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इंडोनेशिया में विडोडो

इंडोनेशिया में वोटरों ने जकार्ता के गवर्नर जोको विडोडो को अपना नया राष्ट्रपति चुना है। जोको ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जो न तो पूर्व फौजी अधिकारी हैं और न ही किसी राजनीतिक वंशावली से जुड़े हैं। सुहार्तो...

इंडोनेशिया में विडोडो
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 24 Jul 2014 08:38 PM
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इंडोनेशिया में वोटरों ने जकार्ता के गवर्नर जोको विडोडो को अपना नया राष्ट्रपति चुना है। जोको ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जो न तो पूर्व फौजी अधिकारी हैं और न ही किसी राजनीतिक वंशावली से जुड़े हैं। सुहार्तो की तानाशाही व्यवस्था को अपदस्थ किए हुए 16 साल बीत चुके हैं। ऐसे में, हम यह पुरजोर उम्मीद लगाए हैं कि जोको देश को लोकतंत्र की दिशा में और आगे ले जाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इस तेज आर्थिक विकास दर वाले देश में सभी को अवसर मिलेगा। निवर्तमान राष्ट्रपति सुसीलो बैमबैंग युधोयोनो ने अपने दस साल के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था को बहाल रखा। आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने काफी प्रभावी कदम उठाए। वह उस ऐतिहासिक शांति संधि को पाने में सफल रहे, जिससे 30 साल से जारी खून-खराबे का अंत हुआ। युधोयोनो ने भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए भी गंभीर प्रयास किए। हालांकि, अर्थव्यवस्था स्थिरता और तरक्की दर को बढ़ाने में सफल रही, लेकिन राष्ट्रपति युधोयोनो अमीर व गरीब के बीच चौड़ी होती खाई को पाटने में नाकाम रहे। बहरहाल, जोको का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ है। तब भी वह राजनीति में प्रभावशाली शख्सियत के तौर पर उभरे। सबसे पहले वह सुराकार्ता शहर के मेयर बने। इसके बाद वह जाकार्ता के गवर्नर चुने गए।

राजधानी के गवर्नर का दायित्व संभालने के दौरान उन्होंने शोषित व गरीब तबके का खयाल रखा। इनके लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में नीतियां बनाईं। प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। सुहार्तो के राज में इंडोनेशिया भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का घर बन गया। इंडोनेशियाई समाज का हर क्षेत्र इन बुराइयों से त्रस्त रहा। जोको विडोडो के मुख्य प्रतिद्वंद्वी प्राबोवो सुबीएंतो, जिन्होंने बतौर आर्मी जनरल सुहार्तो की तानाशाही व्यवस्था का समर्थन किया था, प्रचार अभियान में लोकप्रियता पाते दिखे। वह राष्ट्रपति चुनाव को कांटे का मुकाबला बना गए। उनकी मजबूत दावेदारी संकेत देती है कि कई इंडोनेशियाई देश में मजबूत नेतृत्व चाहते हैं। लेकिन जनादेश ने साफ कर दिया कि जनता लोकतांत्रिक नेतृत्व के जरिये ही विकास चाहती है।  
द असाही शिम्बून, जापान

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