फोटो गैलरी

Hindi Newsयमन की हिंसा में फंसे 358 भारतीय वायुसेना के विमान से भारत पहुंचे

यमन की हिंसा में फंसे 358 भारतीय वायुसेना के विमान से भारत पहुंचे

संकटग्रस्त यमन में भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए चलाए गए सरकार के पहले बड़े अभियान के तहत 190 भारतीय नागरिकों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान आज तड़के यहां पहुंचा। बचाए गए लोगों में नर्सें और...

यमन की हिंसा में फंसे 358 भारतीय वायुसेना के विमान से भारत पहुंचे
एजेंसीThu, 02 Apr 2015 06:01 PM
ऐप पर पढ़ें

संकटग्रस्त यमन में भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए चलाए गए सरकार के पहले बड़े अभियान के तहत 190 भारतीय नागरिकों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान आज तड़के यहां पहुंचा। बचाए गए लोगों में नर्सें और मजदूर तथा अन्य लोग शामिल हैं। ये लोग भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से यहां पहुंचे और इसके साथ ही सप्ताहभर से चला आ रहा उनका संकट समाप्त हो गया।

भारतीय वायुसेना का सी 17 ग्लोबमास्टर विमान भारतीय नागरिकों को लेकर तड़के करीब सवा तीन बजे शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। बचाव अभियान के तहत यह दूसरी उड़ान थी। इससे पूर्व आधी रात के बाद दो बजे भारतीय वायुसेना का विमान यमन से 168 भारतीय नागरिकों को लेकर कोच्चि में उतरा था।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि बचाए गए लोगों से संबंधित कागजी कार्रवाई लंबित होने के कारण मुंबई आने वाला विमान जिबूती से समय पर उड़ान नहीं भर सका था। सूत्रों ने बताया कि कई लोगों के पास उनके पासपोर्ट तक नहीं थे इसलिए उड़ान में देरी हुई। महाराष्ट्र के पर्यटन और विधायी मामलों के मंत्री प्रकाश मेहता तथा सांसद किरीट सोमैय्या हवाई अड्डे पर लोगों की अगवानी करने के लिए मौजूद थे। ये लोग उन 350 भारतीयों में शामिल थे, जो यमन के बंदरगाह शहर अदन से नौसेना के एक पोत द्वारा बचाए जाने के बाद जिबूती पहुंचे थे।

इस बीच, केंद्रीय रेलवे ने इन लोगों को उनके गृह नगरों तक पहुंचने के लिए मुफ्त यात्रा सुविधा प्रदान करने की पेशकश की है। विमान के सह पायलट विंग कमांडर विक्रम एबी ने बताया कि बचाव अभियान बेहद मुश्किल था क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध नहीं था। एबी ने बताया कि विमान के चालक दल को बचाव अभियान के बारे में 30 मार्च को बताया गया और विमान ने कल भारत से उड़ान भरी थी।

बचायी गयी एक महिला मैरी एम्मा वर्गीज ने बताया कि वह पिछले दो साल से अदन के एक अस्पताल में नर्स के तौर पर कार्यरत थी और एक दिन अचानक भारी धमाके की आवाज सुनी और इसके बाद मैंने काम पर जाना बंद कर दिया। उसने बताया कि सभी दुकानें बंद हो गयीं और कई दिनों तक हमारे पास खाना भी नहीं था।

विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि 350 लोगों में से 206 केरल के, 40 तमिलनाडु के, 31 महाराष्ट्र के, 23 पश्चिम बंगाल से और 22 दिल्ली से हैं। कुछ लोग अन्य राज्यों के हैं। भारतीयों को सोमवार की रात आईएनएस सुमित्रा पोत ने निकाला, जो क्षेत्र में जलदस्यु विरोधी गश्त पर था और इसे वहां से बचाव अभियान के लिए रवाना किया गया। शहर में भारी लड़ाई छिड़ने के कारण इस पोत को लंगर डालने के लिए मंजूरी हासिल करने में कई घंटों का समय लगा।

 इस बीच, मध्य रेलवे केरल, चेन्नई और कोलकाता को जाने वाली गाड़ियों में अतिरिक्त कोच लगाएगा, ताकि यमन से लौटे भारतीय नागरिक अपने घर आराम से पहुंच सकें। मध्य रेलवे के महाप्रबंधक सुनील कुमार सूद ने बताया कि हम केरल जाने वाली मंगला एक्सप्रेस, चेन्नई जाने वाली चेन्नई मेल और कोलकाता जाने वाली दुरंतो एक्सप्रेस में अतिरिक्त डिब्बे लगाएंगे ताकि ये लोग जल्द अपने घरों को पहुंच सकें। इनमें 60 लोग केरल जाने वाले, 40 चेन्नई और 30 कोलकाता जाने वाले हैं।

सूद ने बताया कि रेलवे ने आपात कोटे के तहत टिकट बुक कराने वाले सामान्य यात्रियों से अपील की है कि वे अपनी यात्रा को एक दो दिन के लिए स्थगित कर दें, ताकि उनके टिकटों का इस्तेमाल यमन से लौटे लोगों द्वारा किया जा सके। सामान्य यात्री इस बात पर सहमत हो गए हैं। इस बीच यमन से लौटी फैजू नामक एक नर्स ने बताया कि यमन का शहर सना गृह युद्ध में लगभग पूरी तरह नष्ट हो गया है और लड़ाके बंदरगाह शहर अदन की ओर बढ़ गए हैं।

सना में बतौर नर्स काम करने वाली फैजू ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि हमें कोई वेतन नहीं दिया गया। हमसे अधिक घंटों तक काम कराया गया क्योंकि सभी स्थानीय नर्सें अस्पताल से चली गयी थीं। उसने साथ ही बताया कि अदन में अभी भी करीब 300 भारतीय लोग फंसे हो सकते हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें