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सहारा ने रखा एक नया प्रस्ताव, सोमवार को होगा विचार

सहारा समूह ने कंपनी के प्रमुख सुब्रत राय की जमानत पर रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को एक नया प्रस्ताव रखा जिस पर अगले सोमवार को विचार होगा। सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवकता राजीव धवन ने...

सहारा ने रखा एक नया प्रस्ताव, सोमवार को होगा विचार
एजेंसीThu, 17 Apr 2014 06:43 PM
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सहारा समूह ने कंपनी के प्रमुख सुब्रत राय की जमानत पर रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को एक नया प्रस्ताव रखा जिस पर अगले सोमवार को विचार होगा। सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवकता राजीव धवन ने न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की खंडपीठ के समक्ष नया प्रस्ताव रखा।

इसके तहत राय के जमानत पर रिहा होने के तीन कार्य दिवस के भीतर 2500 करोड़ रुपये जमा कराने तथा शेष 2500 करोड़ रुपये एवं बैंक गारंटी के 5000 करोड़ 60 दिनों के भीतर अदा करने का वादा किया गया है। न्यायालय ने सहारा प्रमुख की जमानत पर रिहाई के लिए जो शर्त रखी है, उसके तहत कंपनी को 5000 करोड़ रुपये नकद तथा शेष 5000 करोड रुपये की बैंक गारंटी जमा करानी है।

धवन ने कहा कि कंपनी सहारा प्रमुख की रिहाई के चार बैंकिंग दिवस के भीतर 2500 करोड़ रुपये नकद जमा करा देगी। उसके बाद 60 दिन के भीतर शेष 2500 करोड़ रुपये और बैंक गारंटी की रकम जमा कराएगी। उन्होंने कहा कि हम इस प्रस्ताव पर पूरी तरह अमल को लेकर अंडरटेकिंग देने को तैयार हैं। उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि यदि राय को आज रिहा कर दिया जाता है तो कल का गुड फ्राईडे वाकई उनके लिए गुड फ्राईडे हो जाएगा, लेकिन न्यायालय ने कहा कि वह इस प्रस्ताव पर सोमवार को विचार करेगा।

शीर्ष अदालत ने धवन से कहा कि यदि प्रस्ताव में कुछ और सुधार किया जा सकता है तो करके देखिए। इससे पहले जाने-माने कानूनविद राम जेठमलानी ने एक बार फिर राय और कंपनी के दो अन्य निदेशकों रविशंकर दुबे और अशोक राय चौधरी की हिरासत की वैधता पर सवाल उठाये।

भोजनावकाश के बाद अपराह्न दो बजे शरू हुई सुनवाई अपने निर्धारित समय चार बजे के कुछ समय बाद तक चलती रही। इस दौरान वरिष्ठ अधिवकता एस गणेशन ने इस मामले में भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के रवैये पर तमाम सवाल खडे़ किये। उन्होंने दलील दी कि सेबी ने सहारा समूह की दोनों कंपनियों सहारा इंडिया रीयल इस्टेट लिमिटेड और सहारा इंडिया हाउसिंग इन्वेस्टमेंट लिमिटेड द्वारा निवेशकों को नकद में पैसा लौटाने पर सवाल खडे़ किये हैं जो गलत हैं। 

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