मोदी सरकार ने जीएसटी संशोधनों को मंजूरी दी, राज्यों को 5 साल तक मिलेगा मुआवजा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक में राज्यसभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुरूप संशोधनों को मंजूरी दे दी। इसके तहत देशभर में एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने के...
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक में राज्यसभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुरूप संशोधनों को मंजूरी दे दी। इसके तहत देशभर में एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई पांच साल तक की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रवर समिति की राज्यों को मुआवजे संबंधी सिफारिश को मंजूरी दी गई। माना जा रहा है कि सरकार ने यह कदम इस विधेयक पर प़ बंगाल में सत्तारूढ़ तणमूल कांग्रेस तथा ओडि़शा की बीजू जनता दल जैसी पार्टियों का राज्यसभा में समर्थन हासिल करने के लिए उठाया है। राज्यसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बहुमत हासिल नहीं है। यह ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है।
सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने फैसला किया है कि जीएसटी दरों से उपर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने की छूट तथा बैंड दर लागू करने के तौर तरीकों को नियम तय करते समय अंतिम रूप दिया जाएगा।
भाजपा के भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट में सुक्षाव दिया था कि जीएसटी की दर 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए और राज्यों द्वारा एक प्रतिशत अतिरिक्त कर वास्तवित बिक्री पर लगना चाहिए और अंतर कंपनी भंडार या भंडार स्थानांतरण पर नहीं।
जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक लागू होने के बाद अल्कोहल को छोड़कर अन्य सभी उत्पादों पर उत्पाद व बिक्रीकर समाप्त हो जाएंगे। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में अटका हुआ है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुआवजे पर जिन संशोधनों को मंजूरी दी है उससे राज्यों को यह आश्वासन मिला है कि जीएसटी के लागू होने के पहले पांच साल में होने वाले उनके राजस्व नुकसान की भरपाई की जाएगी। सरकार का इरादा जीएसटी को 1 अप्रैल, 2016 से लागू करने का है। यह काफी कड़ी चुनौती है। विशेषरूप से यह देखते हुए कि इस विधेयक को राज्यसभा व 30 में आधे राज्यों मंे मंजूरी मिलनी बाकी है।
राज्यसभा की समिति ने प्रावधान में एक स्पष्टीकरण शामिल करने की सिफारिश की है जिससे यह साफ हो सके कि एक प्रतिशत अतिरिक्त कर बेची गई वस्तुओं पर लागू होगा अंतर कंपनी भंडार स्थानांतरण पर नहीं।
राज्यों के संसाधन बढ़ाने के लिए समिति ने सुक्षाव दिया है कि जीएसटी कानून में बैंड दर को परिभाषित किया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव में राज्यों को बैंड के दायरे में कुछ विशेषीकत वस्तुओं और सेवाओं पर अतिरिक्त कर लगाने की छूट होगी जिससे वे स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटा सकें।
जीएसटी की अंतिम दरों पर फैसला वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद द्वारा किया जाएगा। इसमंे केंद्र के एक तिहाई मत होंगे जबकि सभी राज्यों के पास दो-तिहाई वोट होंगे।
समिति ने सुक्षाव दिया है कि विधेयक के एक प्रावधान जिसमें कहा गया है कि केंद्र राजस्व नुकसान के लिए राज्यों को पांच साल तक भरपाई कर सकता है, को पांच साल तक मुआवजे की प्रतिबद्धता से बदला जा सकता है।
मौजूदा व्यवस्था के तहत केंद्र जीएसटी लागू होने के बाद पहले तीन साल तक राज्यों को राजस्व नुकसान की 100 प्रतिशत भरपाई करेगा। चौथे साल वह 75 प्रतिशत और पांचवें साल 50 प्रतिशत मुआवजा देगा।
इसे आजादी के बाद का सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष कराधान सुधार माना जा रहा है। जीएसटी से देशभर में वस्तुओं और सेवाओं पर एकल कर ढांचा लागू होगा और भारत एक साक्षा बाजार बन सकेगा।
नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने के बाद उत्पाद, सेवा कर और अन्य स्थानीय शुल्क समाप्त हो जाएंगे। सत्ताधारी राजग के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है और वह इस विधेयक के पारित होने के लिए क्षेत्रीय दलों पर निर्भर है।