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विराट कोहली ने पाई एक नई पहचान

श्रीलंका के खिलाफ रविवार को खत्म हुई सीरीज को दो वजहों से याद रखा जाएगा। पहली तो जाहिर तौर पर रोहित शर्मा की ऐतिहासिक रिकॉर्डतोड़ पारी  के लिए, और दूसरी विराट कोहली की कप्तानी के लिए। महेंद्र...

विराट कोहली ने पाई एक नई पहचान
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 17 Nov 2014 09:58 PM
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श्रीलंका के खिलाफ रविवार को खत्म हुई सीरीज को दो वजहों से याद रखा जाएगा। पहली तो जाहिर तौर पर रोहित शर्मा की ऐतिहासिक रिकॉर्डतोड़ पारी  के लिए, और दूसरी विराट कोहली की कप्तानी के लिए। महेंद्र सिंह धौनी की गैर-मौजूदगी में कोहली इस सीरीज में टीम की कमान संभाल रहे थे,  साथ ही बल्ले से भी अच्छे प्रदर्शन की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी। विराट इन दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने में कामयाब रहे,  उनकी कप्तानी में भारत ने श्रीलंका को 5-0 से हराया,  जो भारत के वनडे क्रिकेट इतिहास में पांचवीं व्हाइट वाश सीरीज रही। इसके अलावा, विराट कोहली ने पूरी सीरीज में 82 से ज्यादा रनों की औसत से कुल 329 रन बनाए,  जिसमें आखिरी मैच में मुश्किल हालात में लगाया गया शतक शामिल है। वनडे क्रिकेट में यह विराट कोहली का 21वां शतक है। खास बात यह है कि इनमें से 13 शतक उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए लगाए हैं। इस मामले में अब वह सचिन तेंदुलकर से सिर्फ एक शतक पीछे हैं।

अभी करीब दो महीने पहले की बात है। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में विराट कोहली अब तक के अपने करियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे थे। उस सीरीज में विराट कोहली वनडे और टेस्ट,  दोनों में बुरी तरह फ्लॉप हुए थे। कार्डिफ टेस्ट और उसके बाद वनडे सीरीज की लगातार तीन पारियों में वह बगैर खाता खोले आउट हुए थे। आलोचकों ने सवाल खड़े किए। उनके ‘टेंपरामेंट’ को लेकर बात हुई। उनकी आक्रामकता को लेकर चर्चा हुई। विराट अपने स्वाभाविक शॉट्स खेलकर आउट होते रहे,  लेकिन उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के अंदाज में कोई बदलाव नहीं किया। कल तक जो शॉट्स सनसनाते हुए कवर ड्राइव से चार रन दिलाते थे,  वही कैच में तब्दील होने लगे,  लेकिन विराट हिले नहीं।

उन्होंने अपनी सकारात्मकता को भी बनाए और बचाए रखा। शायद वह जानते हैं कि एकाध सीरीज में खराब प्रदर्शन की वजह से टीम में उनकी जगह पर दूर-दूर से कोई खतरा नहीं है। यह साख विराट कोहली ने अपने खेल के दम पर बनाई है। उन्होंने साबित किया है कि वह लंबी रेस का घोड़ा हैं। विराट ने छह साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में इस बात को पुख्ता किया है कि आज किसी भी टीम के खिलाफ कोई भी दौरा हो,  टीम चुने जाते वक्त कप्तान के बाद सबसे तय नाम उनका ही होता है। ये सब कुछ आसानी से नहीं मिलता। बड़ी मेहनत करनी होती है,  बड़ी पारियां खेलनी होती हैं,  टीम को जीत दिलानी पड़ती है। ये सभी काम विराट कोहली ने किए हैं। अपने समकालीन खिलाड़ियों रोहित शर्मा और सुरेश रैना के मुकाबले वह ज्यादा ‘कंसिस्टेंट’ हैं। विराट कोहली का अब अगर किसी से मुकाबला है,  तो खुद से ही है। उन्हें अपने तेवर,  अपने मूड,  अपने खेल और अपनी प्रतिभा को संभालकर आगे बढ़ना होगा। तभी आने वाला समय उनका होगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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