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सीबीआई ने वीरभद्र के खिलाफ दाखिल की अंतिम रिपोर्ट

सीबीआई ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ उन आरोपों को लेकर अपनी जांच की अंतिम स्थिति रिपोर्ट आज दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल कर दी कि मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पहले के कार्यकाल...

सीबीआई ने वीरभद्र के खिलाफ दाखिल की अंतिम रिपोर्ट
एजेंसीMon, 01 Sep 2014 02:38 PM
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सीबीआई ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ उन आरोपों को लेकर अपनी जांच की अंतिम स्थिति रिपोर्ट आज दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल कर दी कि मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पहले के कार्यकाल के दौरान वह कथित रूप से भ्रष्टाचार, धन शोधन और जालसाजी में लिप्त थे। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को निर्देश दिया कि वह कल तक अदालत में अपना हलफनामा दायर कर दें।

पीठ ने कहा, सीबीआई की अंतिम स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर दी गई है और इसे रिकार्ड में ले लिया गया है। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दलीलें 10 सितम्बर को सुनेगी। पीठ ने साथ ही यह भी कहा, किसी एक पक्ष (हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री) को नोटिस जारी किये बगैर अपना जवाब दाखिल करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है। यह प्रतिक्रिया तब आयी जब वीरभद्र सिंह के वकील ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ एक नोटिस जारी किया जाना चाहिए और उन्हें दलीलों को आगे बढ़ाने की इजाजत दी जानी चाहिए जिसमें उनके खिलाफ जनहित याचिका की स्वीकार्यता भी शामिल है।

पीठ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कामन कॉज की ओर से दायर एक जनहित याचिका की सुनवायी कर रही थी। इससे पहले उच्च न्यायालय ने सीबीआई से इस मामले में अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था।

पीठ ने मुख्यमंत्री के खिलाफ उन आरोपों को संज्ञान में लिया था कि उन्हें करीब पांच करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, जिसका कोई हिसाब किताब नहीं था और उन्होंने 2009-2010, 2010-2011 और 2011-2012 के लिए संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल किया था। जनहित याचिका में दावा किया गया था कि संशोधित आयकर रिटर्न में कषि आय में 6.10 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दिखायी गई थी। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि सिंह मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के तौर पर अपने पहले के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार, धनशोधन और जालसाजी में लिप्त थे। इन आरोपों को सिंह ने झूठा और आधारहीन करार देकर खारिज कर दिया था।

जनहित याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति जमा की। याचिका में अदालत की निगरानी में सिंह के खिलाफ आरोपों की सीबीआई और आयकर विभाग की जांच की मांग की गई। आरोपों में सिंह को एक एमएनसी स्टील कंपनी द्वारा 2008 और 2010 के दौरान 2.28 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है जिस समय वह केंद्रीय इस्पात मंत्री थे।

 

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