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Hindi Newsबलात्कार मामलों में कोई समझौता नहीं, औरत का शरीर उसके लिए मंदिर के समान होता है: सुप्रीम कोर्ट

बलात्कार मामलों में कोई समझौता नहीं, औरत का शरीर उसके लिए मंदिर के समान होता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बलात्कार मामलों में दोषी और पीडि़ता के खिलाफ मध्यस्थता अथवा उदार दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास पीडि़ता के सम्मान के खिलाफ और त्रुटिपूर्ण निर्णय है। न्यायमूर्ति दीपक...

बलात्कार मामलों में कोई समझौता नहीं, औरत का शरीर उसके लिए मंदिर के समान होता है: सुप्रीम कोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 01 Jul 2015 07:53 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बलात्कार मामलों में दोषी और पीडि़ता के खिलाफ मध्यस्थता अथवा उदार दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास पीडि़ता के सम्मान के खिलाफ और त्रुटिपूर्ण निर्णय है।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली दो-सदस्यीय खंडपीठ ने बलात्कार के एक मामले में मध्य प्रदेश सरकार की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि बलात्कार के मामलों में अदालत द्वारा मध्यस्थता और सुलह करने का निर्देश दिया जाना असाधारण त्रुटि है। न्यायालय का इशारा मद्रास हाईकोर्ट के हाल के उस फैसले की ओर था, जिसके एक न्यायाधीश ने पीडि़ता से सुलह के लिए आरोपी युवक को जेल से छोड़ने का आदेश दिया था।

बलात्कार की घटना 2002 की थी। उस वक्त पीडि़ता की उम्र केवल 15 साल थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में मध्यस्थता या सुलह सफाई का अदालत द्वारा मौका देना पीडि़ता के सम्मान के खिलाफ है। शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला का शरीर उसका मंदिर होता है और उसे अपवित्र करने वालों को मध्यस्थता के लिए रिहा करने का आदेश देना उचित नहीं कहा जा सकता।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने अदालतों को आगाह किया कि बलात्कार जैसे जघन्य मामलों में वे नरम रुख कतई न अपनाएं और सुलह-समझौते के लिए प्रेरित न करें। न्यायालय ने कहा, 'बलात्कार महिला के उस बदन पर घिनौना अत्याचार है, जिसे वह अपना मंदिर समझती है। ये ऐसे जघन्य अपराध है, जिससे जीवन दमघोंटू हो जाता है और प्रतिष्ठा पर धब्बा लग जाता है।' मध्य प्रदेश की एक निचली अदालत ने बलात्कार के दोषी व्यक्ति को पांच साल की जेल की सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी सजा कम करके जेल में बिताए समय को समायोजित करने का फैसला दिया था। राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई सबूतों को पूरी तरजीह देते हुए नए सिरे से करने का आदेश दिया।

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