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बुरे दिन के लिए भिखारियों ने खुद बनाया 'मंगला बैंक'

मां मंगलागौरी मंदिर के गेट पर भीख मांगने वाले कुलेश्वर पासवान को अब इस बात की चिंता नहीं है कि उसकी पत्नी या बच्चे की अचानक तबियत बिगड़ी, तो पांच-दस हजार रुपये कहां से आएंगे। श्रद्धालुओं से रुपया-दो...

बुरे दिन के लिए भिखारियों ने खुद बनाया 'मंगला बैंक'
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 26 Mar 2015 08:24 PM
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मां मंगलागौरी मंदिर के गेट पर भीख मांगने वाले कुलेश्वर पासवान को अब इस बात की चिंता नहीं है कि उसकी पत्नी या बच्चे की अचानक तबियत बिगड़ी, तो पांच-दस हजार रुपये कहां से आएंगे। श्रद्धालुओं से रुपया-दो रुपये मांगने वाले अन्य भिखारियों को इतनी बड़ी रकम के लिए अब किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।

ऐसे बुरे वक्त के लिए ही भिखारियों ने खुद ‘मंगला बैंक’ बनाया है। मां मंगलागौरी मंदिर के मेन गेट पर भीख मांग कर जीवन गुजार रहे भिखारियों के दल ने पैसा जमा करने के लिए मां मंगला समिति ‘मंगला बैंक’ बनाया है। छह माह पहले गठित इस समिति (बैंक) में 40 सदस्य हैं।

बैंक में मैनेजर, ट्रेजरर व सेकेट्री भी भिखारी 
बैंक में मैनेजर, ट्रेजरर व सेकेट्री सहित पांच भिखारी हैं। ये मुख्य रूप से इसे चला रहे हैं। हर मंगलवार को एक भिखारी 20 रुपये जमा करता है। यानी एक मंगलवार को आठ सौ रुपये जमा होता है। मैनेजर राजकुमार मांझी के जिम्मे लिखा-पढ़ी का काम है। इनकी पत्नी नगीना देवी ट्रेजरर हैं। सचिव मालती देवी लोगों को बैंक से जोड़ने का काम करती हैं। हीरामति मुखिया हैं। चनारिक पासवान की भूमिका एजेंट की है, जो भिखारियों से हर मंगलवार को पैसा वसूलता है।

राजकुमार मांझी ने लिया बैंक से लोन
इसी माह बैंक के मैनेजर राजकुमार मांझी की बहन और बेटी खाना बनाने में झुलस गयी। आपात स्थिति में मंगला बैंक से बिना लिखा-पढ़ी के उसे आठ हजार का लोन दे दिया गया। इस पर उसे एक माह तक कोई सूद नहीं लगेगा। लोन जमा करे इसलिए एक माह के बाद 2 से 5 प्रतिशत तक सूद देना होगा। मूलधन नहीं देने की स्थिति में हर माह उसे सूद तो निश्चित देना है।

बैंक नहीं भिखारियों की जान है
भिखारिन रीता मसोमात, धौला देवी, मालती देवी, बेदमिया देवी व भिखारी नथुन बूढ़ा, वसंत मांझी ने कहा कि पैसा जमा करने यानी समिति बनाने की सलाह करीब सात माह पहले आए स्टेट सोसाइटी फोर अल्ट्रा पुअर एवं सोशल वेलफेयर के अधिकारियों ने दी थी। थोड़ी परेशानी के बाद पैसा जमा होने शुरू हुआ और करीब दस हजार रुपये जमा हो गए तो बड़ी चिंता दूर हो गयी। सचिव मालती कहती है कि समिति से अक्षयवट, विष्णुपद मंदिर सहित अन्य इलाके के भिखारियों को जोड़ा जाएगा।

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