फड़णवीस को मोदी ने चढ़ाईं सत्ता की सीढ़ियां
महाराष्ट्र में भाजपा की प्रथम सरकार के कर्णधार बने देवेन्द्र फड़णवीस ने एक सामान्य कॉरपोरेटर से लेकर भाजपा के प्रथम मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर कड़ी मेहनत से तय किया है। आज राज्य के मुख्यमंत्री...
महाराष्ट्र में भाजपा की प्रथम सरकार के कर्णधार बने देवेन्द्र फड़णवीस ने एक सामान्य कॉरपोरेटर से लेकर भाजपा के प्रथम मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर कड़ी मेहनत से तय किया है।
आज राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले 44 वर्षीय फड़णवीस ने लंबे समय तक प्रमोद महाजन, गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी जैसे दिग्गज नेताओं के सानिध्य में काम किया है। उनकी आरएसएस में गहरी जड़े हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी प्रमुख अमित शाह ने उनके संगठनात्मक कौशल को लेकर पार्टी के उनके वरिष्ठ नेताओं की तुलना में उन्हें तरजीह दी है।
महाजन और मुंडे की असमय मृत्यु ने, जबकि गडकरी के राष्ट्रीय मंच पर आ जाने से प्रदेश में पार्टी के नेतृत्व में एक शून्य पैदा कर दिया था लेकिन इससे युवा नेता के लिए महाराष्ट्र के सत्ता के केंद्र मंत्रालय तक के सफर की नयी राह भी खुली।
मराठा राजनीति और मराठा नेताओं के वर्चस्व वाले इस राज्य में चौथी बार विधायक बने फड़णवीस भाजपा से अलग हो चुके सहयोगी दल शिवसेना के मनोहर जोशी के बाद ऐसे दूसरे ब्राहमण नेता हैं जो मुख्यमंत्री बने हैं। वह मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले राकांपा प्रमुख शरद पवार के बाद दूसरे सबसे युवा नेता भी हैं।
विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद मदुभाषी और युवा नेता फड़णवीस इस शीर्ष पद के लिए स्पष्ट रूप से पसंदीदा नेता थे जिनके लिए पार्टी की प्रदेश कमेटी के कई नेताओं ने काफी लॉबिंग की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के मजबूत समर्थन से वह सदा ही इस मुकाम तक पहुंचने के लिए निश्चिंत नजर आए।
चुनाव रैली में मोदी ने उनके लिए कहा था कि, देवेन्द्र देश के लिए नागपुर का तोहफा हैं। हालांकि, मोदी ने लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान अमेरिकी तर्ज पर चुनाव प्रचार किया था पर इनमें मिली जबरदस्त जीत का श्रेय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष फड़णवीस को भी जाता है।
शिवसेना और स्वाभिमानी शेतकारी पक्ष के साथ इस भगवा गठबंधन ने 48 लोकसभा सीटों में 42 पर जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवसेना से नाता टूटने के बावजूद भाजपा ने 288 सदस्यीय सदन में 122 सीटें हासिल की जबकि 2009 में उसे 46 सीटें ही मिली थीं। हालांकि, विधायक गोविंद राठौड़ की मृत्यु के बाद सदन में उसके 121 सदस्य ही रह गए हैं।
संघ प्रचारक और भाजपा से विधान परिषद सदस्य दिवंगत गंगाधर फड़णवीस के बेटे देवेन्द्र युवावस्था में ही राजनीति में उतर गए थे, जब वह 1989 में आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए थे।
गंगाधर को नागपुर के उनके साथी नेता और पूर्व पार्टी प्रमुख नितिन गडकरी अपना राजनीतिक गुरु बताते हैं। महज 22 साल की उम्र में वह नागपुर स्थानीय निकाय से कॉरपोरेटर बन गए और 27 साल की आयु में 1997 में नागपुर के सबसे युवा मेयर चुने गए।