बेहतर सेवा के लिए एक कंपनी से दूसरी कंपनी भाग रहे हैं मोबाइल उपभोक्ता
कॉल ड्राप और मोबाइल फोन सेवाओं की खराब गुणवत्ता के कारण उपभोक्ता एक कंपनी को छोड़ दूसरी कंपनी का सहारा ले रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि उनको राहत कहीं भी नहीं मिल रही है। इस बात का खुलासा मोबाइल नंबर...
कॉल ड्राप और मोबाइल फोन सेवाओं की खराब गुणवत्ता के कारण उपभोक्ता एक कंपनी को छोड़ दूसरी कंपनी का सहारा ले रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि उनको राहत कहीं भी नहीं मिल रही है। इस बात का खुलासा मोबाइल नंबर पोर्टबिलिटी (एमएनपी) के आंकड़ों से होती है। हर महीने औसतन 36 लाख लोग अपनी मोबाइल कंपनी को बदल रहे हैं।
ताजा आंकड़ों के अनुसार देश भर में अब तक 16 करोड़ से भी अधिक उपभोक्ता मोबाइल कंपनी बदल चुके हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के मामले सबसे ज्यादा है। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अनुसार जून महीने में 36.78 लाख लोगों ने मोबाइल फोन कंपनी बदलने के लिए आवेदन किया जबकि मई में यह संख्या 32.40 लाख लोगों ने एमएनपी आवेदन किए थे। आवेदनों की इस बढ़ती संख्या को पूरा करना मोबाइल कंपनियों के लिए मुश्किल हो रहा है।
ट्राई से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एमएनपी के बढ़ते आवेदनों की मुख्य वजह कॉल ड्राप, नेटवर्क और बिल संबंधी अन्य शिकायतों का होना है। लेकिन आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि सभी कंपनियों के ग्राहक एमएनपी के तहत दूसरी कंपनियों में जा रहे हैं। दूसरी तरफ कंपनियों के लिए आवेदनों की प्रक्रिया को पूरा करना मुश्किल हो रहा है तथा इन्हें पूरा करने में देरी हो रही है।
बता दें कि जुलाई से एमएनपी को पूरे देश भर में विस्तारित कर दिया गया है। इसके लिए इन आंकड़ों में और बढ़ोत्तरी की संभावना है। अभी जो आंकड़े आए हैं वे जून तक के हैं तब तक एक नेटवर्क जोन के भीतर ही नंबर पोर्ट हो सकते थे। ट्राई का मानना है कि देशव्यापी एमएनपी के बाद कंपनी बदलने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में भारी इजाफा होगा।
उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा आवेदन-जून महीने के दौरान सबसे ज्यादा आवदेन उत्तर प्रदेश से आए हैं। राज्य में 1.61 करोड़ मोबाइल नंबर अब तक पोर्ट हुए हैं। दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है जहां यह संख्या 1.56 तथा राजस्थान में 1.53 करोड़ लोगों ने नंबर पोर्ट कराए हैं। दिल्ली में 64 लाख, मुंबई में 90 लाख तथा बिहार में 38 लाख लोगों ने अब तक नंबर पोर्ट कराए हैं।