एचइसी के आवेदन पर पुनर्विचार का निर्देश
झारखंड हाइकोर्ट ने केंद्रीय भविष्य निधि बोर्ड को एचइसी के आवेदन पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया है। एचइसी की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस आरके मेरठिया की कोर्ट ने यह निर्देश दिया।ड्ढr...
झारखंड हाइकोर्ट ने केंद्रीय भविष्य निधि बोर्ड को एचइसी के आवेदन पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया है। एचइसी की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस आरके मेरठिया की कोर्ट ने यह निर्देश दिया।ड्ढr केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने एचइसी से पीएफ के डैमेज चार्ज के रूप में करीब रोड़ रुपये जमा करने को कहा था। एचइसी ने पहले पीएफ की राशि जमा नहीं की थी। इसके बाद उसने 13 करोड़ से अधिक राशि जमा की। इसके बाद पीएफ आयुक्त ने डैमेज राशि के रूप में रोड़ जमा करने को कहा। एचइसी ने आयुक्त के पास आवेदन देते हुए यह राशि माफ करने का आग्रह किया, लेकिन आवेदन नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद एचइसी ने भविष्य निधि बोर्ड के पास अपील की। बोर्ड ने कहा कि चूंकि एचइसी बीआइएफआर के माध्यम से नहीं आया है। इस कारण अपील पर सुनवाई नहीं की जा सकती। हाइकोर्ट में एचइसी की ओर से बताया गया कि बीआइएफआर की सिफारिश के बाद ही मामला हाइकोर्ट आया है। इस कारण बोर्ड का यह कहना कि बीआइएफआर के माध्यम से आने पर ही सुनवाई होगी, सही नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने बोर्ड को एचइसी के आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी।ड्ढr हरमू पेट्रोल पंप मामले पर आदेश सुरक्षितड्ढr हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर हो रहा निर्माणड्ढr रांची। हरमू में हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर बन रहे पेट्रोल पंप के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस संबंध में मधुका सिंह ने जनहित याचिका दायर की है।ड्ढr याचिका में कहा गया है कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा नियमों का उल्लंघन कर पेट्रोल पंप के लिए जमीन आवंटित की गयी है, जबकि बोर्ड के नियमों के अनुसार व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन आवंटित नहीं की जा सकती। बोर्ड की जमीन पर सिर्फ आवासों का ही निर्माण किया जा सकता है। जिस जमीन पर पेट्रोल पंप का निर्माण किया जा रहा है, वहां ड्रेनेज सिस्टम भी है। पेट्रोल पंप बनने से ड्रेनेज सिस्टम पर भी असर पड़ेगा। इससे इस क्षेत्र की जनता को काफी परशानी होगी। हाउसिंग बोर्ड की ओर से शपथपत्र दाखिल कर बताया गया कि जमीन के पास ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। पब्लिक उपयोग के लिए जमीन आवंटित की जा सकती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया।