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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर फैसला 48 घंटे में: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अध्यादेश लाने को लेकर संशय बनाए रखा और कहा कि इस संबंध में अगले 48 घंटे में फैसला ले लिया जाएगा। जेटली से जब यह पूछा गया कि क्या सरकार...

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर फैसला 48 घंटे में: जेटली
एजेंसीSun, 30 Aug 2015 10:10 AM
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अध्यादेश लाने को लेकर संशय बनाए रखा और कहा कि इस संबंध में अगले 48 घंटे में फैसला ले लिया जाएगा।

जेटली से जब यह पूछा गया कि क्या सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अध्यादेश लाने के बारे में फैसला ले लिया है जबाव में उन्होंने कहा कि अगले 48 घंटे प्रतीक्षा कीजिए (भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर फैसले के लिए)। भूमि अधिग्रहण पर इससे पहले जारी अध्यादेश 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है।

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर काफी राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है। इस पर तीन बार अध्यादेश जारी हो चुका है। तीसरी बार जारी अध्यादेश की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही है। अध्यादेश के जरिये औद्योगिक परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण को आसान बनाया गया है।
  
सरकार ने कल भूमि विधेयक पर फिर से अध्यादेश लाने के बदले एक सांविधिक आदेश जारी किया है। इस आदेश के जरिये 13 कानूनों के तहत अधिग्रहीत की गई भूमि के एवज में मुआवजा सुनिश्चित करने और भूमि धारकों के सुरक्षा उपाय और पुनरद्धार सुनिश्चित होगा।

जेटली ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कई सवालों के जवाब देते हुए ब्याज दरों में कमी पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आठ से दस प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए ब्याज दरों में कमी जरूरी है।

वित्त मंत्री ने कहा कि यदि हमें 8 प्रतिशत से अधिक अथवा आठ से दस प्रतिशत के दायरे में आर्थिक वृद्धि हासिल करनी है, तो सभी अटकी पड़ी परियोजनाओं (को आगे बढ़ाना होगा) और कर्ज की लागत सस्ती करनी होगी।
    
रिजर्व बैंक ने हालांकि, इस कैलेंडर वर्ष में जनवरी से प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.75 प्रतिशत कटौती की है, लेकिन उसके बाद उसने जून में और इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक समीक्षा में यथास्थिति बनाए रखी। हालांकि, बैंक पर वित्त मंत्रालय और उद्योग जगत का दर में कटौती के लिए काफी दबाव था। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा 29 सितंबर को होनी है। 

जेटली ने कहा कि सरकार कामकाज करना सरल बनाने की प्रक्रिया पर काम कर रही है। सरकार दिवालिया कानून लाने, कराधान को तर्कसंगत बनाने और उपयुक्त सार्वजनिक वसूली नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ये कुछ क्षेत्र हैं जिनमें काम काफी आगे बढ़ चुका है।

जेटली ने कहा कि प्रस्तावित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के मुद्दे पर सरकार और रिजर्व बैंक की एक राय है। उन्होंने कहा कि इस ढांचे के बारे में संसद में जानकारी दी जायेगी। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के मुद्दे पर जेटली ने कहा विधेयक को पारित करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों के साथ बातचीत जारी है।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस द्वारा उठाई गई आपत्तियां वहनीय नहीं हैं और उन्होंने खेद जताया कि महत्वपूर्ण विधेयकों को अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदन राज्य सभा द्वारा रोका जा रहा है। राज्यसभा में सत्ताधारी गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को बहुमत नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा कि कामकाज बाधित करने की भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार कर ढांचे को तर्कसंगत बनाने का प्रयास कर रही है ताकि भारत को निवेशकों के लिये आकर्षित स्थल बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि चीन में आई सुस्ती से उत्पन्न अवसर का भारत को लाभ उठाना चाहिए और दुनिया में अग्रणी देश बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए अनेक पहल कर रही है। हाल में बैंकिंग क्षेत्र में कदम उठाया गया और सार्वजनिक व्यय भी बढ़ाया जा रहा है।

वित्त मंत्री ने कहा कि घरेलू इस्पात उत्पादकों की मदद के लिए सरकार ने इस्पात पर शुल्क दो बार बढ़ाया है। जेटली ने उम्मीद जताई कि कृषि वृद्धि पिछले साल से बेहतर रहेगी। रुपये की गिरती कीमत पर जेटली ने कहा कि रुपये को अपना स्तर तलाशना होगा। बाजार में हस्तक्षेप से लंबे समय तक अर्थव्यवस्था को मदद नहीं मिल सकेगी।
  
उल्लेखनीय है कि हाल में डालर के मुकाबले रूपया तेजी से गिरा है और यह 66 रुपये प्रति डालर से नीचे चल रहा है।

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