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इरोम शर्मिला को रिहा करने का आदेश

आत्महत्या की कोशिश करने के आरोप में जेल में बंद मणिपुर की नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला को स्थानीय अदालत ने मंगलवार को रिहा करने का आदेश दिया। इरोम राज्य से आफ्सा (सुरक्षा बल विशेष...

इरोम शर्मिला को रिहा करने का आदेश
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 19 Aug 2014 09:46 PM
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आत्महत्या की कोशिश करने के आरोप में जेल में बंद मणिपुर की नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला को स्थानीय अदालत ने मंगलवार को रिहा करने का आदेश दिया।

इरोम राज्य से आफ्सा (सुरक्षा बल विशेष अधिकार कानून 1958) हटाने की मांग को लेकर 14 साल से अनशन पर हैं। इंफाल पूर्व के सत्र अदालत के जज ए गुनेश्वर शर्मा ने मंगलवार को इरोम को आत्महत्या की कोशिश करने के मामले से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर इरोम की किसी अन्य मामले में हिरासत की जरूरत न हो, तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। अदालत ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में नाकाम रहा है कि इरोम की मंशा भूख हड़ताल कर आत्महत्या करने की थी, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत दंडनीय अपराध है। अदालत ने टिप्पणी की कि 42 वर्षीय इरोम का विरोध प्रदर्शन राजनीतिक मांग को लेकर है। उनके पूर्व के व्यवहार को देखकर लगता है कि वह इसे तब तक जारी रखेंगी जब तक इसका समाधान नहीं हो जाता।

अदालत ने कहा कि मौजूदा हालात में अगर इरोम अनशन को आगे जारी रखने का फैसला करती हैं, तो राज्य सरकार उनकी सेहत को ध्यान में रखकर नाक से खाना देने के फैसले को जारी रख सकती है। इस मामले की सरकार की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता वई इंदिरा कर रही थी, जबकि इरोम का पक्ष मानवाधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील खाइदेम मणि ने रखा।

सबसे लंबी अवधि से हिरासत में हैं इरोम
सरकार की नीतियों को विरोध करने के लिए आजाद भारत में सबसे लंबी अवधि से हिरासत में हैं इरोम शर्मिला चानू। 28 साल की उम्र में हिरासत में ली गईं इरोम 42 की हो गई हैं। उन्हें मणिपुर में आयरन लेडी कहा जाता है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू को को इंफाल के पोरोमपत स्थित सरकारी अस्पताल में रखा गया है। सरकार ने अस्पताल के कमरे को ही उनके लिए विशेष तौर पर जेल में तब्दील कर दिया है। उन्हें नाक के रास्ते पाइप के जरिए तरल भोजन दिया जाता है। किसी के भी इरोम से मिलने जुलने पर पाबंदी है।

दुनिया की सबसे लंबी भूख हड़ताल
14 साल से बिना अन्न लिए अनशन कर रही हैं इरोम को नाम दुनिया में सबसे लंबी भूख हड़ताल करने वाली महिला के तौर पर लिया जाने लगा है।

हर साल रिहाई फिर गिरफ्तारी: मौजूदा कानून के तहत किसी व्यक्ति को 364 दिनों तक ऐसे मामलों में हिरासत में रखा जा सकता है। इसलिए सरकार हर साल उनकी रिहाई कर फिर नए सिरे से गिरफ्तारी दिखाई जाती है।

10 नागरिकों की मौत के बाद अनशन: 2 नवंबर 2000 में इंफाल हवाई अड्डे के पास मालोम में असम राइफल्स के जवानों के साथ हुए मुठभेड़ में कथित तौर पर 10 नागरिकों की मौत के बाद से इरोम ने अनशन की शुरुआत की। उनकी मांग है कि राज्य से विवादास्पद कानून आफ्सा को हटाया जाए।

मिला सियासी दलों का साथ
2011 : तृणमूल कांग्रेस की मणिपुर इकाई ने इरोम का किया समर्थन
2014 : आम आदमी पार्टी ने इरोम को लोकसभा चुनाव लड़ने का दिया प्रस्ताव

दुनिया भर से मिला सम्मान
- 2007 में ग्वांगझू शांति पुरस्कार से सम्मानित
- 2010 एशियाई मानवाधिकार आयोग से मिला सम्मान 
- 2014 : एमएसएन पोल में टॉप वूमेन आईकन चुनीं गईं

 

 

 

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