क्रिकेट में और सुधार के लिए आईसीसी की बैठक
आईसीसी क्रिकेट समिति की दो दिवसीय बैठक में नान स्ट्राइकर छोर पर बल्लेबाजों को रनआउट करने, खिलाड़ियों में क्षड़प की बढ़ती घटनाओं और अंपायरिंग में तकनीक के इस्तेमाल को बेहतर बनाने के तरीकों पर बात...
आईसीसी क्रिकेट समिति की दो दिवसीय बैठक में नान स्ट्राइकर छोर पर बल्लेबाजों को रनआउट करने, खिलाड़ियों में क्षड़प की बढ़ती घटनाओं और अंपायरिंग में तकनीक के इस्तेमाल को बेहतर बनाने के तरीकों पर बात हुई।
पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली समिति ने खेल से जुड़े कई मसलों पर बात की और उनसे निपटने के लिये सुझाव भी दिये। आईसीसी ने एक बयान में कहा कि क्रिकेट समिति का मानना है कि नान स्ट्राइकर का निर्धारण गेंदबाज के गेंद फेंकने के समय बल्लेबाज के क्रीज से बाहर रहने के आधार पर किया जाना चाहिये।
इसने कहा कि यह नान स्ट्राइकर को गेंदबाज द्वारा रन आउट किये जाने के योग्य माने जाने से पूर्व औपचारिक चेतावनी की व्यवस्था शुरू करने का समर्थन नहीं करती। इसने हालांकि कुछ कप्तानों के इस सुझाव का समर्थन किया कि अंपायरों को कप्तान से यह नहीं पूछना चाहिये कि क्या वह अंतिम फैसला लेने से पूर्व अपील बरकरार रखना चाहता है।
इसने कहा कि कानून बल्लेबाज को गैरजरूरी फायदा लेने से रोकने के साथ ही गेंदबाज को भी अनुचित फायदा उठाने से रोकता है कि वह गेंद फेंकने का आभास कराके बल्लेबाज को मूर्ख ना बना सके और बाद में गेंद हाथ में पकड़े रहे।
अंपायरिंग फैसलों में तकनीक के इस्तेमाल के बारे में समिति का मानना है कि सफलता की दर बढाने के लिये इसमें सुधार जरूरी है। आईसीसी ने कहा कि विकेट गिरने पर नोबाल चेक करना, नोबाल के फैसले की समीक्षा होने तक आउट हो चुके बल्लेबाज को रोकने से होने वाले विलंब पर बात की गई।
इसने कहा कि समिति ने बांग्लादेश में टी20 विश्वकप के दौरान इस्तेमाल की गई रिप्ले व्यवस्था पर संतोष जताया। यह भी कहा गया कि इसे डीआरएस के इस्तेमाल वाले या बिना डीआरएस वाले मैचों में अंपायरों को सटीक फैसले लेने में मदद मिलेगी।
कुंबले ने कहा कि बातचीत सार्थक रही। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय बैठक काफी सार्थक रही और समिति ने कई मसलों पर बात की। मैं सदस्यों को उनके सुझावों के लिये धन्यवाद देता हूं जो अब आईसीसी मुख्य कार्यकारियों की समिति के सामने रखे जायेंगे।
खिलाड़ियों के बर्ताव को लेकर समिति ने कहा कि मैदान पर बेहतर आचरण जरूरी है और अंपायरों को कड़ी कार्रवाई करने से हिचकना नहीं चाहिये।