शबनम और सलीम की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
अपने परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाली युवती शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी देने की सजा पर अमल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने ही इन दोनों को 15 मई को फांसी की सजा...
अपने परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाली युवती शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी देने की सजा पर अमल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने ही इन दोनों को 15 मई को फांसी की सजा देने का आदेश सुनाया था। सामूहिक हत्याकांड की ये वारदात 2008 में यूपी में अमरोहा में हुई थी। हालांकि यह खबर हिन्दुस्ता ने 30 अप्रैल को ही प्रकाशित कर दी थी।
जस्टिस एके सीकरी और यूयू ललित की अवकाशकालीन पीठ ने यह आदेश सोमवार को दंपति की रिट याचिका पर जारी किया। उनकी याचिका कोर्ट की रजिस्ट्री में पहुंच चुकी है लेकिन खामियों के कारण वह सोमवार को जजों के सामने नहीं आ सकी। इसलिए फांसी की सजा पर स्टे लगाकर मामले की अगली सुनवाई 27 मई को तय कर दी गई। अमरोहा कोर्ट ने 21 मई को उनके नाम से ब्लैक वारंट जारी कर मौत की सजा देने की तारीख के लिए सुनवाई की तारीख तय दी थी।
शबनम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने मौखिक रूप से कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले को मौत की सजा देने की तारीख तय करने से पहले सुन लिया जाए। उन्होंने कहा कि दोनों अपनी सजा के खिलाफ समीक्षा याचिका और राष्ट्रपति को क्षमा याचना अर्जी देना चाहते हैं। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2013 में दोनों को मौत की सजा देने के सेशन कोर्ट के 2010 के फैसले को सही ठहराया था।
सलीम और शबनम का एक दूसरे से प्यार था। सलीम बेकार था जबकि शबनम शिक्षामित्र के रूप में एक स्कूल में पढ़ाती थी। वे दोनों शादी करना चाहते थे और शबनम का परिवार इसके सख्त खिलाफ था। 15 अप्रैल 2008 को सलीम और शबनम ने मिलकर पूरे परिवार का गला काटकर हत्या कर दी।