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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, समान नागरिक संहिता पर क्या है विचार?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानना चाहा है कि क्या वह देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की इच्छुक है। कोर्ट ने सॉलीसिटर जनरल से इस मसले पर सरकार का विचार जानना चाहा है। अब तीन सप्ताह बाद इस...

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, समान नागरिक संहिता पर क्या है विचार?
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 13 Oct 2015 02:45 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानना चाहा है कि क्या वह देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की इच्छुक है। कोर्ट ने सॉलीसिटर जनरल से इस मसले पर सरकार का विचार जानना चाहा है। अब तीन सप्ताह बाद इस मामले पर सुनवाई होगी।                  

न्यायमूर्ति विक्रमजीत सिंह और शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने सोमवार को समान नागरिक संहिता बनाने पर मिलने वाले समर्थन के बारे में सरकार से सवाल किया। पीठ ने कहा कि पूर्णतया असमंजस की स्थिति है। हम लोगों को समान नागरिक संहिता पर काम करना चाहिए। इसको लेकर क्या हुआ? अगर सरकार इसे करना चाहती है तो आपको करना चाहिए। आप इसे बनाते क्यों नहीं हैं और इसे लागू क्यों नहीं करते हैं?          

पीठ एक याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें उस कानूनी प्रावधान को चुनौती दी गई थी कि ईसाई दंपत्ति को तलाक के लिए कम से कम दो साल का इंतजार करना होगा जबकि दूसरे धर्मों में यह समयावधि केवल एक साल के लिए है।       

इससे पहले के सुनवाई में सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वह तलाक कानून के सेक्शन 10 ए (1) के संशोधन के लिए सहमत है और कानून मंत्रालय ने भी एक प्रस्ताव के लिए पहल किया है।    

ईसाई दंपत्ति सेक्शन 10 ए (1) के तहत तलाक के लिए याचिका दाखिल करते हैं। इसके तहत आपसी सहमति से तलाक की अर्जी कोर्ट में तभी पेश कर सकते हैं जब उनके जुडिशियल सेपरेशन की अवधि दो साल हो चुकी हो। वहीं, स्पेशल मैरेज एक्ट, हिन्दू विवाह अधिनियम, पारसी मैरेज और तलाक अधिनियम के तहत अर्जी पेश करने की अवधी एक साल ही है।

पीठ ने सोमवार को नाखुशी जताई कि तीन महीने के बाद भी इस प्रावधान में संशोधन नहीं हुआ। सरकारी वकील के और समय मांगने पर पीठ ने कहा कि क्या हुआ? किस कारण से ऐसा नहीं हो सका? अगर आप ऐसा करना चाहते हैं तो आपको बताना चाहिए।

सरकारी वकील के जवाब से संतुष्ट न होने पर पीठ ने सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार से सहयोग के लिए कहा। पीठ ने कुमार से सभी धर्मों के लिए तलाक के समान नियम पर सरकार की स्थिति के बारे में पूछा।         

फरवरी में एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सेन ने कहा था कि सीविल कानूनों से धर्म को बाहर करना होगा। यह बहुत ही आवश्यक है। पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं।       
 
आपको बता दें कि भाजपा हमेशा से देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करती रही है। इसके तहत देश के नागरिकों के लिए एक ही नियम और कानून होंगे।

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