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गेल की डबल सेंचुरी में भारत का भी है बड़ा योगदान

विश्व कप 2015 में भारत से बनकर गए बल्ले भी अपनी धाक जमा रहे हैं। विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ वेस्टइंडीज के क्रिस गेल ने मंगलवार को तूफानी पारी खेलकर कई वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाले। 16 छक्कों और 10...

गेल की डबल सेंचुरी में भारत का भी है बड़ा योगदान
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 25 Feb 2015 11:37 AM
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विश्व कप 2015 में भारत से बनकर गए बल्ले भी अपनी धाक जमा रहे हैं। विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ वेस्टइंडीज के क्रिस गेल ने मंगलवार को तूफानी पारी खेलकर कई वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाले। 16 छक्कों और 10 चौकों की बदौलत 215 रन बनाने वाले गेल, वर्ल्ड कप में दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने। दिलचस्प यह है कि इस जबरदस्त पारी के पीछे भी जालंधर में बने बल्ले का कमाल है।

गेल ने जिस बल्ले से मंगलवार को डबल सेंचुरी लगाई, वह जालंधर की 'स्पार्टन स्पोर्ट्स' में बना है। क्रिस गेल ने अपने बल्ले को ऑस्ट्रेलिया की पिच के अनुरुप बनवाया है। गेल के दोहरे शतक से स्पार्टन स्पोर्ट्स के मालिक और बल्ला बनाने वाले कारीगर खासे उत्साहित हैं। स्पार्टन स्पोट्स के अमित शर्मा ने कहा कि गेल हमारे बैट का इस्तेमाल पिछले दो साल से कर रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से 1250 से 1300 ग्राम के वजनी बल्ले की मांग की थी। हमनें उन्हें 15 बैट भेजे थे और उनका वह इस्तेमाल करते हैं।

शर्मा ने कहा कि उन्हें गर्व है कि क्रिस गेल ने उनके यहां से भेजे गए बल्ले से दोहरा शतक लगाया। उन्होंने कहा कि क्रिस गेल की इस पारी से जालंधर में निर्मित होने वाले खेल के सामानों की मांग बढेगी। शर्मा ने कहा कि क्रिस गेल ही नहीं, टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी भी हमारे यहां बने बल्ले का इस्तेमाल करते हैं। हमें उम्मीद है कि यहां बने बल्ले से धौनी भी एक यादगार पारी खेलेंगे।

इसके अलावा इंग्लैंड के कप्तान इयान मोर्गन, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क भी यहां बने बल्ले का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, बीट ऑल स्पोर्ट्स के सोमी कोहली ने कहा कि महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, हाशिम अमला, डेरेन सैमी, एंग्लो मैथ्यूज जैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर भी जालंधर में बने बल्ले का इस्तेमाल करते रहे हैं। सोमी लंबे समय तक सचिन के बल्ले का निर्माण और उसकी मरम्मत करते रहे हैं। भारत को खेल के सामानों के निर्माण और निर्यात में चीन और पाकिस्तान से टक्कर मिल रही है। बंटवारे से पहले खेल के सामानों के निर्माण का मुख्य स्थान सियालकोट हुआ करता था जो कि आज पाकिस्तान के हिस्सा में आ गया है।

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