भारतीय बल्लेबाज भेड़ के बच्चों की तरह: इंग्लिश मीडिया
भारतीय क्रिकेट टीम को पांचवें और अंतिम टेस्ट में इंग्लैंड के हाथों पारी और 244 रन की शर्मनाक हार के बाद ब्रिटिश मीडिया की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। भारत के लचर प्रदर्शन में रविवार को एक नयी...
भारतीय क्रिकेट टीम को पांचवें और अंतिम टेस्ट में इंग्लैंड के हाथों पारी और 244 रन की शर्मनाक हार के बाद ब्रिटिश मीडिया की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के लचर प्रदर्शन में रविवार को एक नयी कड़ी जुड़ी जब टीम को पिछले 40 साल में अपनी सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा और टीम सिर्फ तीन दिन के भीतर ही हार गई जिससे इंग्लैंड ने श्रृंखला 3-1 से जीत ली।
ज्यौफ्री बायकाट ने डेली टेलीग्राफ में अपने कॉलम में लिखा कि भारत को जब ओल्ड ट्रैफर्ड और द ओवल के सीम और स्विंग की अनुकूल पिचों पर बल्लेबाजी और गेंदबाजी करने को कहा गया तो उन्होंने बेहद खराब प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा कि उनके बल्लेबाजों में जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्राड जैसे दुनिया के दो सर्वश्रेष्ठ टेस्ट गेंदबाजों का सामना करने के लिए जज्बे और तकनीकी की कमी थी। इस तरह की पिचों पर वे किसी भी बल्लेबाज को ढेर कर सकते हैं और इन प्रतिभावान लड़कों को इन हालात में खेलने का कोई अनुभव नहीं था। भारतीय बल्लेबाज वध के लिए पहुंचने भेड़ के बच्चों की तरह थे।
भारतीय बल्लेबाजों ने एक बार फिर लचर प्रदर्शन किया और पूरी टीम सिर्फ 29.2 ओवर में 94 रन पर ढेर हो गई। द इंडिपेंडेंट ने कहा कि भारतीय बल्लेबाजों की प्रतिष्ठा को नुकसान उठाना पड़ा है और विराट कोहली को तो कुछ अधिक ही नुकसान हुआ है।
समाचार पत्र ने कहा कि वह एकमात्र ऐसे बल्लेबाज के रूप में आया था तो खेल के सभी प्रारूपों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के खिताब के लिए एबी डिविलियर्स को चुनौती दे सकता है। वह श्रृंखला में सिर्फ 13 .40 के औसत से रन बना पाया। वह जेम्स एंडरसन से सिर्फ 22 रन अधिक बना पाया जिसने उनसे पांच पारियां कम खेली। अब उसने कोई नया तेंदुलकर नहीं कह रहा।
वर्ष 2011 के पिछले दौरे पर 0-4 की शिकस्त की तरह यह वाइटवाश को नहीं हैं लेकिन साउथम्पटन टेस्ट के साथ लगातार भारत की मुश्किलें बढ़ती रही और टीम को लगातार शर्मसार होना पड़ा।
बीबीसी ने कहा कि लोग अंतिम दो टेस्ट में बल्ले से भारत के लचर प्रयास के बारे में बात करेंगे लेकिन इससे इंग्लैंड की उपलब्ध्यिों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने ही भारत को ऐसी स्थिति में डाला और जब आप मैदान पर टीम के रूप में उतरते हो तो आपको निर्ममता दिखानी होती है। मेहमान टीम के लिए सबसे बड़ी समस्या यह रही कि सबसे पहले तो उन्होंने एंडरसन-जडेजा विवाद से अपना ध्यान पूरी तरह भटकने दिया और दूसरा, टेस्ट मैचों के बीच में उनके पास इतना समय नहीं था कि खिलाड़ी एकजुट हो सकें और फार्म हासिल कर सके।