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कालेधन पर राम जेठमलानी ने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें

विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के मुद्दे पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा है कि सरकार कालाधन रखने वालों को बचा रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली को दिवाली के...

कालेधन पर राम जेठमलानी ने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Oct 2014 09:01 AM
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विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के मुद्दे पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा है कि सरकार कालाधन रखने वालों को बचा रही है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली को दिवाली के दिन लिखे पत्र में जेठमलानी ने कहा कि कालेधन पर जर्मनी से प्राप्त सूचनाओं की जांच करने का सरकार को कोई अधिकार नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बना रखा है और उसे सूचनाएं उसे दिए बिना सरकार इसमें कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। कोर्ट इस जांच की मानिटरिंग कर रहा है। जेठमलानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी समझे जाते हैं।

जेठमलानी की रिट याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट काले धन पर एसआईटी बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एमबी शाह इसके अध्यक्ष हैं।

बतौर भाजपा के निष्कासित सदस्य लिखे गए पत्र में जेठमलानी ने इस बात से अहसमति जमाई कि सरकार खाताधारकों के नामों का खुलासा नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार को गलत सलाह दी गई। उन्होंने कहा कि दोहरे कराधान समझौते के आधार पर इसमें कोई दलील नहीं बनती, क्योंकि हम जर्मनी और भारत में कर देने से बचने वाले जमाकर्ताओं के बारे में बात नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जो 18 नाम दिए गए थे उनमें हसन अली जैसों भ्रष्टों का नाम नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार सिर्फ दोहरे कराधान समझौते पर ही काम करना चाहती है, जबकि जर्मनी ने कभी इस समझौते की बात नहीं की है। लेकिन सरकार जानबूझकर इस समझौते को बीच में लाई है ताकि जांच बेमतलब हो जाए और भ्रष्ट शासक अभियोजन से बच जाएं। इससे साफ पता चलता है कि सरकार दोषियों को गिरफ्तार करवाने का कोई इरादा नहीं रखती। 

पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार ने जून 2011 तक संयुक्त राष्ट्र की भ्रष्टाचार के विरुद्ध संधि को मंजूरी नहीं दी थी जबकि जर्मनी और स्विट्जरलैंड इसके सदस्य थे। लेकिन 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पूर्व सरकार ने इस संधि को अपना लिया। जाहिर है सरकार ने कई भ्रष्टों को बचा लिया।

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