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शांत रहा सहारनपुर, कर्फ्यू में दी गई ढील

शनिवार को हुए दंगों के बाद प्रशासन ने कल देर रात सोमवार को कर्फ्यू में राहत देने का फैसला लिया है। आज पुराने और नए शहर में चार-चार घंटे की राहत दी जाएगी। इससे पहले शहर के छह थाना क्षेत्रों में लगा...

शांत रहा सहारनपुर, कर्फ्यू में दी गई ढील
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 28 Jul 2014 10:24 AM
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शनिवार को हुए दंगों के बाद प्रशासन ने कल देर रात सोमवार को कर्फ्यू में राहत देने का फैसला लिया है। आज पुराने और नए शहर में चार-चार घंटे की राहत दी जाएगी। इससे पहले शहर के छह थाना क्षेत्रों में लगा कर्फ्यू रविवार को भी जारी रहा। रविवार को शहर में कहीं से भी किसी भी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई, जिससे अफसरों ने राहत की सांस ली है। थाना कुतबशेर पुलिस ने दंगा प्रकरण में नौ एफआईआर दर्ज कराई है। गिरफ्तार लोगों की कुल संख्या 33 पहुंच गई है।

शनिवार की रात उपद्रवियों ने शहर में चार दुकान लूटने के बाद आग लगा दी, जबकि बीज गोदाम को लूट लिया। हालांकि पुलिस ने दौड़ाया, तो सभी भाग खड़े हुए। रविवार सुबह सात बजे तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां दुकानों में लगी आग को बुझाने में लगी रही।

रात में उपद्रवियों ने पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी को धता बताकर अपने नापाक इरादों को अमली जामा पहनाया। खलासी लाइन में टायर-ट्यूब और मीट शॉप पर पेट्रोल छिड़क कर आग के हवाले कर दिया। देखते ही देखते आग ने पूरी दुकान और उसके अंदर के माल को कब्जे में ले लिया। आगजनी से पहले दुकान में लूटपाट भी की। इसी दौरान उपद्रवियों की दूसरी टोली ने राकेश सिनेमा स्थित नारंग बीज गोदाम का शटर फाड़कर लूट ली। आग लगाने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी आरएएफ मौके पर पहुंची, जिन्हें देख उपद्रवी फरार हो गए।

इसके चंद मिनट बाद करीब रात डेढ़ बजे उपद्रवियों ने विश्वकर्मा चौक स्थित फर्निचर शॉप और ब्रिजेश नगर स्थित एक दुकान को आग लगा दी। दोनों ही दुकान धू धूकर जल उठी। पता लगते ही फायर बिग्रेड की गाड़ी को मौके पर पहुंची मगर, तब तक यहां भी पूरी दुकान राख हो चुकी थी।

हालांकि इसके बाद लखनऊ से आए मंडलायुक्त भुवनेश कुमार और डीआईजी दीपक रतन ने कमान संभालते हुए जरूरी स्थानों पर आरएएफ और सीआरपीएफ की टुकड़ियों को मुस्तैद करना शुरू कर दिया। बाकि आला अधिकारियों ने हिंसा प्रभावित इलाकों में लगातार गश्त करना शुरू कर दिया। उधर, एसएसपी राजेश पांडेय रात किसी भी तरह की घटना के होने से इंकार ही करते रहे।

रविवार की सुबह तक भारी फोर्स के पहुंचने के बाद अफसरों ने सख्ताई से कफ्यरू को लागू कराया। अफसरों ने भी अलग-अलग वाहनों और काफिलों के साथ लगातार शहर का दौरा कर स्थिति पर नियंत्रण रखा। यहां विशेष रूप से भेजे गए आईएएस भुवनेश कुमार और डीआईजी एटीएस दीपक रतन ने शहर के संवदेनशील इलाकों का दौरा करके अधीनस्थों का दिशा-निर्देश दिए।

मंडलायुक्त तनवीर जफर अली और डीआईजी एन रविंद्र ने भी संयुक्त रूप से शहर का दौरा किया। डीएम संध्या तिवारी और एसएसपी राजेश पांडे ने भी संयुक्त रूप से शहर का जायजा लिया। आईजी राजेश शर्मा अपने दल-बल के साथ पुराने शहर में डेरा डाले रहे। उन्होंने ड्रान कैमरे के माध्यम से पुराने शहर की स्थिति पर नजर रखी। इसके अलावा एसपी देहात वैभव कृष्ण भी शहर के चक्कर लगाते रहे।

कुल मिलाकर आज अफसरों के अलग-अलग काफिल शहर की सड़कों पर दौड़ते नजर आए। हर महत्वपूर्ण स्थानों पर भारी फोर्स तैनात किया गया। मिश्रित आबादी वाले इलाकों में सुरक्षा ज्यादा बढ़ा दी गई है। शाम तक शहर के किसी भी स्थान से किसी अप्रिय घटना का समाचार न आने के चलते पर अफसरों ने राहत की सांस ली है। शहर में लगातार दूसरे दिन कफ्यरू जारी रहा। कुछ लोगों को उम्मीद थी कि प्रशासन कुछ मोहलत देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

रविवार को कोई घटना नहीं हुई: डीएम

रविवार की शाम को डीएम संध्या तिवारी ने रुटीन की प्रेस वार्ता में दो दिन में प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डीएम ने बताया कि अभी तक 38 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। दंगे के अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए वीडियोग्राफी और समाचार पत्रो का सहारा लिया जा रहा है। आरोपियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। संध्या ने बताया कि थाना कुतुबशेर में नौ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

22 दुकानों का अभी तक चिह्नितकरण

डीएम ने बताया प्रशासन दंगों के दौरान नुकसान का आंकलन करा रहा हैा। अभी तक 22 दुकानों का आंकड़ा सामने आया है। 15 चौपहिया वाहनों को आग के हवाले किया गया है। और भी जनकारी जुटाई जा रही है।

पूर्व सभासद पप्पू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

डीएम ने बताया कि थाना कुतबशेर में दंगा कराने के आरोपियों में एक पूर्व सभासद मोहर्रम अली पप्पू को भी नामजद किया गया है। अन्य आरोपियों को भी किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

सहारनपुर दंगे से सिखों में उबाल

सहारनपुर दंगे में करोड़ों की संपत्ति जलाए जाने और एक सिख की हत्या के विरोध में मेरठ में गुरुद्वारा सिंह सभा थापरनगर में जिले की 32 गुरुद्वारा कमेटी की बैठक हुई। इस घटना पर रोष जताते हुए कई प्रस्ताव पास किए गए। 40 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को आईजी जोन को ज्ञापन देगा। इसमें दंगे के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और पीड़ितों को सुरक्षा देने की मांग की जाएगी। बैठक के दौरान युवा सिखों के आक्रोश के चलते कई बार हंगामे की स्थिति पैदा हुई।

रविवार शाम गुरुद्वारा सिंह सभा थापरनगर में शहर की सभी गुरुद्वारा कमेटी के पदाधिकारियों की बैठक हुई। सरदार रणजीत सिंह नंदा ने कहा कि सहारनपुर की घटना में प्रशासन की गलती है। सिखों का उस जमीन पर पिछले 25 साल से कब्जा था और उस जमीन के कागजात भी उनके पास हैं। अगर दूसरे पक्ष को कुछ संदेह था तो उन्हें ऊपरी अदालत में जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह किस कानून में लिखा है रात में किसी धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ कर वहां नरसंहार किया जाए।

दिन में अरबों रुपये की संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया। राष्ट्रीय सिख संगत के सरदार राजेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रकरण को सुलझाना होगा। जिम्मेदार लोग इसका रास्ता निकालने में लगे हैं। जिन सिखों को भारी नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति की जाए। गुरुनानक सिंह सभा के सरदार दलजीत सिंह ने कहा कि सोमवार को सभी 32 गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रतिनिधिमंडल, विधायक और सांसद के साथ आईजी जोन आलोक शर्मा को ज्ञापन देगा।

दंगे के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और पीड़ितों को सुरक्षा देने की मांग की जाएगी। बैठक में मुख्य रूप से सरदार नरेंद्र सिंह, भाजपा नेता कमलदत्त शर्मा, पार्षद संजय सूरी, प्रधान हरमीत सिंह, सरदार तख्त सिंह, सरदार डिम्पल सिंह, सरदार दिलीप सिंह के अलावा पंजाबी संगठन, रामा संकीर्तिन, संयुक्त व्यापार संघ और तमाम संगठनों के लोग मौजूद रहे। 

ये प्रस्ताव हुए पास

40 लोगों का प्रतिनधिमंडल आईजी जोन से मिलेगा
32 लोगों की बनेगी कमेटी, सहारनपुर पीड़ितों से मिलेंगे
सिख समाज के संस्थानों की सुरक्षा की मांग करेंगे
पीड़ितों के नुकसान की भरपाई करे सरकार

घायल लोगों से मिलने पहुंचीं किरन जाटव

मेडिकल में भर्ती सहारनपुर दंगे के घायलों को देखने के लिए यूपी एससी-एसटी आयोग की सदस्य आरसी किरन जाटव रविवार दोपहर मेडिकल पहुंचीं। उन्होंने घायलों का हाल जाना और डॉक्टरों से कहा कि घायलों के इलाज में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। मेडिकल कालेज में सहारनपुर दंगे में घायल दो पुलिसकर्मियों समेत छह लोगों का उपचार चल रहा है। रविवार दोपहर किरन जाटव ने यहां पहुंचीं और घायलों का हाल जाना। कुछ तीमारदारों ने घायलों के उपचार में कोताही बरते जाने की शिकायत की। बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि पुलिस-प्रशासन और सरकार इस मामले में कार्रवाई कर रही है। लोगों को भाईचारा और सौहार्द्र मजबूत बनाए रखना चाहिए।

दंगा भड़काने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा: आजम

नगर विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री मोहम्मद आजम खां ने कह कि दंगा कराने वालों से सरकार सख्ती से निपटेगी। वह गेस्ट हाउस में मीडिया से मुखातिब थे। रविवार की दोपहर में हुई पत्रकार वार्ता में आजम खां ने कहा कि साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की किसी को इजाजत नहीं दी जाएगी। मेरठ में माहौल बिगाड़ने की साजिश हो रही थी, जिसे नाकाम किया। कमेला हटवाकर उसकी जगह लड़कियों का इंटर और डिग्री कालेज का निर्माण करा दिया। दंगों की बाबत कहा कि फिरकापरस्त ताकतें दंगे कराकर उप चुनाव की तैयारी कर रही है। नागपुर में इस पर शोध किया गया है। लेकिन, जनता सब समझती है। बताया कि सहारनपुर में हालात सामान्य हैं।

लखनऊ में वक्फ बोर्ड के मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर चुनाव होना है। वहां दो गुट हैं और एक गुट को हारने की चिंता सता रही है। इसलिए बवाल हो रहा है। उन्होंने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी जुबान काफी फिसलती है लगता ही नहीं कि वह टकसाली व्यक्ति हैं या राजनीतिक। उत्तराखंड में आए चुनाव नतीजों पर बोले कि उत्तराखंड में भाजपा तीनों सीटिंग सीट हार गई और मीडिया ने कोई टिप्पणी नहीं की।

सहारनपुर दंगा यूपी की बदतर स्थिति का नमूना: बसपा

बहुजन समाज पार्टी ने आरोप लगाया है कि सहारनपुर दंगा प्रदेश की जर्जर कानून-व्यवस्था और बद से बदतर होते जा रहे हालात का नमूना है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व विधानसभा में नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से बातचीत में सहारनपुर दंगों के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। मौर्य ने कहा कि सहारनपुर में अगर पुलिस-प्रशासन कुंभकर्णी नींद में नहीं सो रहा होता तो शहर अराजकता की आग में जलने के लिए मजबूर नहीं होता। मुजफ्फरनगर के दंगे के बाद सपा सरकार चेत गयी होती तो कांठ और सहारनपुर की घटनाएं न होती। उन्होंने सरकार से कांठ और सहारनपुर में अमन-चैन बहाल करने के लिए सख्ती से काम लेने की अपील की।

मौर्य ने सहारनपुर दंगे में मारे गए लोगों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए और घायलों को एक-एक लाख रुपए राहत राशि देने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को कांठ में साम्प्रदायिकता फैलाने वालों से भी सख्ती से निपटना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने तलब की रिपोर्ट

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सहारनपुर की घटना को गंभीरता से लेते हुए अफसरों से इसकी रिपोर्ट तलब की है। इस घटना के बाद हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसी भी हालत में इसके लिए जिम्मेदार व दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने घायलों के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए उनके इलाज हेतु बेहतर प्रबन्ध किए जाने को कहा है। यादव ने इस घटना में मरने वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि हर हाल में सद्भाव और सौहार्द बनाए रखा जाए तथा शान्ति व्यवस्था को प्रभावित करने वाले असामाजिक तत्वों को पहचान कर, उनके विरुद्घ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए हैं।

दिनभर अफसरों से फीडबैक लेते रहे मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए शनिवार का दिन खासा गहमागहमी भरा रहा। एक ओर सहारनपुर के खराब हालात तो दूसरी ओर कांठ में भाजपा का आंदोलन और लखनऊ में तनावपूर्ण शान्ति जैसा माहौल। ऐसे में मुख्यमंत्री दिन भर अपने आला पुलिस व शासन के अधिकारियों से फीडबैक लेते रहे और हालात को सामान्य बनाने के लिए जरूरी निर्देश देते रहे।

सहारनपुर के दंगे सुनियोजित साजिश: कलराज

केन्द्रीय सूक्ष्म, मध्यम तथा लघु उद्योग मंत्री कलराज मिश्र ने रविवार को राज्यपाल राम नाइक से मुलाकात की। समझा जाता है कि उन्होंने राज्यपाल से सहारनपुर और लखनऊ में हुई घटनाओं के साथ ही पूरे प्रदेश की स्थिति पर चर्चा की। हालांकि, भाजपा सूत्रों ने इस मुलाकात को मात्र शिष्टाचार भेंट करार दिया है। सूत्रों का कहना है कि नाइक द्वारा राज्यपाल की शपथ लेने के बाद से मिश्र लखनऊ नहीं आए थे। रविवार को केन्द्रीय मंत्री एक कार्यक्रम के सिलसिले में जब राजधानी आ,  तो उन्होंने राज्यपाल से शिष्टाचार भेंट की। मिश्र ने ‘हिन्दुस्तान’ से कहा कि राज्यपाल वरिष्ठ राजनेता और हमारे पुराने मित्र हैं। इसीलिए उनसे मिलने गया था। 

बाद में कुछ पत्रकारों से बात करते हुए मिश्र ने सहारनपुर के दंगों को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों ने जिस तरह दूसरे पक्ष पर हमला किया, उससे यह दंगा कहीं न कहीं से सुनियोजित लग रहा  है। एक पक्ष के लोग जमीन को कब्जाना चाहते थे। जिस तरह से यह सब हुआ, यह किसी न किसी षड्यंत्र को उजागर करता है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस घटना में राष्ट्रविरोधी तत्वों का हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मुजफ्फरनगर दंगों में आईएसआई का हाथ होने की गोपनीय सूचना का  जिक्र किया था। राज्य सरकार ने भी विधानसभा में यह स्वीकार किया था कि प्रदेश के कई दर्जन जिलों में आईएसआई की गतिविधियां रही हैं। इनमें सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर आदि जिलों के नाम भी थे। कोई मुश्किल नहीं राष्ट्रविरोधी ये ताकतें सहारनपुर के दंगे के पीछे हों। निश्चित रूप से सुनियोजित साजिश के तहत सहारनपुर की घटना को अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि यह देखने का का राज्य सरकार का है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को गंभीरता से कदम उठाने चाहिए। एक सवाल के जवाब में मिश्र ने कहा कि सहारनपुर के मामले में कहीं भी भाजपा नहीं आती है। इस मुद्दे को सरकार राजनीतिक मुद्दा बना रही है जो गलत है।

तीरगरान से सबक लेते, तो नहीं सुलगता सहारनपुर

मुजफ्फरनगर दंगे के वक्त से ही पुलिस-प्रशासन न तो कोई सबक लेने को तैयार है, और न ही अपनी कार्यशैली बदलने की कोई इच्छाशक्ति दिखा रहा है। पुलिस-प्रशासन के जिलों में तैनात अफसर न तो खुद कोई फैसला लेते दिख रहे हैं और न ही कोई पहल हो रही है। सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने रहने का ट्रेंड सा हो गया है। सहारनपुर में भी गुरुद्वारे की जमीन के मामले में हाईकोर्ट का फैसला पुलिस-प्रशासन के संज्ञान में था। दो संप्रदायों में अंदर ही अंदर सुलग रहे तनाव से भी आला अफसर जानबूझकर अनजान बने रहे।

मेरठ के तीरगरान में 12 मई को ठीक ऐसे ही मामूली से दिखने वाले विवाद ने आग लगा दी थी। तीरगरान मोहल्ले में कुएं पर एक संप्रदाय के लोगों ने प्याऊ लगाई तो दूसरे संप्रदाय ने इसे कब्जे की साजिश करार दिया। पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। दोनो संप्रदाय के लोग भिड़ गए। पथराव, गोलीबारी, आगजनी और हत्या से पूरे शहर में दहशत फैल गई। शासन से भी गाइडलाइन आई कि वेस्ट यूपी के सभी जिलों में ऐसे विवादित मसलों को चिहिन्‍त किया जाए।

सभी जिलों से लखनऊ तक कागज दौड़ने लगे। दो महीने बीतते ही सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया। सहारनपुर को भी ऐसे ही विवाद ने हिंसा की आग में जला डाला। थोड़ा और पीछे जाएं तो मुजफ्फरनगर दंगे में भी ठीक ऐसा ही हुआ। कवाल कांड के पहले मलिकपुरा और कवाल के युवकों में तनातनी का मामला पुलिस-प्रशासन की जानकारी में समय रहते आ गया था। ठोस कार्रवाई हो जाती तो हालात काबू में होते। कवाल में सचिन, गौरव और शाहनवाज की हत्याएं हुईं तो पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई का अभियान सा छेड़ दिया और पूरा वेस्ट यूपी सुलग उठा। कवाल से तीरगरान और सहारनपुर तक सिर्फ लखनऊ के ही इशारे का इंतजार किया जाता रहा।

बरसों जलाएगी दंगे की आग

दंगे की आग भड़काने वाले गुनाहगारों के अपने मंसूबे तो शायद पूरा हो जाते हों, लेकिन इसकी लपटें बरसों बरस गरीबों की रोटियों को जलाती रहती हैं। सहारनपुर की मंसूर कॉलोनी में रहना वाला नदीम वहां इंदिरा चौक पर फलों का ठेला लगता है। शनिवार सुबह वह घर से फल बेचने के लिए निकला था। उसे जरा भी अहसास नहीं था कि जमीन के एक छोटे से टुकड़े के लिए उठी आग उसके परिवार के मुंह से निवाला छीन लेगी।

नदीम पुत्र शकील अपने आठ बहन-भाइयों में सबसे बड़ा है। वह फल बेचकर परिवार के लिए रोटी कमाता है। शनिवार सुबह करीब नौ बजे वह पास के ही गांव खेड़ा से आम लेने गया था। जब वह कुतुबशेर थाना क्षेत्र में पहुंचा तो अचानक दंगा भड़क उठा। सैकड़ों की भीड़ अचानक आगजनी और फायरिंग करने लगी। नदीम जान बचाकर भागा तभी एक गोली उसके पैर में आ लगी। जब उसे होश आया तब उसने खुद को मेरठ के मेडिकल अस्पताल में भर्ती पाया। डॉक्टरों का कहना है कि नदीम का पैर में इंफेक्शन का खतरा है। इसका पता जब नदीम को लगा तो उसकी आंखें भर आईं। उसके आंखों में छोटे भाई-बहनों की परवरिश की चिंता तैर आई।

बवाल की आग में नदीम अकेला ही नहीं झुलसा है। चांद कॉलोनी निवासी मोनू उर्फ तौसीक घर में सबसे बड़ा है। पिता दो साल पहले पांच छोटे भाइयों, एक बहन और बीमार मां का भार उसके कंधों पर छोड़कर चल बसे थे। मोनू कबाड़ी का काम करके सो दो सौ रुपये की रोजी कमाता है। रोजाना की तरह रोजी रोटी की तलाश में निकला मोनू शनिवार सुबह गागलहेड़ी से पुराने टायर लेने गया था। वापसी में मोनू अपना रेहड़ा लेकर कुतुबशेर चौराहे पर पहुंचा तो वहां घात लगाए बैठे दंगाइयों ने उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी और गोली उसकी रीढ़ की हड्डी में आ फंसी। पीछे आ रहे उसके दोस्त शाहिद ने जान पर खेलकर उसे किसी तरह वहां से निकाला और अस्पताल तक पहुंचाया। डॉक्टरों ने उसे मेडिकल कॉलेज मेरठ रेफर किया। रोजी रोटी की तलाश में निकले न जाने ऐसे कितने ही नौजवान सांप्रदायिक हिंसा के भेंट चढ़ गए। आठ घायल मेरठ मेडिकल में लाए गए। चार को यहां से दिल्ली रेफर कर दिया गया।

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