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'सुपरहीरो की तरह उड़ने की ख्वाहिश नहीं'

सैफ अली खान 'फैंटम' में सीक्रेट एजेंट बने हैं, जो देश के दुश्मनों को उनके घर में घुस कर मारता है। फिल्म का निर्देशन कबीर खान ने किया है और इसमें सैफ के साथ कैटरीना की जोड़ी है। सैफ से हुई बातचीत के...

'सुपरहीरो की तरह उड़ने की ख्वाहिश नहीं'
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Aug 2015 08:49 PM
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सैफ अली खान 'फैंटम' में सीक्रेट एजेंट बने हैं, जो देश के दुश्मनों को उनके घर में घुस कर मारता है। फिल्म का निर्देशन कबीर खान ने किया है और इसमें सैफ के साथ कैटरीना की जोड़ी है। सैफ से हुई बातचीत के अंश

- 'फैंटम' में आप सीक्रेट एजेंट के किरदार में हैं। क्या आतंकवाद पर आप भारत सरकार से इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद करते हैं?
मैं समझता हूं कि देश के दुश्मनों को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है। आतंकवादियों से निबटने के लिए नई रणनीति की जरूरत है।
- फिल्म का आधार एक सच्ची घटना है, लेकिन दुश्मनों के खात्मे का तरीका तो एकदम फिल्मी दिखाई देता है?
यह फिल्म 'मुंबई एवेंजर्स' नामक किताब पर आधारित है, जिसमें 26/11 की आतंकी घटना को केंद्र में रखा गया है। फिल्म आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की वकालत करती है। यह देशभक्ति की भावना से भरी फिल्म है और इसमें नई पीढ़ी को प्रेरित करने की क्षमता है।

- कबीर खान की 'बजरंगी भाईजान' का पाकिस्तान में स्वागत किया गया, लेकिन आपकी फिल्म को तो वहां बैन कर दिया गया है?
हमारी फिल्म आतंकवादियों को एक्सपोज करती है और उन्हें दंडित करवाने की मंशा रखती है, इसलिए ऐसा हुआ है।

- कैटरीना के साथ आपकी जोड़ी 'रेस' में बनी थी। काफी अरसे बाद आप दोनों ने साथ काम किया है?
यह इत्तेफाक की बात है कि हम दोनों ज्यादा फिल्में साथ नहीं कर पाए, लेकिन हमारी ट्यूनिंग अच्छी है। मैं कम फिल्में करता हूं, इसलिए बार-बार किसी हीरोइन के साथ काम कर पाना मेरे लिए संभव नहीं हो पाता।

- आपका करियर ग्राफ कुछ ठीक नहीं चल रहा। आपकी पिछली फिल्मों को दर्शकों ने नकार दिया था?
किसी भी एक्टर के करियर में अप्स एंड डाउन्स तो लगे रहते हैं, लेकिन मैंने अपनी ओर से कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। 'बुलेट राजा', 'हमशकल्स' और 'हैप्पी एंडिंग' के लिए भी मैंने उतनी ही मेहनत की, जितनी अपनी हिट फिल्मों के लिए की थी। 

- आप खुद के प्रोडक्शन की फिल्म में भी तो काम करने वाले थे?
मैं अपने प्रोडक्शन के कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा हूं और 'परिणीता' और 'ओमकारा' जैसी फिल्में बनाना चाहता हूं। मुझे अच्छी स्क्रप्टि का इंतजार है।

- आप किन किरदारों में खुद को सहज पाते हैं?
मैं ऐसी भूमिकाएं नहीं कर पाता, जिनमें किसी आदमी को महामानव जैसा दिखाया जाता है। मैं न तो पूरी तरह नेगेटिव किरदार चाहता हूं और न ही आदर्शवादी दिखने की इच्छा रखता हूं।

- क्या आपके बच्चे फिल्मों में आना चाहते हैं?
अभी तो वे पढ़ाई कर रहे हैं। वे मुझसे हर बात शेयर करते हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद अगर वे बॉलीवुड में एंट्री करना चाहेंगे तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा।

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