फोटो गैलरी

Hindi Newsललित बाबू की हत्या हुई तो अटक गया डबल लाइन का काम

ललित बाबू की हत्या हुई तो अटक गया डबल लाइन का काम

भारतीय राजनीति के कद्दावर कांग्रेसी नेता ललित नारायण मिश्र जब स्व. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में रेल मंत्री बनाये गए थे तो भागलपुर सहित पूरे बिहार में खुशियों की लहर थी। ललित बाबू को भागलपुर...

ललित बाबू की हत्या हुई तो अटक गया डबल लाइन का काम
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 08 Dec 2014 06:40 PM
ऐप पर पढ़ें

भारतीय राजनीति के कद्दावर कांग्रेसी नेता ललित नारायण मिश्र जब स्व. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में रेल मंत्री बनाये गए थे तो भागलपुर सहित पूरे बिहार में खुशियों की लहर थी। ललित बाबू को भागलपुर और यहां के कांग्रस नेताओं से गहरा लगाव रहा था। लिहाजा रेलवे के मामले में पिछड़ेपन का दंश झेल रहे लोगों को लगा कि विकास की रेल अब यहां भी दौड़ेगी।
महज डेढ़-पौने दो साल में उन्होंने बिहार के लिए कई काम भी किए। सहरसा में रेल परिचालन उन्हीं की देन मानी जाती है। विकास की इसी कड़ी में 2 जनवरी 1975 को वह मनहूस दिन आया जब समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर डबल गेज रेल लाइन के उद्घाटन सभा में बम विस्फोट में उनकी हत्या कर दी गई। ललित बाबू की मौत के साथ ही बिहार फिर रेल सुविधाओं के मामले में हासिये पर चला गया।

पुराने कांग्रेसी नेता ग्रीस प्रसाद सिंह कहते हैं कि उस वक्त भागलपुर में भी सिंगल गेज लाइन थी। साहिबगंज-किउल लाइन भी सिंगल ही थी। वह बताते हैं कि रेल मंत्री बनने के बाद भागलपुर के कांग्रेस नेताओं ने उसी वक्त उनसे दोहरीकरण की मांग की थी और उन्होंने यह काम कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन उनकी हत्या के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया और आज तक पूरा नहीं हो पाया है।

श्री ग्रीस बताते हैं कि मंत्री बनने से पहले ललित बाबू कई बार भागलपुर आते थे और कांग्रेस भवन में रुकते थे। यहां आने पर खासतौर से वह खादी भंडार से सिल्क कपड़ा खरीदकर ले जाते थे। घटना को याद करते हुए वह बताते हैं कि उस दिन वह उनके संबंधी कुमैठा (सुल्तानगंज) निवासी कमलेश्वरी झा के साथ बैठे थे और रेडियो पर यह खबर मिली।

जिलाध्यक्ष कांग्रेस अध्यक्ष तालिब अंसारी बताते हैं कि जब ललित बाबू मंत्री बने थे वह वार्ड कमिश्नर थे। उनके छोटे भाई जगन्नाथ मिश्र यहीं टीएनबी कालेज में पढ़ते थे जो उनसे चार साल सीनियर थे। हत्या की खबर सुनकर जिला कांग्रेस भवन में उस दिन सन्नाटा पसर गया था। दूसरे दिन शोक सभा हुई थी और स्थानीय नेता फूट फूटकर रो रहे थे।

ललित बाबू से अत्मीयता होने की बड़ी वजह यह भी थी कि उनके छोटे भाई भागलपुर में रहकर पढ़ाई करते थे। कुछ अन्य कांग्रेसी नेता बताते हैं कि ललित बाबू की हत्या के बाद कई स्थानीय नेताओं ने शोक में सिर भी मुंडवाया था। बाद में उनकी याद में ही कचहरी परिसर में ललित भवन का निर्माण कराया गया था।

घटना के दूसरे दिन भारी मन से काम किया था रेलकर्मियों ने
पुराने रेलकर्मी बताते हैं कि पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या के दूसरे दिन देश भर के रेल कार्यालयों ताला लटक गया था। हालांकि रेल सेवा कहीं बाधित नहीं हुई थी लेकिन बहुत कम समय में बेहद लोकप्रिय रेल मंत्री हुए ललित बाबू के शोक में छोटे-छोटे स्टेशनों पर भी शोकसभाएं हुई थीं। पूर्व स्टेशन मास्टर एके सहाय उस वक्त पंजाब के फिरोजपुर में कार्यरत थे। वहां भी शोकसभा में शामिल हुए थे। पूर्व सीआईटी मदन लाल बताते हैं कि उस वक्त वह अभयपुर में स्टेशन मास्टर थे। कहते हैं कि ललित बाबू ने बिहार में रेल के लिए योजनाओं पर त्वरित काम कराया था। बिहार की किसी योजना को वह लंबित नहीं रखते थे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें