क्या नेता थे वे
बात 1954 की है। तब चौधरी चरण सिंह यूपी सरकार में मंत्री हुआ करते थे। उन्होंने पंडित नेहरू को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया कि राजपत्रित अधिकारी बनने वाले अभ्यर्थियों के लिए अंतरजातीय विवाह अनिवार्य कर...
बात 1954 की है। तब चौधरी चरण सिंह यूपी सरकार में मंत्री हुआ करते थे। उन्होंने पंडित नेहरू को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया कि राजपत्रित अधिकारी बनने वाले अभ्यर्थियों के लिए अंतरजातीय विवाह अनिवार्य कर दिया जाए। यही शर्त विधायकों और सांसदों पर भी लागू हो। चौधरी साहब का मानना था कि जाति के भीतर शादी की बाध्यता जाति-प्रथा का सबसे बड़ा आधार है, इसलिए सरकार की इस नीति से जाति-व्यवस्था महत्वहीन हो जाएगी। पंडित नेहरू ने जवाब में लिखा कि वह चरण सिंह से पूरी तरह सहमत हैं कि जब तक अंतरजातीय शादियां आम नहीं हो जातीं, तब तक जाति-व्यवस्था की नींव नहीं हिलेगी और देश में वास्तविक एकता कायम नहीं होगी, बावजूद इसके ऐसा कोई सांविधानिक प्रस्ताव, जो किसी भी तरह से शादी को दो वयस्कों के बीच का निर्णय न रहने देकर प्रशासनिक या सामाजिक निर्णय बना दे, नेहरू को मंजूर नहीं था।
इस पत्र-व्यवहार को ‘लव जिहाद’ विवाद के संदर्भ में पढ़ें। नेहरू के उत्तर चौंकाने वाले नहीं हैं, लेकिन चरण सिंह को आज हम किस रूप में जानते हैं? चौधरी साहब उसी इलाके के धाकड़ नेता रहे हैं, जिन इलाकों में खाप पंचायतें बैठ रही हैं और अंतरजातीय व अंतर-धार्मिक प्रेम को राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है। हम आज नेहरू से सहमत हैं या चरण सिंह से, यह मायने नहीं रखता। हमारे लिए यह लोकतांत्रिक संवाद मायने रखता है। यह साठ वर्षों की हमारी लोकतांत्रिक विरासत है। जरूरी है कि हम ऐसे प्रसंगों को ढूंढ़कर निकालें और साझा करें।
अपनी फेसबुक वॉल में मनोज कुमार