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फिर फिदायीन हमला

शिकारपुर में एक इमामबारगाह पर हमले के ठीक दो हफ्ते बाद एक और फिदायीन हमला गए शुक्रवार को शिया मस्जिद में हुआ। इस बार पेशावर में 20 लोग मरे और करीब 50 जख्मी हुए। इस वारदात का जिक्र करना बेहद आसान है,...

फिर फिदायीन हमला
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 16 Feb 2015 12:20 AM
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शिकारपुर में एक इमामबारगाह पर हमले के ठीक दो हफ्ते बाद एक और फिदायीन हमला गए शुक्रवार को शिया मस्जिद में हुआ। इस बार पेशावर में 20 लोग मरे और करीब 50 जख्मी हुए। इस वारदात का जिक्र करना बेहद आसान है, लेकिन इनके पीछे आतंकी करतूतों से अपनों की बेवजह जान जाने की कई त्रासदियां छिपी हैं। तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी कबूल ली है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) व उसके मददगार पूरे मुल्क के लिए सिरदर्द हैं, मगर शिया लोगों पर हो रहा हर हमला याद दिलाता है कि टीटीपी के गुर्गे इस समुदाय से नफरत पाले बैठे हैं। 16 दिसंबर को पेशावर आर्मी स्कूल पर हमले के बाद शहर में आला दर्जे की हिफाजती व्यवस्था की गई है। वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ ने फौज के आका राहील शरीफ को बताया कि इस हमले के बाद से अब तक 10,000 से ज्यादा दहशतगर्द धरे गए हैं, मगर हम यह यकीन के साथ नहीं बता सकते कि इनमें से कितनी गिरफ्तारियां मायने रखती हैं और कितनी बस ‘पीआर एक्सरसाइज’ हैं। खैर, इस हमले के कुछ ही घंटे बाद नवाज शरीफ ने नेशनल ऐक्शन प्लान के लागू करने के तौर-तरीकों का जायजा लिया और यह बताया गया है कि मदरसे में विदेशी छात्रों का दाखिला बंद हो सकता है और ज्यादा से ज्यादा मामले फौजी अदालतों के हवाले किए जाएंगे। हैयताबाद त्रासदी के बाद ऐसी छोटी-छोटी कवायदें गैर-असरकारी मालूम पड़ती हैं। खैबर पख्तूनख्वा में सत्तारूढ़ पार्टी पीटीआई के एक वजीर मुस्ताक गनी ने मांग की है कि मुल्क के दूसरे हिस्सों से फ्रंटियर टुकड़ियों को बुलाकर उनकी तैनाती सूबे में की जाए। यह हकीकत है कि खैबर पख्तनूख्वा और कबाइली इलाकों में सरहद की हिफाजत के लिए इन टुकड़ियों का गठन किया गया था और वीआईपी की सुरक्षा में उनकी तैनाती मकसद से भटकाव ही है। टीटीपी और दूसरी दहशतगर्द जमातों ने मुल्क के बाकी हिस्सों में भी अपना जाल फैला रखा है। यही वजह है कि ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब दहशतर्दी का पूरा जवाब नहीं है। हम दूसरी कोशिशें भी कर चुके हैं, हाल ही में अफगानिस्तान से भी इस मसले पर गुफ्तगू हुई है।
द न्यूज, पाकिस्तान

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