मजा तो कर्णधारों के क्रिकेट में है
क्रिकेट में कुछ गेंदबाज होते हैं, जो अचूक ‘स्टंप टू स्टंप’ गेंदबाजी करते हैं। यह कौशल बडे़ अभ्यास से आता है, पर इससे भी बड़ा कौशल यह है कि गेंद स्टंप के बिल्कुल करीब से गुजर जाए, बिना...
क्रिकेट में कुछ गेंदबाज होते हैं, जो अचूक ‘स्टंप टू स्टंप’ गेंदबाजी करते हैं। यह कौशल बडे़ अभ्यास से आता है, पर इससे भी बड़ा कौशल यह है कि गेंद स्टंप के बिल्कुल करीब से गुजर जाए, बिना स्टंप को छुए। अगर गेंद स्टंप की लाइन में हो, तब भी आखिरी मौके पर जरा-सी स्विंग होकर स्टंप के बाहर निकल जाए। यह कौशल खिलाड़ियों में नहीं, बीसीसीआई के प्रशासकों में है। जैसे सर्कस में आंख पर पट्टी बांधकर चाकू का निशाना लगाने का करतब दिखाने वाला बाजीगर होता है, जिसके चाकू सामने खड़ी लड़की के दाएं-बाएं लगते रहते हैं और एक भी वार लड़की को नहीं लगता, बीसीसीआई के कर्णधार भ्रष्टाचार के साथ ऐसा ही करतब दिखाते हैं।
यह कौशल बड़ी मेहनत से आता है और इसे हासिल करने की प्रक्रिया में शरीर में दो स्थायी परिवर्तन हो जाते हैं। एक, चमड़ी बहुत मोटी हो जाती है और दूसरे, रीढ़ की हड्डी गायब हो जाती है। अगर आप ध्यान से बीसीसीआई के कर्णधारों की तस्वीर देखें, तो पाएंगे कि उनके शरीर में कई इंच मोटी तो चमड़ी ही है, और कुछ भी नहीं। कुछ दिनों पहले एक ऐसे ही कर्णधार दिल में दर्द की शिकायत कर रहे थे, ज्यादा जांच करने पर पाया गया कि वह ऐसा सिर्फ यह जताने के लिए झूठ बोल रहे थे कि उनके पास दिल है। इसी तरह, एक कर्णधार कब्ज होने की शिकायत कर रहे थे, ताकि लोगों को लगे कि उनके शरीर में आंतें भी हैं। इसी वजह से उनका शरीर इतना लचीला हो जाता है कि गलती से अगर उनकी कोई गेंद स्टंप की ओर चली जाए, तो स्टंप पर लगने से पहले ही वह उसे लपककर रोक सकते हैं।
यही कौशल बल्लेबाजी में दिखता है। क्रिकेट में कुछ खिलाड़ी ऑफ साइड में अच्छा खेलते हैं, कुछ ऑन साइन में, पर इनका खेल बैक साइड और आउट साइड में होता है, इसलिए इन्हें कोई भी आउट नहीं घोषित कर सकता। इनके स्तर का कौशल न तेंदुलकर में हो सकता है, न सोबर्स में। ऐसे में, इनका खेल चलता रहता है। जब तक भारत में क्रिकेट रहेगा, ये जमे रहेंगे। सवाल दरअसल यह है कि क्रिकेट कब तक रहेगा?