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बाजार में साल की सबसे बड़ी गिरावट

कच्चे तेल में जोरदार गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोर ने देश में चौतरफा हाहाकार मचा दिया। घरेलू शेयर बाजार औंधे मुंह लुढ़का और साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई तो सोने और चांदी में भी...

बाजार में साल की सबसे बड़ी गिरावट
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 16 Dec 2014 06:32 PM
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कच्चे तेल में जोरदार गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोर ने देश में चौतरफा हाहाकार मचा दिया। घरेलू शेयर बाजार औंधे मुंह लुढ़का और साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई तो सोने और चांदी में भी कारोबारियों ने जमकर मुनाफावसूली की।

कमजोर आर्थिक आंकड़ों व वैश्विक बाजारों में तेज गिरावट के बीच विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली से बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स मंगलवार को 538.12 अंक टूट गया। यह इस साल की सबसे बड़ी गिरावट है। 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 538.12 अंक के नुकसान के साथ 26,781.44 अंक पर आ गया। इससे पहले, सेंसेक्स में 3 सितंबर, 2013 को सबसे बड़ी गिरावट आई थी, जब यह 651 अंक का गोता खाकर बंद हुआ था।

इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 8,100 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे आकर दिन के निचले स्तर 8,052.60 अंक पर आ गया। हालांकि, यह 152 अंक नीचे 8,067.60 अंक पर बंद हुआ। सोने का आयात छह गुना बढ़ने की वजह से नवंबर में भारत का व्यापार घाटा डेढ़ साल के उच्च स्तर 16.86 अरब डॉलर पर पहुंच गया। साथ ही एशियाई बाजारों में प्रमुख चीन में औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट और यूरोपीय बाजारों के लाल निशान के साथ काम करने से भी कारोबारियों की धारणा प्रभावित हुई।

सेबी के आरंभिक आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सोमवार को भारतीय बाजार में 455.72 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 3.36 फीसदी टूटा, जबकि मिडकैप इंडेक्स 2.96 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ।

रुपया 13 माह पीछे
डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 64 पैसे टूटकर 13 माह के निचले स्तर 63.58 रुपये बंद हुई। कारोबार के शुरुआत में ही रुपया 51 पैसे टूटकर प्रति डॉलर 63.45 रुपये पर पहुंच गया, जो 11 महीनों का निचला स्तर है। कारोबार के दौरान इसमें कुछ सुधार दिखा, लेकिन अंतिम समय में तेज गिरावट ने इसमें रिकवरी की संभावनाओं को खारिज कर दिया। फॉरेक्स डीलरों का कहना है कि अमेरिकी मुद्रा की आयातकों की ओर से लगातार मांग बनी हुई है, जिसके चलते डॉलर का प्रवाह देश से बाहर हो रहा है। इससे भारतीय मुद्रा में भी कमजोरी देखने को मिल रही है।

कच्चा तेल साढ़े पांच साल में सबसे सस्ता
अमेरिका और रूस के भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण का असर कच्चे तेल पर सीधे दिखा है। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत साढ़े पांच सालों के निचले स्तर पर जा पहुंची। ब्रेंट क्रूड का भाव वर्ष 2009 के बाद पहली बार 60 डॉलर से नीचे 59 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया। पिछले दिनों ओपेक की बैठक में कच्चे तेल का उत्पादन घटाने का प्रस्ताव पेश ही नहीं किया गया, जिससे जानकारों का मानना था कि कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। उस वक्त कच्चा तेल 80 से 84 डॉलर प्रति बैरल के बीच घूम रहा था।

आंकड़ों में बाजार की चाल
538 अंकों की गिरावट दर्ज हुई सेंसेक्स में
651 अंकों का गोता लगाया था पिछले साल 3 सितंबर को
26,781 के स्तर पर बंद हुआ बीएसई का सेंसेक्स
8,100 के नीचे आया निफ्टी, 152 अंकों की रही कमजोरी
8,068 के स्तर पर बंद हुआ निफ्टी, 8,053 अंक तक जाने के बाद

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