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जदयू के बागी खेमे का अंदाज बदला

नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में जदयू के बागी खेमा का अंदाज बिल्कुल बदला-बदला नजर आया। शपथ लेने राजभवन के राजेन्द्र मंडप में नीतीश कुमार के पहुंचने के पहले ही जीतन राम मांझी आ चुके थे। अगली कतार...

जदयू के बागी खेमे का अंदाज बदला
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 22 Feb 2015 10:06 PM
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नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में जदयू के बागी खेमा का अंदाज बिल्कुल बदला-बदला नजर आया। शपथ लेने राजभवन के राजेन्द्र मंडप में नीतीश कुमार के पहुंचने के पहले ही जीतन राम मांझी आ चुके थे। अगली कतार में बैठे विशिष्ट अतिथियों से मिलने के बाद नीतीश कुमार जब जीतन राम मांझी के पास पहुंचे तो मांझी ने नीतीश कुमार से हाथ मिलाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं। नीतीश एकटक मांझी को देखते रहे और विनम्र भाव से मांझी को बैठने का अनुरोध किया और आगे बढ़ गए।

नीतीश कुमार ने पूरे हॉल में घूम-घूमकर कर लोगों की बधाइयां स्वीकारीं। इस दौरान पृर्व कृषि मंत्री और मांझी के निकटतम सहयोगी रहे नरेन्द्र सिंह लपक कर नीतीश कुमार के गले लग गए। नीतीश ने कहा-क्या नरेन्द्र भाई कहां भाग जाते हैं? नरेन्द्र सिंह ने कहा, मैं भागता नहीं, आप भगा देते हैं। भीड़ से घिरे नीतीश कुमार के पैर छूकर पूर्व कला संस्कृति मंत्री विनय बिहारी ने उन्हें बधाई दी। नीतीश ने मुस्कुरा कर उनकी इस विनम्र बधाई को स्वीकार किया। समारोह में शामिल होकर काफी खुश दिख रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरीष्ठ नेता मोतीलाल बोरा ने कहा कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से धर्मनिरपेक्ष ताकतें एक होंगी। उन्होंने कहा कि आज एक नया अध्याय शुरू हो हुआ है। मुझे विश्वास है नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार आगे बढ़ेगा।

बिहार कांग्रेस प्रभारी सीपी जोशी ने कहा कि नीतीश कुमार के बागडोर संभालने से बिहार फिर से तेज गति से विकास की पटरी पर दौड़ेगा। समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई मंत्रियों के परिजन भी शामिल रहे। एक पूरे कतार में नीतीश कुमार के परिजन बैठे थे। उनके बड़े भाई सतीश कुमार, पुत्र निशांत, बहन उषा देवी, भांजा सुनील कुमार सिन्हा, नाती-नतिनी समेत कई बच्चे भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। समारोह के बाद नीतीश कुमार के बड़े भाई सतीश कुमार ने कहा-चलिए अच्छा हुआ, तनाव से मुक्ति मिल गई। उधर शपथ ग्रहण समारोह के बाद विशिष्ट अतिथियों के लिए राजभवन के ऊपरी कक्ष में नाश्ते की व्यवस्था तक जीतन राम मांझी गए तो जरूर पर जल्द ही वहां से निकल गए। बाद में राज्यपाल के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा उन्हें राजभवन के लॉन में जहां, आम लोगों के लिए नाश्ते की व्यवस्था थी, वहां खोजते नजर आए।

दर्जनों विधायकों को नहीं मिली कुर्सी
शपथ ग्रहण समारोह के लिए राजेन्द्र मंडप छोटा पड़ गया। आलम यह था कि 700 कुर्सियों की क्षमता वाले इस प्रेक्षागृह में करीब इतने ही लोग खड़े थे। जदयू, राजद के विधायक भी खड़े होकर समारोह को देखते पाए गए। कई महिला विधायकों का भी यही आलम रहा। इनमें अनु शुक्ला, नीता चौधरी के साथ ही भाजपा विधायक रश्मि वर्मा भी थीं। एक समय तो जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह भी बिना कुर्सी के हो गए थे। नजर पड़ते ही जदयू के कुछ नेताओं ने कहीं से एक कुर्सी की व्यवस्था उनके लिए की। कई आएएस, आईपीएस पीछे खड़े रहे। किसी ने राजद विधायक अजय कुमार बुल्गानिन को जब अपनी कुर्सी आफर की तो बुल्गानिन ने कहा-सीट पकड़े हैं, पकड़े रहिए। यहां सीटे की तो लड़ाई है।

मंच, माइक, पर्दा भी पर समवेत संवाद रहे अस्पष्ट
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ 22 मंत्रियों ने शपथ ली। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने राज्यपाल की अनुमति से इनके मनोनयन की अधिसूचना पढ़ी। राजेन्द्र मंडप के सुसज्जित मंच पर कर्टेन (पर्दा) तो था ही मंत्रियों को शपथ लेने के लिए 5 माइक की भी व्यवस्था की गई थी। राज्यपाल के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने पांच-पांच की संख्या में चार बार यानी बीस मंत्रियों को और अंत में दो मंत्रियों नौशाद आलम, विनोद प्रसाद यादव को शपथ लेने बुलाया। राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी मैं कहते और आगे इकळे 5 मंत्री अपना-अपना शपथ पत्र पढ़ते। पर आपसी तारतम्य गड़बड़ा जाता। एक-दूसरे के शब्द आगे-पीछे होने से संवाद अस्पष्ट हो जाते। पहले खेप में जब पांच मंत्रियों क्रमश: विजय कुमार चौधरी, विज्येन्द्र प्रसाद यादव, रमई राम, दामोदर रावत और नरेन्द्र नारायण यादव ने शपथ पढ़ना शुरू किया तो दर्शक दीर्घा से ठहाके भी गूंजे लेकिन दूसरे से लेकर पांचवें समूह तक आते-आते मंत्री और दर्शक दोनों अभ्यस्त हो गए थे।

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