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मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्रा का निधन

मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्रा का निधन हो गया है। वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे थे। अमेरिका के प्रख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले...

मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्रा का निधन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 30 Aug 2014 03:31 PM
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मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्रा का निधन हो गया है। वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे थे। अमेरिका के प्रख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले चंद्रा ने 'आधुनिक भारत का इतिहास', 'भारत का स्वतंत्रता संघर्ष' जैसी कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी हैं। प्रोफेसर चंद्रा ने लाहौर और दिल्ली में भी पढ़ाई पूरी की थी।

आर्थिक और राजनीतिक इतिहास के विशेषज्ञ

चंद्रा आधुनिक भारत के आर्थिक और राजनीतिक इतिहास के विशेषज्ञ माने जाते थे। उनकी विशेषज्ञता राष्ट्रीय आंदोलन पर भी थी। इतना ही नहीं, उन्हें महात्मा गांधी के दर्शन के मामले में भी देश के सबसे बड़े जानकारों में एक माना जाता था।

चंद्रा 86 वर्ष के थे और काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी का निधन चार साल पहले हो गया था, उनका केवल एक बेटा है जो विदेश में रहता है।

विभिन्न शीर्ष पदों पर आसीन रहे चंद्रा
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 1928 में जन्मे प्रोफेसर चंद्रा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष रह चुके थे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत होने के बाद वह संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष भी बनाये गये थे और 2012 तक इस पद पर रहे। वह इन दिनों शहीदे आजम भगत सिंह पर जीवनी लिख रहे थे।

वह कई साल तक दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में लेक्चरर और फिर रीडर रहे। 1993 में वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य बने। साल 2004 से 2012 तक नेशनल बुक ट्रस्ट दिल्ली के अध्यक्ष रहे बिपिन चंद्र को आधुनिक भारत के आर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास में विशेषज्ञता हासिल थी।

वह 1985 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाये गये थे। इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे।

चंद्रा की पुस्तकें चर्चा में रहीं
उन्होंने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है, जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता और भारतीय वामपंथ पर उनकी किताबें चर्चित थीं। उनकी शुरुआती अहम किताबों में 'द राइज़ एंड ग्रोथ ऑफ इकॉनॉमिक नेशनलिज़्म' भी शामिल है। 'इंडिया आफ़्टर इंडिपेंडेंस' और 'इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस' नामक उनकी किताबें भी ख़ासी चर्चित रही हैं।

उन्होंने जय प्रकाश नारायण और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थी।

उनके शिष्य ने दी जानकारी
उनके शिष्य एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ऐकेड़मिक स्टाफ कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ़ राकेश बटब्याल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बिपिन चंद्र का शनिवार की सुबह 6 बजे गुड़गांव में उनके घर पर नींद में ही निधन हो गया।

अंतिम संस्कार

उनका अंतिम संस्कार आज अपराहन 3 बजे लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में होगा। डॉ़ बटब्याल ने चंद्र को महान इतिहासकार करार देते हुए कहा कि आधुनिक भारत के इतिहास में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने इतिहास और राष्ट्रवाद को एक नया मोड़ दिया।

उन्होंने कहा कि खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ सबसे बड़ी आवाज बिपिन चंद्र ने उठाई थी और उन्होंने इसे हिन्दू तथा सिखों को बांटने वाली सांप्रदायिकता करार दिया था।

बटब्याल ने कहा कि उनकी किताब द राइज एंड ग्रोथ ऑफ इकनॉमिक नेशनलिज्म ने लोगों के सोचने के ढंग को बदल दिया था।

श्रद्धांजलि की भरमार

नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) के निदेशक एम.ए.सिकंदर ने भी प्रो.चंद्रा के निधन पर गहरा शोक व्यक्‍त करते हुए कहा कि प्रो. चंद्रा एनबीटी के अध्यक्ष के रूप में इस संस्था को नई ऊंचाइयों पर ले गये थे। देश के कई सारे जाने माने विद्वानों ने चंद्रा को श्रद्धांजलि दी। उनकी पुस्तकों से लाभान्वित होने वाले सैंकड़ों छात्रों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है।

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