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काले धन और रीयल एस्टेट में है सीधा रिश्ता

रीयल एस्टेट और काले धन का सीधा रिश्ता है। इस पर प्रतिबंध लगते ही रियल एस्टेट सेक्टर पर सीधा असर पड़ेगा। आपने ध्यान दिया होगा कि एक रियल एस्टेट कंपनी सीधे-सीधे विज्ञापन में दावा करती है कि केवल चेक...

काले धन और रीयल एस्टेट में है सीधा रिश्ता
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 29 Oct 2014 08:42 PM
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रीयल एस्टेट और काले धन का सीधा रिश्ता है। इस पर प्रतिबंध लगते ही रियल एस्टेट सेक्टर पर सीधा असर पड़ेगा। आपने ध्यान दिया होगा कि एक रियल एस्टेट कंपनी सीधे-सीधे विज्ञापन में दावा करती है कि केवल चेक भुगतान ही स्वीकार्य होंगे। प्रथम दृष्टया लगता है कि नकद रुपये न लेने का मकसद काला धन न लेने का प्रमाण है । हालांकि सबके दिमाग में कैश न लेने को लेकर भी कई सवाल उठते हैं। काले धन पर प्रतिबंध लगने से इस सेक्टर पर भी सीधा प्रभाव पड़ेगा।

वैसे हकीकत में भारतीय रियल एस्टेट ही नेताओं के काले धन के निवेश की सही जगह है। तमाम तरह की आर्थिक समस्याएं और महंगाई आने के बावजूद यह बिजनेस फलफूल रहा है। इसके पीछे भी यही वजह है कि यहां ‘कैश इज किंग’ का मंत्र चलता है। भले ही खुलेआम कोई इस बात को न स्वीकारे। अगर रियल एस्टेट में नकदी रकम का ऊपरी तौर पर मूल्यांकन करें तो यहां निवेश की जाने वाली कुल रकम में से 40 फीसदी काला धन ही है। कई डेवलपर्स दबी जुबान में इस बात को स्वीकारते भी हैं। अक्सर देखने में आया है कि जब-जब पारदर्शिता बरतने के लिए किसी नियामक संस्था की बात की जाती है, यह इकाई भड़कने लगती है।

इतना ही नहीं बैंक अक्सर रियल एस्टेट डेवलेपर्स को न ही कच्च माल उपलब्ध कराते हैं और न ही जमीन। इनके पास पैसे का और कोई रास्ता नहीं होता फिर भी ये सब तैयार कर लेते हैं। आखिर अवैध रास्तों से यह पैसा कहां से आता है। इस पैसे का उनके पास कोई दस्तावेज भी नहीं होता। यह शुरुआत प्राथमिक निवेशक के काले धन से ही होती है।
हाल ही में ऐसे मामले सामने आए हैं जब कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री और लेाकसभा सदस्यों ने बताया कि उनके घरों में होने वाले शादी समारोह किसी डेवलेपर ने आयोजित कराया। इस दौरान मीडिया ने राजनेताओं और रियल एस्टेट के रिश्तों पर खूब खबरें भी चलाईं थीं।

दिल्ली-एनसीआर के रियल एस्टेट मार्केट में हाई प्रोफाइल डील कराने वाले एक ब्रोकर की मानें तो नेता अपने काले धन को छुपाने और उसे बेहतर निवेश में लगाने के लिए रियल एस्टेट का ही रास्ता चुनते हैं। यहां सबसे कम वक्त में सबसे ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है। यह ब्लैक को व्हाइट में बदलने का सबसे अच्छा प्लेटफार्म है। इतना ही नहीं ये रियलटर्स इस रिश्ते का दोहरा फायदा भी उठाते हैं। एक तरफ उन्हें पैसा तो दूसरी तरफ उन्हें पॉवर दोनों ही फायदे मिलते हैं। कई बार उन्हें गैरकानूनी को कानूनी बनाने में भी नेताओं की मदद मिल जाती है। जिसके बदले वे काले धन को सफेद में बदल देते हैं।

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने इंटरनेशन नार्कोटिक्स कंट्रोल स्ट्रेटजी रिपोर्ट 2012 में कहा है कि भारत में काला धन रियल एस्टेट से लेकर चुनाव प्रचार के रास्ते से आता है। यहां नीति निर्माताओं ने ही रियल एस्टेट के प्रति गंभीर रवैया नहीं अपनाया है। यहां रियल एस्टेट से लेकर शैक्षिक कार्यक्रमों, दान और चुनाव प्रचार से भी काला धन जुटा लिया जाता है।

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