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इतिहास विषय में करियर के हैं कई विकल्प

मैं डीयू में बी ए का छात्र हूं। मेरी इतिहास में रुचि है। कृपया इससे जुड़े अवसरों के बारे में बताएं।      राघव सिंह, देहरादून इतिहास विषय के अंतर्गत हर काल की सामाजिक...

इतिहास विषय में करियर के हैं कई विकल्प
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 16 Sep 2014 12:16 PM
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मैं डीयू में बी ए का छात्र हूं। मेरी इतिहास में रुचि है। कृपया इससे जुड़े अवसरों के बारे में बताएं।     
राघव सिंह, देहरादून
इतिहास विषय के अंतर्गत हर काल की सामाजिक परिस्थितियों का अध्ययन तो किया ही जाता है, साथ में समकालीन सामाजिक परिस्थितियों के अध्ययन के जरिए अतीत के बारे में एक समृद्ध समझ बनाई जाती है।

यह आपको भिन्न-भिन्न काल के राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचे के बारे में जानकारी देता है। इसके अंतर्गत हिस्टॉरियोग्राफी, हिस्टॉरिकल रिसर्च और अनेक कालों के बारे में विधिवत अध्ययन किया जाता है। मुख्य तौर पर इतिहास में तीन शाखाओं के तहत स्पेशलाइजेशन किया जाता है-आर्कियोलॉजी, म्युजियोलॉजी और आर्काइवल स्टडीज। पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर आप इसमें स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। एक आर्कियोलॉजिस्ट रिसर्च के साथ-साथ फील्ड का काम भी करता है। खुदाई के काम पर इतिहास की इस शाखा के तहत नजर रखी जाती है। आर्कियोलॉजिस्ट इतिहास की तमाम वस्तुओं जैसे सिक्के, हथियार, मूर्ति, लेखनशैली आदि के विशेषज्ञ होते हैं। इनके लिए भारत सरकार के भारतीय पुरातत्व विभाग में नौकरी का विकल्प होता है। यह विभाग करीब 3600 ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण करता है। इसके साथ ही विभिन्न राज्य सरकारों के विभागों, हैरिटेज संस्थाओं, म्यूजियम और रिसर्च संस्थानों में इसके लिए प्रबल संभावनाएं होती हैं।

म्युजियोलॉजिस्ट का काम म्यूजियम में काम करना, रिसर्च, एडमिनिस्ट्रेशन और पब्लिक रिलेशंस का काम संभालना होता है। म्यूजियम निरीक्षक होने के तौर पर आप नेचुरल हिस्ट्री, मेटल्स, टेराकोटा, टेक्सटाइल्स या पेंटिंग में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। साथ ही सभी कार्य का रिकॉर्ड उसकी उम्र, काल आदि के आधार पर रखना भी आपका काम होता है।

आर्किविस्ट मुख्य तौर पर संरक्षण का काम करते हैं। तमाम डॉक्यूमेंट्स का सही तरीके से संरक्षण करना इनका काम होता है। इसके लिए ये तमाम विधियां अपनाते हैं। ये म्यूजियम, लाइब्रेरी, नेशनल आर्काइव्स समेत राज्य सरकारों के आर्काइव्स में काम करते हैं। इतिहास में डिग्री लेने के बाद आप तमाम करियर विकल्प जैसे सिविल सर्विस, पत्रकारिता, प्रकाशन, म्यूजियम, लाइब्रेरी, टीचिंग आदि अपना सकते हैं। इतिहास सिविल सर्विस के लिए एक बढिया विषय माना जाता है। शिक्षण के तौर पर भी इतिहास के स्टूडेंट के लिए प्रबल संभावनाएं होती हैं। इतिहासकार के तौर पर आप इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंसेज रिसर्च आदि से भी जुड़ सकते हैं।

कृपया बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में करियर के बारे में मेरा मार्गदर्शन कीजिए।
राजकुमार, गाजियाबाद
बायोमेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी एक ऐसा क्षेत्र है, जो लाइफ साइंस और इंजीनियरिंग के बीच एक पुल का काम करता है। इसके कोर्स में बायोलॉजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स, कैल्कुलस, बायोटेक, मेटीरियल साइंस, बायोमैकेनिक्स और लाइफ साइंस के बारे में बताया जाता है। एक बायोमेडिकल इंजीनियर के तौर पर आपको बायोलॉजिकल और हेल्थ सिस्टम के विकास में गणित और वैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग करना होता है। उदाहरण के तौर पर आजकल घुटने के प्रत्यार्पण के बहुत मामले आ रहे हैं। ऐसे में बायोमेडिकल इंजीनियर्स को बढिया किस्म के आर्टिफिशियल जॉइंट्स का निर्माण करना होता है। वैसे रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में बायोमेडिकल इंजीनियर्स या बायोइंजीनियर्स की बहुत जरूरत रहती है। बायोमेडिकल इंजीनियर्स के लिए रिसर्च के तौर पर बायोटेक्नोलॉजी विभाग, राजीव गांधी सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एजुकेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट(त्रिवेंद्रम) में अवसर हैं। साथ ही मेडिकल सामग्री बनाने वाली कंपनियों, कृषि संस्थानों में भी मौका होता है। फार्मास्यूटिकल कंपनियों के रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग में भी इस फील्ड के लोगों के लिए ढेरों संभावनाएं होती हैं। साथ ही अस्पताल, कॉलेज या किसी कंपनी के मार्केटिंग विभाग में तकनीकी सलाहकार के तौर पर भी काम करने के मौके उपलब्ध होते हैं।

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