धर्मातरण के मुद्दे पर टकराव से अटके कई विधेयक
संसद के शीतकालीन सत्र में कामकाज के लिहाज से लोकसभा ने 17 विधेयकों को पारित कर राज्यसभा से बाजी मार ली है। धर्मातरण के मुद्दे पर बीते सप्ताह लगभग ठप रही राज्यसभा अभी तक महज 11 विधेयकों को ही मंजूरी...
संसद के शीतकालीन सत्र में कामकाज के लिहाज से लोकसभा ने 17 विधेयकों को पारित कर राज्यसभा से बाजी मार ली है। धर्मातरण के मुद्दे पर बीते सप्ताह लगभग ठप रही राज्यसभा अभी तक महज 11 विधेयकों को ही मंजूरी दे सकी है। सत्र के दो दिन बचे हैं और लोकसभा से पारित हो चुके तीन अहम विधेयक बीमा, कोयला व दिल्ली विशेष प्रावधान राज्यसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। हंगामें के चलते इन विधेयकों को अभी उच्च सदन में पेश नहीं किया जा सका है।
संसद के शीतकालीन सत्र में उच्च सदन में विपक्ष का बहुमत में होना सरकार को भारी पड़ा है। सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा के दरवाजे पर अटक गए हैं। सत्र के अब तक के चार सप्ताह के कामकाज में राज्यसभा में 19 बैठकों में 35 घंटे 38 मिनट का समय बर्बाद हुआ है। उच्च सदन के कामकाज का प्रतिशत भी 68 फीसद ही रहा है, जबकि लोकसभा ने 105 फीसद काम करते हुए लगभग साढ़े छह घंटे ज्यादा काम किया है।
संसदीय कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार लोकसभा में हंगामे के चलते शीत सत्र में दो घंटे दस मिनट का समय बर्बाद हुआ, लेकिन उसने आठ घंटे 36 मिनट ज्यादा काम किया है। दूसरी तरफ राज्यसभा में हंगामें में 44 घंटे नौ मिनट का समय बर्बाद हुआ। हालांकि सदस्यों ने आठ घंटे 36 मिनट ज्यादा काम कर कुछ भरपाई जरूर की है। सबसे ज्यादा नुकसान पिछले सप्ताह हुआ है, जबकि धर्मातरण के मुद्दे पर उच्च सदन बाधित रहा।
सत्र के बाकी दो दिनों में राज्यसभा में गतिरोध टूटने के आसार बेहद कम हैं। हालांकि इस बीच सरकार ने एक महत्वपूर्ण कामकाज करते हुए बीते शुक्रवार को लोकसभा में 122वें संविधान संशोधन वस्तु व सेवाकर विधेयक (जीएसटी) को पेश किया है। इस विधेयक को अगले सत्र में चर्चा के लिए लिया जाएगा।