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अखंडता पर खतरा

इन दिनों केबीसी के नए विज्ञापन में पूर्वोत्तर की एक लड़की भावुकता से कहती है कि कोहिमा कहां है, यह सब जानते हैं, पर मानते नहीं। आशय स्पष्ट है कि उत्तर भारत सहित देश के अधिकतर हिस्सों में पूर्वी...

अखंडता पर खतरा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 24 Jul 2014 08:36 PM
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इन दिनों केबीसी के नए विज्ञापन में पूर्वोत्तर की एक लड़की भावुकता से कहती है कि कोहिमा कहां है, यह सब जानते हैं, पर मानते नहीं। आशय स्पष्ट है कि उत्तर भारत सहित देश के अधिकतर हिस्सों में पूर्वी राज्यों के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। गोया वे भारतीय न हों। उनके साथ हिंसा के मामले जब-तब सामने आते रहते हैं। इस साल जनवरी में दिल्ली में हुआ नीडो हत्याकांड और अब एक बार फिर राजधानी में ही एक मणिपुरी युवक की हत्या यह बताने के लिए काफी है कि देश की राजधानी तक में पूर्वोत्तर के नागरिकों के साथ भेदभाव जारी है। इसी स्थिति का फायदा उठाकर चीन अक्सर अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को भारत के खिलाफ उकसाने की कोशिश करता है और शायद यही कारण है कि ऐसी घटनाओं से उपजे द्वेष के चलते असम में हिंदीभाषी उत्तर भारतीयों को निशाना बनाया जाता है। अगर देश में इसी तरह का माहौल रहा, तो हमारी अखंडता और एकता के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।
सचिन कुमार कश्यप, शामली

महंगे इलाज की वजह

लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कतिपय चिकित्सकों और पैथोलॉजिस्टों और रेडियोलॉजिस्टों के बीच एक गंभीर आपराधिक गठजोड़ होने का वक्तव्य दिया है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री यह नहीं बता पाए कि आखिरकार यह ‘नेक्सस’ फल-फूल क्यों रहा है? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री स्वयं एक चिकित्सक हैं, वह भलीभांति अवगत हैं कि कोई मरीज इतना ज्ञानी या ऐसी स्थिति में नहीं होता कि वह चिकित्सक द्वारा सुझाई गई जांच के बारे में चिकित्सक से तर्क कर सके। इसका फायदा ही उठाया जाता है। हमारे ज्यादातर सरकारी चिकित्सालय तो खुद ही बीमार हैं। वहां रोगी बजाय ठीक होने के और बीमार हो जाए, साथ में तीमारदार भी रोगग्रस्त हो जाए। दूसरी तरफ, निजी चिकित्सा सुविधा को खुद सरकार महंगा बना रही है, तो ऐसे में बीमार आखिर कहां जाएंगे? अगर सरकार निजी चिकित्सा सेवाओं को सस्ता बनाने के लिए वास्तव में गंभीर है, तो सबसे पहले चिकित्सकों पर अपनी फीस कम करने और इलाज सस्ता करने का दबाव बनाया जाए।
शाजिया खान, खैर नगर, मेरठ

शर्मसार हो रहा मुल्क

देश में हर रोज बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं। आज देश का कोई कोना स्त्री के लिए सुरक्षित नहीं है। हर घटना के बाद बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग हर कोई करता है। पर बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के पीछे कारण क्या हैं? फैशन के नाम पर हम उत्तेजक पहनावा अपनाते जा रहे हैं। पश्चिमी तहजीब की चकाचौंध में अपनी अच्छी रवायतें भी हमें दकियानूस लगने लगी हैं। फिल्मों गानों में अश्लीलता की भरमार है। अब तो कस्बाई मुहल्लों में भी साफ पानी मिले न मिले, शराब की दुकानें जरूर मिल जाएंगी। बलात्कार के मामलों की सुनवाई जल्दी पूरी की जाए और दोषियों को सजा सुनाई जाए, ताकि औरों के दिल में डर बना रहे। स्त्रियों को भी खुद का सम्मान करना सीखना होगा। दुष्कर्म की घटनाओं से दुनिया भर में देश का नाम खराब हो रहा है।
सैयद मंजर आलम
manzeralam28@yahoo.com

मजाक बना कानून

उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम-2009 की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस कानून के तहत 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा का प्रावधान है और इसके तहत सरकारी रियायत प्राप्त प्राइवेट शिक्षण संस्थान भी बीपीएल के 25 फीसदी छात्र-छात्राओं को पूर्णत: मुफ्त शिक्षा, ड्रेस देने के लिए बाध्य हैं। फिर भी उत्तर प्रदेश में शिक्षा का बाजारीकरण हावी है और स्कूल प्रशासन अपनी मनमर्जी से फीस बढ़ोतरी करते रहे हैं, और डोनेशन के नाम पर अभिभावकों से लूट-खसोट करते रहते हैं। उत्तर प्रदेश वैसे ही काफी पिछड़ा हुआ सूबा है, ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री को शिक्षा माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
संदीप सक्सेना, पीलीभीत

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