?

 
रेटिंग : 3 स्टार
कलाकार: ऐश्वर्या राय बच्चन, इरफान खान, चंदन राय सान्याल, शबाना आजमी, जैकी श्रॉफ, सारा अर्जुन, प्रिया बैनर्जी, अतुल कुलकर्णी, अभिमन्यु सिंह, सिद्धांत कपूर
निर्देशन, लेखक : संजय गुप्ता
निर्माता : आकाश चावला, संजय गुप्ता, नितिन केनी, सचिन जोशी
संगीत : सचिन-जिगर, अमजद-नदीम, आरको
गीत : बादशाह, अमजद-नदीम, आरको, संजय गुप्ता
संवाद : संजय गुप्ता, कमलेश पांडे
पटकथा : संजय गुप्ता रोबिन भट्ट

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