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धूम्रपान के खिलाफ

दिल्ली देश की राजधानी है। लेकिन कानून-व्यवस्था के नाम पर यहां कुछ भी ठीक नहीं है। अदालत के आदेशानुसार, सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान एक दंडनीय अपराध है, परंतु यह देश की राजधानी में ही लागू नहीं हो...

धूम्रपान के खिलाफ
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 21 Aug 2014 10:04 PM
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दिल्ली देश की राजधानी है। लेकिन कानून-व्यवस्था के नाम पर यहां कुछ भी ठीक नहीं है। अदालत के आदेशानुसार, सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान एक दंडनीय अपराध है, परंतु यह देश की राजधानी में ही लागू नहीं हो पाता, बाकी शहरों की बात क्या करें। लोग खुलेआम सड़कों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करते हैं तथा उन्हें कोई रोकता-टोकता नहीं है। इसलिए दिल्ली के बड़े-बड़े बाजार कूड़ाघर जैसे नजर आते हैं। वहां लोग सरेआम थूकते और सिगरेट पीते नजर आ जाएंगे। इस तरह का धूम्रपान दूसरों के लिए भी घातक होता है। चिकित्सा विज्ञान यह साबित कर चुका है। इसलिए केंद्र सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से जिस साफ और स्वस्थ भारत की परिकल्पना की है, उसको साकार करने के लिए जागरूकता के साथ कठोर कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है। 
दिलीप सिंह, दिल्ली

धौनी जिम्मेदार नहीं
हाल ही में इंग्लैंड में संपन्न हुई भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया के खाते में करारी हार आई। सीरीज में सब कुछ भारतीय टीम के लिए बुरा रहा, सिवाय लॉड्र्स टेस्ट के। भारत के टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज कुछ नहीं कर पाए, हालांकि पुछल्ले बल्लेबाजों का बल्ला थोड़ा चला, फिर भी स्कोर बोर्ड बांग्लादेश से भी खराब लग रहा था। कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने कुछ ठीक-ठाक पारियां भी खेलीं, मगर लोग हार का ठीकरा उनके सिर ही फोड़ रहे हैं। जब टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज नहीं चलेंगे, तब कप्तान कितना भी अच्छा क्यों न हो, टीम को हार ही मिलेगी। धौनी जैसा कप्तान मिल पाना आसान नहीं है। भारतीय टीम के लिए अच्छा होगा कि उसके कप्तान को बदलने की बजाय टॉप ऑर्डर के खिलाड़ियों को हटाया जाए। धौनी इस हार के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इसलिए उन्हें हतोत्साहित करना गलत है।
पवन कुमार भारती, दिल्ली

लापरवाही से मौतें
मानव जीवन अनमोल है। इसके प्रत्येक क्षण की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है और चुनौती भी। लेकिन आंख बंदकर आगे बढ़ने की बेचैनी और आत्म-अनुशासन को ताख पर रखने की आदत कितनी हृदयविदारक तस्वीर प्रस्तुत करती है, इसका नजारा बीते दिनों बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में देखने को मिला। यहां मानवरहित क्रॉसिंग के कारण एक वाहन रेलगाड़ी की चपेट में आ गया, इस हादसे में करीब 20 लोग मरे। यह घटना नई नहीं है। रेलकर्मियों की अनदेखी और मानवीय भूलों के कारण पटरी पर निर्दोष जानें जाती रहती हैं। ऐसे मामलों में अक्सर संबद्ध कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जाता है। मगर कुछ दिनों के बाद फिर एक हादसा हो जाता है। इस तरह की दुर्घटनाएं रेलवे की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती हैं। कई जगहों पर रेलवे-फाटक की सुविधा नहीं है। जहां लोहे से घेराव है, वहां भी लोगों का धैर्य जवाब दे जाता है और लोग जब-तब पटरी पार करने लगते हैं।
सुधीर कुमार, राजाभीठा, गोड्डा

बिहार की राह
वह गठबंधन, जो आम चुनाव से पहले बनकर तैयार हो जाना चाहिए था, बीते दिनों बन गया। अरसे बाद लालू प्रसाद व नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एक साथ आए हैं, उनका गठबंधन क्षेत्रीय राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। पर इससे केंद्र की राजनीति प्रभावित होती नहीं दिखाई देती। हां, यह जरूर है कि बिहार ने जो राह दिखाई है, उस पर कई और राज्यों की पार्टियां चलीं, तो इससे केंद्र सरकार के लिए दिक्कतें आ सकती हैं, क्योंकि एक हद के बाद क्षेत्रीय राजनीति केंद्रीय राजनीति को प्रभावित करती है। बहरहाल, कुछ वक्त पहले बिहार में जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के बीच गठबंधन का ऐलान हुआ। देखना है कि यह गठबंधन उपचुनावों में कितना सफल होता है।
गोविंद, पटपड़गंज, दिल्ली

 

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