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आओ याद करें वह कुर्बानी

हर साल यह दिन हमारी जिंदगी में आता है, कई एहसासों को समेटे हुए। आज से 43 साल पहले 16 दिसंबर को ही इस माटी के जांबाज बेटे-बेटियों और आजादी के दिलेर दीवानों ने बांग्लादेश के परचम को एक मानी बख्शा था और...

आओ याद करें वह कुर्बानी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 16 Dec 2014 08:43 PM
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हर साल यह दिन हमारी जिंदगी में आता है, कई एहसासों को समेटे हुए। आज से 43 साल पहले 16 दिसंबर को ही इस माटी के जांबाज बेटे-बेटियों और आजादी के दिलेर दीवानों ने बांग्लादेश के परचम को एक मानी बख्शा था और आसमान से दमकते सूरज को छीन अपने मुल्क के परचम पर टांक दिया था। 16 दिसंबर इस हकीकत की शहादत देता है कि अवाम की जायज मांगों को ताकत के जोर पर दबाया नहीं जा सकता। लेकिन यह फतह हमें काफी बड़ी कीमत चुकाकर मिली। नौ महीने तक चले उस संघर्ष में तकरीबन तीस लाख लोग बर्बर, लोभी हमलावरों द्वारा मार दिए गए या फिर गायब कर दिए गए। उन बर्बर भेडिम्यों को पाकिस्तान के कुटिल फौजी नेताओं की हिमायत हासिल थी। इसलिए यह दिन इस बात पर गौर करने का एक मौका भी है कि उन आदर्शो पर हम कितने खरे उतरे, जिन्होंने हमें ताकतवर फौजी तंत्र के खिलाफ खड़े होने को प्रेरित किया था।

हमें इस बात का फा है कि हमने खेती के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है और अब हम खाद्यान्न के मामले में एक खुदमुख्तार मुल्क हैं। सामाजिक तरक्की के कई मामलों में भी हमने उपमहाद्वीप के ज्यादातर मुल्कों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन जम्हूरियत और जम्हूरी इदारों को मजबूती देने के लिए हमें अब भी काफी कुछ करने की दरकार है। हम आज भी वह समाज नहीं बन पाए हैं, जिसका ख्वाब हमारे पुरखों ने देखा था। एक ऐसा समाज,  जिसमें कानून का राज हो और जो सामाजिक न्याय के उसूलों का पाबंद हो। आज के दिन हम अपने शहीदों को याद करते हैं और उन्हें अकीदत भी पेश करते हैं। हम पूरी श्रद्धा के साथ राष्ट्रपिता बंगबंधु और उनके उन चार सिपाहियों को याद करते हैं, जिन्होंने उनकी गैर-मौजूदगी में बांग्लादेश को फतह दिलाई थी। इस मौके पर हम उन विदेशी दोस्तों का शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने हमारी भरपूर मदद की। हम हिन्दुस्तान के शुक्रगुजार हैं, जिसकी मदद के बगैर हमारी जीत मजीद मुश्किल और महंगी हो जाती। हम आजादी के उन दीवानों को पूरी इज्जत और वफादारी के साथ याद करते हैं, जिनके खून ने हमारी माटी को पाकीजा बना दिया।
द डेली स्टार,  बांग्लादेश

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