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पीछा नहीं छोड़ रहा बूथ मैनेजमेंट का भूत

वोटिंग के बाद भी कुछ उम्मीदवारों का पीछा नहीं छोड़ रहा है बूथ मैनेजमेंट का भूत। दरअसल इस भूत को चाहे-अनचाहे इन उम्मीदवारों ने ही आमंत्रित किया था। मामला तीसर चरण की वोटिंग से जुड़ा है। कुछ उम्मीदवार...

 पीछा नहीं छोड़ रहा बूथ मैनेजमेंट का भूत
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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वोटिंग के बाद भी कुछ उम्मीदवारों का पीछा नहीं छोड़ रहा है बूथ मैनेजमेंट का भूत। दरअसल इस भूत को चाहे-अनचाहे इन उम्मीदवारों ने ही आमंत्रित किया था। मामला तीसर चरण की वोटिंग से जुड़ा है। कुछ उम्मीदवार अपने पक्ष में बूथ मैनेजमेंट के लिए सीआरपीएफ के एक कांस्टेबुल को उपकृत करने में जुटे थे। कांस्टेबल ने उम्मीदवारों से संपर्क कर बूथ पर सीआरपीएफ को मैनेज करने का भरोसा दिलाया था। फिर क्या था मधेपुरा और सुपौल के कई उम्मीदवारों और जवान के बीच डीलिंग शुरू हो गयी। खुफिया सूचनाओं के आधार पर पुलिस मुख्यालय को इसकी खबर लग चुकी थी और स्पेशल टास्क फोर्स की टीम ‘बूथ मैनेजमेंट कांड’ के उद्भेदन में जुट गयी।ड्ढr ड्ढr तीसर चरण के मतदान के ठीक पहले वाली रात सहरसा में सीआरपीएफ के जवान के.के.ठाकुर को सुपौल के लोजपा प्रत्याशी के दो एजेंटों से पचास हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया। यह बूथ मैनेजमेंट के रूप में ली गयी पहली किस्त थी और इसे ‘प्रसाद’ का कोडवर्ड दिया गया था। खासबात यह है कि गिरफ्तार जवान ने पूछताछ में मधेपुरा के एक निर्दलीय उम्मीदवार सहित कई अन्य उम्मीदवारों से बातचीत और डील का खुलासा किया। सहरसा में सीआरपीएफ जवान के ठीकाने पर छापेमारी के दौरान पुलिस को वह रकम भी मिल गयी जो निर्दलीय उम्मीदवार से लिए गए थे। पुलिस अब इस मामले की तह तक जाने में जुटी है। गिरफ्तार जवान और उम्मीदवार के दोनों एजेंटों को रिमांड पर लेने की तैयारी है। पुलिस मुख्यालय के अनुसार इस मामले में उम्मीदवारों की भूमिका की जांच होगी और जरूरत पड़ने पर उनसे पूछताछ होगी। गिरफ्तार जवान ने खुद को सीआरपीएफ की 133 बटालियन(रांची) के कमांडेंट का बॉडीगार्ड बताया है। पुलिस मुख्यालय के अनुसार जवान के बयान पर सीआरपीएफ के संबंधित अधिकारियों की भूमिका भी परखी जाएगी। पुलिस को इस मामले में मोबाइल फोन पर बातचीत सहित कई अन्य अहम सुराग हाथ लगे हैं जो आने वाले दिनों में कई उम्मीदवारों के लिए परशानी का सबब बन सकते हैं।

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