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नए दौर के कप्तान

अजिंक्य रहाणे के लिए नियति ने बहुत तेजी से एक चक्र पूरा किया है। कुछ दिनों पहले ही बांग्लादेश के खिलाफ दो एकदिवसीय मैचों में कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने उन्हें टीम में जगह नहीं दी थी और अब वह...

नए दौर के कप्तान
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 30 Jun 2015 10:41 PM
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अजिंक्य रहाणे के लिए नियति ने बहुत तेजी से एक चक्र पूरा किया है। कुछ दिनों पहले ही बांग्लादेश के खिलाफ दो एकदिवसीय मैचों में कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने उन्हें टीम में जगह नहीं दी थी और अब वह जिंबाब्वे के दौरे पर भारतीय टीम के कप्तान हैं। इस दौरे में सारे मैच सीमित ओवरों के ही होंगे। बांग्लादेश दौरे में धौनी का रहाणे को टीम में न लेने के पीछे तर्क यह था कि भारतीय उपमहाद्वीप की धीमी पिचों पर रहाणे तेजी से छोर बदलने वाली बल्लेबाजी नहीं कर पाते। इसका अर्थ यह था कि रहाणे खेल के लंबे स्वरूप और इस उपमहाद्वीप के बाहर के लिए ही बेहतर बल्लेबाज हैं, उपमहाद्वीप में सीमित ओवरों के क्रिकेट में उनसे बेहतर दूसरे लोग हैं। यह बात और है कि पिछले दिनों आईपीएल के दौरान सबसे ज्यादा सफल बल्लेबाजों में एक रहाणे भी थे। अब यह साफ है कि चयनकर्ताओं ने धौनी के तर्क को तरजीह नहीं दी और रहाणे को सीमित ओवरों में खेलने के ही नहीं, नेतृत्व के लायक भी माना है। इससे शायद यह पता चलता है कि एन श्रीनिवासन के बीसीसीआई अध्यक्ष न रहने से धौनी का रसूख घटा है।

जिंबाब्वे के दौरे पर आखिरकार देश के ज्यादातर स्टार खिलाड़ियों को नहीं भेजा जा रहा है। इस साल ऑस्ट्रेलिया के लंबे दौरे, विश्व कप और आईपीएल में लगातार खेलने से इन खिलाड़ियों को आराम ही नहीं मिला है। आईपीएल के तुरंत बाद बांग्लादेश का एक टेस्ट और तीन एकदिवसीय मैचों का दौरा हो गया। यह दौरा बांग्लादेश को उपकृत करने के लिए ही किया गया था, वरना क्रिकेट के नजरिये से यह बेमतलब का दौरा था। वह भी ऐसे मौसम में, जब बारिश की वजह से पूरा टेस्ट मैच ही धुल गया। भारत के साथ क्रिकेट खेलने से किसी भी देश के बोर्ड के पास कुछ ज्यादा पैसा आ जाता है। बांग्लादेश का आग्रह था कि सारे भारतीय स्टार खिलाड़ी दौरे पर आएं, क्योंकि तभी अच्छी कमाई की गुंजाइश बन सकती है। अलबत्ता स्टार खिलाड़ियों को आराम का मौका देते हुए जिंबाब्वे के दौरे पर जो टीम भेजी जा रही है, उसमें नए नाम तो कम हैं, लेकिन ऐसे खिलाड़ी ज्यादा हैं, जो भारतीय टीम में खेल चुके हैं, फिर भी मनीष पांडे और केदार जाधव जैसे लोगों के लिए यह अच्छा मौका हो सकता है। अंबाती रायडू और भुवनेश्वर कुमार अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं और मुरली विजय भी टेस्ट के अलावा खेल के सीमित ओवर वाले स्वरूप में अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं।

नए और संभावनामय खिलाड़ी भारत की ‘ए’ टीम में हैं, जो ऑस्ट्रेलिया ‘ए’ से मुकाबला करेगी और जिसके कप्तान चेतेश्वर पुजारा हैं। इस टीम में करुण नायर, श्रेयस अय्यर व श्रेयस गोपाल जैसे युवा खिलाड़ी हैं, जिनकी प्रतिभा के चर्चे हैं, हालांकि अमित मिश्रा को इस टीम की बजाय जिंबाब्वे वाली टीम में होना चाहिए था। अच्छी बात यह है कि जिन दो खिलाड़ियों को कप्तानी दी गई है, वे नए जमाने में पुराने अंदाज के खिलाड़ी हैं। रहाणे और पुजारा, दोनों ही ग्लैमरस खिलाड़ी नहीं हैं, लेकिन अपेक्षाकृत सादे व शालीन खिलाड़ी हैं। ये खिलाड़ी द्रविड़ और लक्ष्मण वाली टीम में तो आसानी से खप सकते थे, लेकिन नए दौर की ग्लैमरस संस्कृति में शायद वे मिसफिट हैं, ऐसा लगने लगा था। जैसे रहाणे को एकदिवसीय मैच में बाहर रखा गया था, वैसे ही पुजारा को बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट मैच में बाहर रखने पर भी काफी विवाद हुआ था। इन दोनों को कप्तान बनाकर चयनकर्ताओं ने शायद यह संकेत दिया है कि उनकी नजर में शालीन और गंभीर खिलाड़ी नेतृत्व के लिहाज से ज्यादा भरोसेमंद हैं। ये वे खिलाड़ी हैं, जो आने वाले दिनों में भारतीय क्रिकेट के आधार स्तंभ हो सकते हैं।

 

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