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आर्थिक वृद्धि तेज करने के लिये बड़े सुधार का समय: आर्थिक समीक्षा

संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष में 8.1 से 8.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि रहने का अनुमान लगाते हुये बड़े आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। वर्ष 2014-15 की समीक्षा में कहा...

आर्थिक वृद्धि तेज करने के लिये बड़े सुधार का समय: आर्थिक समीक्षा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 27 Feb 2015 04:04 PM
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संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष में 8.1 से 8.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि रहने का अनुमान लगाते हुये बड़े आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। वर्ष 2014-15 की समीक्षा में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में दहाई अंक की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिये कारोबारी माहौल सुधारने और कर दरों को नरम रखने की जरूरत है।

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट से एक दिन पहले पेश इस समीक्षा में कहा गया है, भारत आज ऐसे बेहतर मुकाम पर पहुंच चुका है जहां से बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा मौका है। वित्त मंत्री अरुण जेटली कल वर्ष 2015-16 का आम बजट पेश करेंगे। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का यह पहला पूर्ण बजट होगा।

समीक्षा में कहा गया है कि सुधारों को बढ़ाने के लिये स्पष्ट जनादेश और अनुकूल बाह्य परिवेश से, अब भारत के दहाई वृद्धि के दायरे में पहुंचने की उम्मीद बढ़ गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार पिछले साल मई में हुये आम चुनाव के बाद स्पष्ट जनादेश के साथ सत्ता में आई है। समीक्षा में सुधारों को बढ़ाने की पहल के तहत जिन क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है उनमें श्रम कानूनों में सुधार, ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाने और भारत में कारोबार करने की लागत में कमी के लिये बेहतर परिवहन एवं संपर्क सुविधा पर जोर दिया गया है।

समीक्षा में कहा गया है, अगले कुछ समय में कच्चे तेल के दाम घटने, निम्न मुद्रास्फीति को देखते हुये मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में संभावित गिरावट और मुद्रास्फीतिक धारणा में नरमी के साथ साथ मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी से आर्थिक वृद्धि को जरूरी प्रोत्साहन मिल सकता है।

समीक्षा के अनुसार कृषि उत्पादन बेहतर रहने से चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि आठ प्रतिशत तक पहुंच सकती है हालांकि, केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के इस महीने की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार जीडीपी वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें कहा गया है, कई सुधारों को आगे बढ़ाया गया है और कई सुधार जल्द शुरू होंगे। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरिण (डीबीटी) योजनायें पासा पलटने वाली साबित होंगी।

राजग सरकार ने सत्ता में आने के बाद पिछले दस महीनों के दौरान जिन अहम सुधारों को आगे बढ़ाया उनमें डीजल मूल्य सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना, घरेलू एलपीजी सब्सिडी का प्रत्यक्ष हस्तांतरण, रक्षा और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा बढ़ाना तथा कोयला क्षेत्र में खान आवंटन के लिये अध्यादेश जारी किया है।

समीक्षा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान देश में वृहद आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आया है लेकिन निर्यात, निर्माण और खनन क्षेत्र की गतिविधियों में वूद्धि के रुझान को लेकर चिंता जताई गई है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि देश को अगले एक-दो साल की मध्यम अवधि में सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले तीन प्रतिशत राजकोषीय घाटे को पाने के लक्ष्य का अवश्य अनुसरण करना चाहिये। इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति बनने से घरेलू अर्थव्यवस्था को भविष्य के झटकों में संभालने और दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वित्तीय प्रदर्शन के करीब पहुंचने में मदद मिलेगी।

इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसा लगता है कि अब सुस्ती, लगातार ऊंची मुद्रास्फीति, ऊंचे राजकोषीय घाटे, कमजोर पड़ती घरेलू मांग, बाहय खाते में असंतुलन और रुपये की गिरती साख जैसी स्थिति से आगे निकल चुकी है। मुद्रास्फीति की रफ्तार अप्रैल से दिसंबर की अवधि में गिरावट में रही है। समीक्षा अगले वित्त वर्ष 2015-16 में मुद्रास्फीति 5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। गिरती मुद्रास्फीति और चालू खाते के घाटे (कैड) में उल्लेखनीय सुधार आने से भारत अब एक आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर बन गया है। अगले वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा घटकर जीडीपी का एक प्रतिशत रहने का अनुमान है।

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