...और चाहकर भी नहीं जा पाते हिन्दुस्तान में अपने ‘पिंड’
भारत-पाकिस्तान की सरहद पर एक बार फिर तनाव है, इस माहौल में भारत में हो रहे वर्ल्ड कबड्डी लीग में शिरकत करने एक टीम पाकिस्तान से भी आई है, नाम है लाहौर लायन्स। खिलाड़ियों को अक्सर ऐसे माहौल में...
भारत-पाकिस्तान की सरहद पर एक बार फिर तनाव है, इस माहौल में भारत में हो रहे वर्ल्ड कबड्डी लीग में शिरकत करने एक टीम पाकिस्तान से भी आई है, नाम है लाहौर लायन्स। खिलाड़ियों को अक्सर ऐसे माहौल में राजनीतिक झंझावत का सामना करना पड़ता है और उन पर इसकी सीधी मार पड़ती है। हालांकि उनके लिए कोई सीमा नहीं होती, वह आते हैं और खेलते हैं।
लाहौर लायन्स ने रविवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पंजाब ठंडर को मात दी। मैच के बाद पाकिस्तान के ननकाना साहिब में रहने वाले टीम के कप्तान बाबर वसीम गुज्जर ने ‘हिन्दुस्तान’ से कई बिन्दुओं पर ख़ास बातचीत की।
भारत में आकर कबड्डी खेलने को किस तरह देख रहे हैं?
मैं हिन्दुस्तान की जनता का शुक्रिया करना चाहूंगा कि उन्होंने हमें उतना ही सपोर्ट किया जितना वह पंजाब को कर रहे थे। इससे पहले मैं 2006, 2010 और 2013 में पंजाब में होने वाले कबड्डी विश्व कप में आ चुका हूं। दिल्ली पहली दफा आया हूं। कई खिलाड़ी पहली बार आये हैं।
बाबर, आपकी कबड्डी खेलने की शुरुआत कैसे हुई?
मैं पिछले 12 साल से कबड्डी खेल रहा हूं। पाकिस्तान में मैं बिजली विभाग में काम कर रहा हूं। कबड्डी में मेरे उस्ताद टीम के कोच इमरान अली बट हैं, उन्हीं को देखकर खेलना शुरू किया।
कबड्डी के अलावा कौन से खेल पसंद है?
कबड्डी के अलावा फुटबॉल पसंद है।
विश्व कप फुटबॉल देखा था, किसे सपोर्ट किया था?
चाहते थे कि जर्मनी जीते और वही जीती।
बॉलीवुड फिल्म देखते हैं, कौन पसंद हैं?
(बिना रुके बोलते हैं)...संजय दत्त। उनकी कोई भी फिल्म हो।
और हीरोइन?
(मुस्कराते हुये)...कोई नहीं।
क्रिकेट में दिलचस्पी है?
क्रिकेट में खास दिलचस्पी नहीं है। लेकिन जब भारत-पाकिस्तान का सेमीफाइनल या फाइनल मैच होता है तो देख लेता हूं। पाकिस्तान में शाहिद आफरीदी और भारत में सचिन तेंदुलकर पसंद हैं।
इस बार सरहद पर एक बार फिर तनाव है, खिलाड़ियों के जेहन में क्या चल रहा है?
देखिए, कबड्डी खेलने के लिए हम कई मुल्कों में जाते हैं। लेकिन जो प्यार हिन्दुस्तान में मिलता है। वह कहीं और नहीं मिलता है। क्लब लेवल पर बाहर जाकर हम इंडिया के खिलाड़ियों के साथ भी खेलते हैं। इनके साथ भाइयों जैसा प्यार है। ये कोई फॉर्मलिटी नहीं है, हकीकत में ऐसा है। सही मायनों में खिलाड़ियों की कोई रंजिश नहीं होती। हमें तो यहां भी घर जैसा ही लग रहा है। जैसे गांव उधर हैं, वैसे ही इधर हैं।
कभी मन करता है भारत- पाकिस्तान एक हो जायें?
जी क्यों नहीं, हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि हमारा शहर हिन्दुस्तान में है। हमारे बड़े जहां रहे हैं, उन्हें वो जगह दिखाने का मन करता है। भारत में हमारा पुराना पिंड (गांव) लुधियाना के पास बुर्ज हरि सिंह है। पिंड जाने का मन करता है, लेकिन चाहकर भी नहीं जा पाते हैं। कई बार सरकार से एनओसी नहीं मिल पाती है।
‘फाइनल कहीं हो, फर्क नहीं पड़ता’
नई दिल्ली।
पंजाब थंडर और लाहौर लायन्स के मैच में मैन ऑफ दै मैच रहे अकमल शहजाद डोगार ने कहा कि वर्ल्ड कबड्डी लीग का फाइनल लाहौर में हो या भारत में...उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि भारत में भी उन्हें उतना ही सपोर्ट मिल रहा है, जितना पाकिस्तान में मिलता है। डोगार ने बताया कि उन्हें क्रिकेट बेहद पसंद है। शोएब अख्तर और सचिन तेंदुलकर के वह मुरीद हैं। उन्होंने बताया पंजाब कई बार घूम चुके हैं। इस बार दिल भरकर दिल्ली देखने का मन है। इसके अलावा उनकी तमन्ना है कि वह एक बार पंजाब में तरनतारण जाएं..क्योंकि उनके बुजुर्ग वहीं से ताल्लुक रखते थे।