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झगड़ों से त्रस्त अरविंद केजरीवाल ने नई पार्टी बनाने की धमकी दी

आप में चल रहे विवाद से त्रस्त केजरीवाल ने एक स्टिंग ऑपरेशन में नई पार्टी का गठन करने की धमकी दी है। उन्होंने कहा, ऐसा ही चलता रहा तो 67 विधायकों के साथ नई पार्टी बना लूंगा। दूसरी तरफ, शनिवार को होने...

झगड़ों से त्रस्त अरविंद केजरीवाल ने नई पार्टी बनाने की धमकी दी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 28 Mar 2015 11:16 AM
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आप में चल रहे विवाद से त्रस्त केजरीवाल ने एक स्टिंग ऑपरेशन में नई पार्टी का गठन करने की धमकी दी है। उन्होंने कहा, ऐसा ही चलता रहा तो 67 विधायकों के साथ नई पार्टी बना लूंगा। दूसरी तरफ, शनिवार को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में दोनों खेमें शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में जुट गए हैं। इसमें केजरीवाल खेमा पिछड़ता दिख रहा है। योगेंद्र यादव का कहना है कि आप ने अपने सभी विधायकों को 50-50 आदमी साथ लाने की बात कही है।

शुक्रवार शाम को आप नेता उमेश सिंह ने अरविंद केजरीवाल की बातचीत का एक स्टिंग जारी किया था। इस बातचीत में केजरीवाल अपनी पार्टी में चल रहे विवाद से काफी आहत दिख रहे थे। यहां तक कि उन्होंने असंतुष्ट खेमें के नेता प्रो. आनंद कुमार और योगेंद्र यादव के खिलाफ अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल कर दिया। इसमें केजरीवाल ने साफ कर दिया कि यह विवाद ऐसे ही चलता रहा तो वे अपने 67 विधायकों के साथ नई पार्टी बना लेंगे।

मुझे आम आदमी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। वे ही संभाले अपनी पार्टी को। हम दिल के खराब नहीं हैं। उन लोगों ने हमें दिल्ली चुनाव में हराने के लिए कोई कोशिश नहीं छोड़ी। उधर, शाम को पार्टी नेता आशुतोष ने कहा, जब कोई पार्टी को तोड़ने की बात करता है तो उस स्थिति में केजरीवाल और क्या कहेंगे। गुस्से में ऐसा ही कहा जाएगा। योगेंद्र यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि आप नेता राष्ट्रीय परिषद की बैठक में हंगामा करना चाहते हैं। यही वजह है कि वे अपने विधायकों से 50-50 लोगों को साथ लाने की बात कह रहे हैं।

प्रशांत भूषण ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अरविंद केजरीवाल शुरू से ही तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं। मैने उनसे मिलने के लिए एसएमएस किया, लेकिन उन्होंने व्यस्त होने की बात कह दी। दोनों पक्षों में कुछ कमियां और खामियां हो सकती हैं। केजरीवाल ने खुद मिलकर दिक्कतों को दूर करने में कोई रुचि नहीं दिखाई।

जब हमारे साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है तो अंदाजा लगा सकते हैं कि उनके सामने आम कार्यकर्ता बोलने की हिम्मत कैसे कर सकता है। उनमें राजनीतिक निर्णय लेने की समझ अच्छी है, मगर वे किसी को अपने बराबर आना बर्दास्त नहीं कर सकते। केजरीवाल ने एक बार स्पष्ट तौर पर कहा था, मैं किसी भी संगठन में काम करूं, वहां मेरी बात उपर होनी चाहिए। जहां मेरी न चले, मैं वहां काम नहीं कर सकता।

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