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जब दिल्ली हमारे साथ थी, तब कुछ दोस्तों ने किया विश्वासघातः केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में दिए भावुक संबोधन में कहा कि जब पूरी दिल्ली पार्टी के साथ थी तो कुछ दोस्तों ने पीठ में छुरा घोंपा। शनिवार को...

जब दिल्ली हमारे साथ थी, तब कुछ दोस्तों ने किया विश्वासघातः केजरीवाल
एजेंसीMon, 30 Mar 2015 01:15 AM
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आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में दिए भावुक संबोधन में कहा कि जब पूरी दिल्ली पार्टी के साथ थी तो कुछ दोस्तों ने पीठ में छुरा घोंपा। शनिवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ही योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर करने का फैसला किया गया।

पार्टी ने आज केजरीवाल के उस संबोधन का वीडियो जारी किया जो उन्होंने कल राष्ट्रीय परिषद में दिया था। इस वीडियो को यूट्यूब और आप के आधिकारिक टि्वटर हैंडल पर पोस्ट किया गया है।

आप में करीब दो महीनों से चल रही आंतरिक कलह के बाद शनिवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मतदान के जरिए यादव और भूषण को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किया गया। 311 सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद में दोनों को बाहर किए जाने संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में 247 और विपक्ष में आठ वोट पड़े। इस बैठक में बवाल और मारपीट तक के आरोप एवं प्रत्यारोप लगाए गए।

केजरीवाल ने भावुक संबोधन में कहा कि जब पूरी दिल्ली हमारे साथ खड़ी थी तो हमारे कुछ मित्रों ने धोखा दिया। मैं भारी मन से यह बात कह रहा हूं कि जब पूरी दिल्ली हमारे साथ थी तो कुछ मित्रों ने पीठ में छुरा घोंपा।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमारी हार सुनिश्चित करने के लिए साजिशें रची गईं। अवाम का गठन किया गया और इसका सहयोग किया गया। उस वक्त मीडिया में यह आया कि अवाम के सदस्य भाजपा के पूर्व सदस्य हैं और भाजपा उनको वित्तीय मदद दे रही है।

केजरीवाल ने कहा कि प्रशांत जी ने कई लोगों से कहा कि हम सोचते हैं कि पार्टी हारेगी तभी पार्टी और केजरीवाल सबक सीखेंगे। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो हम प्रेस के सामने जाएंगे और पार्टी को बर्बाद कर देंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि खबरें प्लांट की गईं। दो बड़े समाचार चैनलों के वरिष्ठ संपादकों ने मुझे बताया कि योगेंद्र यादव मेरे खिलाफ खबरें प्लांट कर रहे थे। बहुत सारे स्वयंसेवी दिल्ली आना चाहते थे। उन्हें रोका गया। चंदा देने वाले कई लोगों को प्रचार करने से रोका गया। हद तब हो गई जब पार्टी के हमारे वरिष्ठ नेता शांति भूषण ने कहा कि किरण बेदी उनकी पहली पसंद हैं, अजय माकन दूसरी तथा केजरीवाल तीसरी पसंद हैं। मैं जानना चाहता हूं कि आप फिर इस पार्टी में क्यों हैं।

आप के संयोजक ने कहा कि मुझे कमजोर करने, पार्टी को कमजोर करने की कोशिशें हुईं। जब मैं बेंगलुरू से आया तो मैंने अपनी टीम के सदस्यों से बात की और उसी रात उनको योगेंद्र भाई के घर बात करने के लिए भेजा। उस दिन से लेकर कल से पहले (गुरुवार) तक हमने समस्या को हल करने का भरसक प्रयास किया।
   
केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने (यादव और भूषण) ने पहले कहा कि उनकी पांच मांगें हैं, अगर ये मान ली जाती हैं तो वे पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे। यह थोड़ा चौंकाने वाला था, आमतौर पर लोग कहते हैं कि या तो पार्टी को दुरूस्त करो या तो हम पार्टी छोड़ देंगे। यह सब ढकोसला था। वे दुनिया को यह दिखा रहे थे कि यह सिद्धातों की लड़ाई है।

उन्होंने कहा कि इस पार्टी को लीजिए लेकिन इसकी हत्या मत कीजिए। मैं यहां इन लोगों से लड़ने के लिए नहीं हूं। मेरी लड़ाई भ्रष्टाचार और सांप्रदायिक ताकतों से है। मैं यहां प्रशांत जी और योगेंद्र जी से लड़ने नहीं आया हूं। मैं हार मानता हूं। आप लोग जीत गए। मैं इस लड़ाई को खत्म करने आया हूं। आपको आज फैसला करना है। बीते एक साल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पीएसी की हर बैठक में लड़ाई और बहस हुई है। आपको फैसला करना है कि आप किसे चुनना चाहते हैं या तो मुझे चुनिए या फिर उनको।

 

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