फोटो गैलरी

Hindi Newsब्राजील में जुटे दिग्गज

ब्राजील में जुटे दिग्गज

फुटबॉल विश्व कप के कामयाब आयोजन के बाद ब्राजील ने ब्रिक्स शिखर बैठक की सफल मेजबानी कर अपने खाते में एक और कामयाबी दर्ज की है। यह संगठन ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती ताकतों से...

ब्राजील में जुटे दिग्गज
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 16 Jul 2014 08:44 PM
ऐप पर पढ़ें

फुटबॉल विश्व कप के कामयाब आयोजन के बाद ब्राजील ने ब्रिक्स शिखर बैठक की सफल मेजबानी कर अपने खाते में एक और कामयाबी दर्ज की है। यह संगठन ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती ताकतों से बना है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस संगठन की अहमियत लगातार बढ़ती जा रही है और ताजा शिखर बैठक इस मायने में अहम है कि उन मसलों को तरजीह मिली, जिनकी बुनियाद पर यह संगठन खड़ा हुआ था। हिन्दुस्तान के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शिखर बैठक में शरीक हुए और यह उनका दूसरा विदेश दौरा है। बतौर प्रधानमंत्री वह इससे पहले भूटान गए थे, जो हिन्दुस्तान का पड़ोसी छोटा मुल्क है। खैर, ब्रिक्स बैठक के एजेंडे में सबसे ऊपर था दो वित्तीय संस्थानों के गठन पर अंतिम फैसला। ये दो वित्तीय संस्थान हैं- न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) व आपात निधि कोष (सीआरए)। ये दो संस्थान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दे सकते हैं। एनडीबी विश्व बैंक की तरह काम करेगा। यह 100 अरब डॉलर के फंड से बुनियादी ढांचों और सतत विकास परियोजनाओं को आर्थिक मदद करेगा। इस नए बैंक का मुख्यालय शंघाई में होगा और इसे 50 अरब डॉलर की शुरुआती पूंजी से खोला जाएगा, जिसमें हर सदस्य देश का समान हिस्सा होगा। वहीं, सीआरए का काम सदस्य देशों को आर्थिक मंदी से महफूज रखना होगा। साथ ही, यह संगठन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसे पश्चिमी संस्थानों पर उनकी निर्भरता घटाएगा। ब्रिक्स की संभावनाओं के बारे में अब तक काफी कुछ लिखा-सुना जा चुका है। उम्मीद लगाई जा रही है कि यह पश्चिमी आधिपत्य वाले वैश्विक संगठनों की बराबरी करेगा, क्योंकि ब्रिक्स के देश इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले हैं कि वे बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं। ये सदस्य देश मिलकर वैश्विक जीडीपी का 18 प्रतिशत से ज्यादा का हिस्सेदार हैं। मौजूदा वैश्विक वित्तीय संस्थान, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक अपनी गलत और सख्त नीतियों के कारण बदनाम हैं। आर्थिक मंदी से जूझते देश मानते हैं कि इनकी मदद लेने से उनकी हालत और बिगड़ी है। ऐसे में, ब्रिक्स के ताजा कदम राहत भरे कहे जा सकते हैं।

द पेनिनसुला, कतर

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें