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आगे की ओर देखना

वर्तमान हमेशा ज्यादा सुंदर होता है। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा वर्तमान में रहने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इतना भर पर्याप्त नहीं है। देखना तभी शानदार होता है, जब आप साथ-साथ यह भी देख सकें कि आगे...

आगे की ओर देखना
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 30 Mar 2015 09:00 PM
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वर्तमान हमेशा ज्यादा सुंदर होता है। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा वर्तमान में रहने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इतना भर पर्याप्त नहीं है। देखना तभी शानदार होता है, जब आप साथ-साथ यह भी देख सकें कि आगे क्या हो सकता है? ज्यादातर महान लोग इस कला में माहिर होते हैं। देश में आईटी क्रांति लाने वाले और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति कहते हैं, अतीत से सबक लें, वर्तमान में जिएं, लेकिन भविष्य-द्रष्टा अवश्य बनें, क्योंकि वह एक दिन आपका वर्तमान बनने वाला है। इंफोसिस की कामयाबी बताती है कि नारायण मूर्ति कितने बड़े भविष्य-द्रष्टा थे। ऐसा नहीं है कि भविष्य पर फोकस करना सिर्फ बिजनेस की दुनिया के दिग्गजों के लिए जरूरी है। यह सबके लिए अनिवार्य होता है। यह दृष्टि हमारे आने वाले वर्तमान को बेहतरीन बनाने का रास्ता खोलती है। वर्तमान अगर अच्छा नहीं है, तो सिर्फ कुढ़ने भर से स्थिति नहीं बदल सकती। आज चीजें कैसी हैं, यह देखने की बजाय यह देखना जरूरी है कि वे भविष्य में कैसी हो सकती हैं।

यहां कल्पनाशक्ति जरूरी है। इससे हर चीज कीमती बन जाती है। एक बड़ा चिंतक हमेशा इस बात की कल्पना कर लेता है कि वह आगे क्या कर सकता है? वह वर्तमान में रहता जरूर है, लेकिन उसमें उलझता नहीं। दुनिया को उन लोगों ने ही कुछ दिया, जो क्या है की बजाय क्या हो सकता है, के सू़त्र पर चलने वाले रहे। यहां पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और अब राजनेता इमरान खान की बात प्रासंगिक है। 1992 के विश्व कप में शुरुआती पांच मैचों में वह केवल एक मैच जीत पाए। उनकी टीम जैसे-तैसे सेमीफाइनल में पहुंची, जिसमें उन्होंने उस विश्व कप में तब तक की अजेय रही न्यूजीलैंड टीम को हराया और फिर इंग्लैंड को फाइनल में। इमरान ने तब कहा था, वह हार के बाद उसका मातम नहीं मनाते, बल्कि अगले मैच पर फोकस करते हैं। उनके पांव जमीन पर थे और निगाहें भविष्य पर। फिर कामयाबी कैसे नहीं मिलती?

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