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एबीवीपी ने जीत का श्रेय नरेंद्र मोदी सरकार को दिया

डूसू 2014 की सत्ता पर एबीवीपी ने कब्जा किया है। एबीवीपी की जीत में चार साल का डिग्री प्रोग्राम (एफवाईयूपी) का मुद्दा अहम रहा। एबीवीपी ने डूसू 2013 की सत्ता में रहते हुए  इसे खत्म कराया था। इसका...

एबीवीपी ने जीत का श्रेय नरेंद्र मोदी सरकार को दिया
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 13 Sep 2014 09:15 PM
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डूसू 2014 की सत्ता पर एबीवीपी ने कब्जा किया है। एबीवीपी की जीत में चार साल का डिग्री प्रोग्राम (एफवाईयूपी) का मुद्दा अहम रहा। एबीवीपी ने डूसू 2013 की सत्ता में रहते हुए  इसे खत्म कराया था। इसका फायदा संगठन को हुआ। उधर, एनएसयूआई को  एफवाईयूपी के प्रति देरी से अपना रुख साफ करने का खामियाजा उठाना पड़ा।

इतना ही नहीं, शुरू से एफवाईयूपी को लेकर सक्रिया रहा आइसा जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूसू) के पिछले कार्यकाल के कारण विवादों में रहा। दरअसल, जेएनयू छात्र संघ 2013 की सत्ता पर काबिज रहे आइसा के सदस्यों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे। डीयू में प्रचार के दौरान कई कॉलेजों के छात्रों ने इस मसले पर आइसा को घेरा भी। एबीवीपी और एनएसयूआई ने यह मुद्दा छात्रों के बीच भी रखा।

नतीजतन, डीयू में इस संगठन को उम्मीद के मुताबिक वोट नहीं मिले। बहरहाल, एबीवीपी ने जीत का श्रेय मोदी सरकार को दिया। जीत के बाद पहली प्रतिक्रिया देते हुए नवनिर्वाचित अध्यक्ष मोहित नागर ने कहा, ‘इस जीत का श्रेय मोदी सरकार को जाता है क्योंकि उन्होंने एफवाईयूपी की कमियों को समझा।
इसे खत्म किया। यह जीत एफवाईयूपी के खिलाफ एबीवीपी के हर कार्यकर्ता और छात्रों की जीत है।’ इसके अलावा राष्ट्रीय मंत्री रोहित चहल ने कहा कि हम पहले दिन से इस डिग्री प्रोग्राम के खिलाफ थे। पिछले चुनाव में हमने इसे रद्द कराने का वादा किया और उसे पूरा किया इसलिए हमें वोट मिले। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी कमियों को समझा और छात्र हित में इसे रद्द करने का फैसला लिया।  बता दें कि मतदान  दो चरणों में हुआ था। कुल 43 प्रतिशत मतदान हुआ। करीब एक लाख छात्र मत देने की पात्रता रखते थे।

एनएसयूआई एफवाईयूपी पर उलझा रहा: पिछले और इस बार का परिणाम एनएसयूआई के खिलाफ रहा। पिछले साल सिर्फ एक सीट एनएसयूआई को मिली। इस बार वो भी उसके हाथ से निकल गई। दरअसल, संगठन का एफवाईयूपी को लेकर स्पष्ट रुख नहीं था।  2012 -13 में एनएसयूआई डूसू की सत्ता में था। उसी दौरान एफवाईयूपी लागू हुआ। एनएसयूआई ने इसका समर्थन किया।  जब छात्र इसके विरोध में उतरे और तमाम संगठनों ने आंदोलन किया तो संगठन ने उसके काफी बाद भी इसका विरोध नहीं किया। पिछले साल चुनाव में एबीवीपी से करारी हार के बाद एनएसयूआई ने अपना रुख साफ किया। तब तक एबीवीपी और आइसा एफवाईयूपी के मुद्दे पर हर छात्र तक पहुंच बना चुके थे। ऐसे में संगठन उलझा रहा।

हालांकि एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोजी एम जॉन का कहना है कि हमने पहले छात्र हित में इसका समर्थन किया था मगर जब छात्र इसके विरोध में उतरे तो हमने इसे रद्द कराने के लिए भूख हड़ताल तक की।
आइसा का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर नहीं रहा: आइसा एक मात्र ऐसा संगठन था जिसने एबीवीपी के साथ-साथ एफवाईयूपी को लेकर आंदोलन किया। बीते साल के चुनाव में संगठन को इसका फायदा मिला था। बता दें कि इस मुद्दे से पहले आइसा डीयू के इतिहास में अब तक किसी भी पद के लिए तीन हजार के आंकड़े को नहीं छू पाया था। मगर पहली बार पिछले चुनाव में कई गुणा वोटों में इजाफा हुआ। 2013 में अध्यक्ष पद की प्रत्याशी रहीं अंजलि को 8,229 वोट मिले थे।

2012 में संगठन की उम्मीदवार निकिता सिन्हा को केवल 2,939 वोट मिले थे। संगठन को पिछले साल के परिणाम के अनुसार इस बार बेहतरी की उम्मीद थी मगर वह जेएनयूसू के कार्यो के कारण पिछड़ गया। इस बार आइसा के अध्यक्ष पद की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार मुधरिमा को 10163 वोट मिले। हार पर आइसा की मधुरिमा ने कहा कि हार जीत कुछ मायने नहीं रखती। हम छात्रों के हित में लड़ते आए  हैं। एफवाईयूपी की तरह हॉस्टल के मुद्दे पर आगे भी संघर्ष करेंगे।

कब किसने बाजी मारी
- 2010 में एबीवीपी की झोली में सेंट्रल पैनल की शीर्ष तीन पद आए थे। एनएसयूआई के खाते में केवल एक संयुक्त सचिव की सीट आई थी।
- 2011 में एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद पर कब्जा किया था, बाकी सीटें एबीवीपी ने जीती थीं।
- 2012 में एनएसयूआई ने अध्यक्ष समेत तीन शीर्ष पदों पर कब्जा किया था। संयुक्त सचिव की सीट पर एबीवीपी और एनएसयूआई संयुक्त विजेता रहे थे।
- 2013 में एबीवीपी ने पैनल की तीन सीटें जीतीं। एक सीट पर परिणाम टाई रहा। छह-छह माह के लिए एबीवीपी और एनएसयूआई के उम्मीदवारों का कार्यकाल रहा।

किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले
अध्यक्ष
मोहित नागर, एबीवीपी: 20718
गौरव तुषीर, एनएसयूआई: 19804
मधुरिमा, आइसा: 10163

उपाध्यक्ष
प्रवेश मलिक, एबीवीपी: 21935
मोना चौधरी, एनएसयूआई: 14076
अमन नवाज, आइसा: 11944

सचिव
कनिका शेखावत, एबीवीपी: 18671
अमित सिद्धू तीमा, एनएसयूआई 15649
अमन गौतम, आइसा: 12932

संयुक्त सचिव
आशुतोष माथुर, एबीवीपी: 23133
अभिषेक चौधरी, एनएसयूआई: 12065
विक्रमादित्य,आइसा: 9338

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