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गांवों में हाईस्पीड ब्राडबैंड पहुंचाने की योजना को हाथोंहाथ ले रहे हैं राज्य

गांवों में हाईस्पीड ब्राडबैंड पहंचाने के लिए बुधवार को लांच की गई भारत नेट योजना को पंख लगने लगे हैं। राज्यों ने इसमें खासी दिलचस्पी दिखाई है। अब तक दस राज्यों ने इस योजना का क्रियान्वयन तेज करने के...

गांवों में हाईस्पीड ब्राडबैंड पहुंचाने की योजना को हाथोंहाथ ले रहे हैं राज्य
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 02 Jul 2015 12:20 PM
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गांवों में हाईस्पीड ब्राडबैंड पहंचाने के लिए बुधवार को लांच की गई भारत नेट योजना को पंख लगने लगे हैं। राज्यों ने इसमें खासी दिलचस्पी दिखाई है। अब तक दस राज्यों ने इस योजना का क्रियान्वयन तेज करने के लिए केंद्र के भरोसे नहीं बैठकर खुद इस चलाने का फैसला किया है। इन राज्यों में तीन दक्षिणी राज्य तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा गुजरात एवं महाराष्ट्र भी शामिल हैं। लेकिन उत्तरी राज्यों में अभी तक सिर्फ राजस्थान ने ही इसके लिए अलग कंपनी बनाने का प्रस्ताव केंद्र को दिया है।

भारत नेट योजना के तहत 2017 तक देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों में हाईस्पीड ब्राडबैंड पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया सप्ताह के शुभारंभ के मौके पर इस योजना को भी लांच किया। यह योजना पहले आप्टीकल फाइबर नेटवर्क के नाम से शुरू हुई थी जिसे आमूलचूल बदलावों के साथ अब भारत नेट नाम दिया गया है। योजना में राज्यों को विकल्प दिया गया है कि वह अपने हिसाब से इसका क्रियान्वन कर सकते हैं।

केंद्रीय संचार सचिव राकेश गर्ग ने विशेष बातचीत में हिन्दुस्तान को बताया कि दस राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान ने योजना के लिए स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) बनाने का फैसला किया है। यानी एक अलग कंपनी बनाकर योजना संचालित की जाएगी। इस कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य सरकार का होगा लेकिन इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में केंद्र का प्रतिनिधि होगा।

गर्ग के अनुसार इस योजना का प्रभावी क्रियान्वय होगा। केंद्र राज्य के हिस्से की राशि इस एसपीवी को जारी कर देगा तथा क्रियान्वयन में निगरानी करेगा। लेकिन योजना के क्रियान्वयन में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी आदि तय करने के लिए राज्य स्वतंत्र होंगे।

गर्ग के अनुसार राज्यों के लिए यह विकल्प खुला है और यदि और उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्य भी इस योजना के लिए आगे आते हैं तो उन्हें मौका दिया जाएगा। दरअसल, केंद्र का मानना है कि राज्यों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी से ही योजना का प्रभावी और जल्दी क्रियान्वयन संभव होगा।

भारत नेट यानी गांवों में हाईस्पीड इंटरनेट सस्ते में
- इससे देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा जाएगा जबकि अभी तक 30 हजार ग्राम पंचायतें जुड़ पाई है।

- भारत नेट के तहत ब्राडबैंड की गति दो से 20 एमबीपीएस होगी।

- हर राज्य में इसकी वहां के लोगों की आय के आधार पर होंगी। मसलन,बिहार में 78 रुपये और उप्र में 94 रुपये प्रतिमाह पर

ग्रामीण हाईस्पीड ब्राडबैंड सेवा का लाभ उठा सकेंगे।
- इसी प्रकार दिल्ली के गांवों में उसी इंटरनेट सेवा के दाम 550 रुपये प्रतिमाह, गोवा में 501, सिक्किम में 441, हरियाणा में 330 तथा उत्तराखंड में 174 रुपये प्रतिमाह होंगे।

- केंद्र की योजना के तहत ब्राडबैंड को आप्टीकल फाइबर के जरिये पहुंचाया जाएगा। लेकिन जहां आप्टीकल फाइबर पहुंचाना संभव नहीं हो, वहां वायरलैस एवं सेटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा। तीसरे, गांवों मे नेट पहुंचाने के बाद निजी सेवा प्रदाताओं को भी मौके दिए जाएंगे ताकि वे विभिन्न किस्म की सेवाएं मुहैया करा सकें।

- स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों एवं कौशल विकास केंद्र में इंटरनेट कनेक्शन पूरी तरह से मुफ्त दिया जाएगा। ताकि वहां इंटरनेट सेवाओं के जरिये सुविधाओं एवं सेवाओं का विस्तार किया जा सके।

- प्रत्येक पंचायत में एक वाई-फाई कनेक्शन लगाया जाएगा जो रोज एक घंटे के लिए फ्री होगा। यह व्यवस्था उन लोगों के लिए है जो मासिक कनेक्शन नहीं खरीद पाएंगे।

- प्रत्येक पंचायत में एक कॉमन सर्विस सेंटर होगा जहां इंटरनेट सेवा उपलब्ध होगी। कई राज्यों ने ऐसे केंद्र स्थापित किए हैं। जहां नहीं है, वहां केंद्र बनाए जाएंगे।

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