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चाीतने की नहींविरोधियों को धूल चटाने की

अति पिछड़े एटा संसदीय सीट पर कोई प्रत्याशी अपने जीतने की लड़ाई नहीं लड़ रहा। सब के सब दूसर को हराने के लिए संघर्षरत हैं। कभी भाजपा के कद्दावर नेता रहे और अब सपा समर्थित निर्दल प्रत्याशी कल्याण सिंह...

 चाीतने की नहींविरोधियों को धूल चटाने की
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अति पिछड़े एटा संसदीय सीट पर कोई प्रत्याशी अपने जीतने की लड़ाई नहीं लड़ रहा। सब के सब दूसर को हराने के लिए संघर्षरत हैं। कभी भाजपा के कद्दावर नेता रहे और अब सपा समर्थित निर्दल प्रत्याशी कल्याण सिंह हर हाल में भाजपा को धूल चटा देना चाहते हैं तो चुनावी घोषणा के बाद सपा से बसपा के पाले में गए स्थानीय सांसद देवेन्द्र यादव किसी भी सूरत में मुलायम सिंह यादव को नीचा दिखाने के लिए आमादा है। इस सूरत में वे कल्याण को सीधा नुकसान पहुँचाना चाहते हैं। टिकट नहीं मिलने से खफा बसपा के पहले प्रत्याशी डॉ. श्याम सिंह शाक्य भाजपा की गोद में बैठकर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनकी पुराोर कोशिश अपना टिकट कटवाने वाले देवेन्द्र यादव को हराने की है। और भाजपा के पदाधिकारी कल्याण सिंह को पार्टी छोड़ने की सजा देना चाहते हैं। कुछ ऐसी ही सोच कांग्रेस प्रत्याशी और भाजपा के टिकट पर कई बार सांसद रहे महादीपक सिंह शाक्य की है, वे भाजपा प्रत्याशी को धूल चटाना चाहते हैं।ड्ढr मतदान को चंद रो बचने पर एटा संसदीय क्षेत्र की तस्वीर ऐसी ही है। वैसे यहाँ का मतदाता भी अलग तरह का है। इनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो बंदूक का लाइसेंस बनवाने, थाने पर सिफारिश करने, हैण्डपम्प मनचाही जगह पर गड़वाने वाले को वोट देना पसंद करता है। विकास की बात कोई नेता नहीं कर रहा। पूर जिले का अर्थशास्त्र खेती, दूध के व्यवसाय पर टिका हुआ है। एक बड़ा वर्ग परोक्ष-अपरोक्ष रूप से अपराध में लिप्त रहकर अपनी आाजीविका चला रहा है। गंगा, काली, ईसन और बूढ़ी गंगा जसी नदियों के बावजूद किसान सिंचाई के साधनों से महरूम है। सरकारी दस्तावेजों पर गौर करं तो 13 फीसदी कृषि की सिंचाई नहरों से हो पाती है। सड़कें कागज में तो लगभग दो हाार किलोमीटर हैं लेकिन एटा शहर से गुजरने वाली जीटी रोड का हाल बुरा है। ग्रामीण इलाकों की सड़कों के बार में तो पूछिए मत। बढ़िया से बढ़िया तेज रफ्तार से चलने वाला वाहन यहाँ 20-25 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से ज्यादा नहीं चल सकता। पुराने एटा जिले के एक हाार से ज्यादा गाँवों का विद्युतीकरण हो चुका है लेकिन 60 फीसदी गाँवों में बिजली का अता-पता नहीं है। कहीं खंभे हैं तो तार नहीं लग पाए है। वह भी हैं तो बिजली नहीं आती। सड़क पर खड़े युवा यहाँ सरशाम लूटपाट कर लेते हैं। कई बार ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट भी यहाँ दर्ज नहीं होती या कराई जाती। बंदूक यहाँ के मुख्य फैशन में शामिल है। इसी जिले को तोड़कर कांशीरामनगर नया जिला बना है। यह जिला पूरी तरह एटा संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।ड्ढr सारी चुनावी गणित जातिगत वोटों की गणना पर ही चल रही। इस हिसाब से वोट पड़े तो कल्याण सिंह को चुनाव जीत जाना चाहिए। क्योंकि यादव और लोध मिलाकर ही लगभग चार लाख वोटर हैं। कुछ वोट मुसलमानों का भी मुलायम के नाते कल्याण को मिलने की बात जानकार करते हैं। लेकिन दो बार से सपा के टिकट पर एमपी रहे देवेन्द्र की गणित भी कमजोर नहीं दिख रही। दबंग और जोड़तोड़ में माहिर बसपा प्रत्याशी देवेन्द्र यादव पौने दो दलित वोट, डेढ़ लाख मुस्लिम और सजातीय मतदाताओं के सहार अपनी विजय सुनिश्चित देख रहे हैं। इसी तरह भाजपा प्रत्याशी सवा लाख शाक्य, एक लाख ब्राह्मण, सवा लाख वैश्य मतदाताओं के सहार खुद को मजबूत पा रहे हैं। कांग्रेस के महादीपक सिंह शाक्य को अपने तजुर्बे पर भरोसा है। उनका मानना है कि कांग्रेस को सभी वर्गो का वोट मिलेगा और थोड़ा-थोड़ा वोट लेकर ही हम जीत जाएँगे। नेलोपा प्रत्याशी मुनव्वर हसन मुसलमानों के बड़े धड़े का वोट काटने का मंसूबा रखते हैं। सवा लाख के आसपास क्षत्रिय वोटों पर सभी अपना अधिकार जता रहे हैं। लेकिन इस गणना के इतर जोड़-तोड़ में देवेन्द्र यादव कहीं आगे दिख रहे हैं तो भाजपा के राजनाथ सिंह, बसपा से मायावती और कल्याण सिंह के लिए मुलायम सिंह भी 2 मई को आने वाले हैं। इस जिले के भ्रमण के दौरान यह भी पता चला कि यादव अभी भी के देवेन्द्र को सबक सिखाने की बात करते हैं। मुलायम सिंह यादव ने जलेसर में आयोजित जनसभा में बिना नाम लिए कहा था कि सपा के भितरघातियों को सबक सिखाना होगा।ड्ढr इलाके के रवि यादव इसका निहितार्थ निकालते हुए कहते हैं-देवेन्द्र ने नेताजी को दगा दिया है। इसलिए इलाके की जनता उन्हें सबक सिखाएगी। मानपुर गाँव के पास सड़क किनार मिले किसान देवेन्द्र कहते हैं-यहाँ कल्याण और देवेन्द्र में मुकाबला है। बाकी तो ऐसे ही लड़ रहे हैं। एटा में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी हाईकमान के फैसले के सामने भौचक हैं। बसपा कार्यकर्ताओं ने जिस सपा सांसद देवेन्द्र यादव के खिलाफ संघर्ष किया, अब उन्हीं के प्रचार के लिए निकलना पड़ रहा। ऐसी ही स्थिति भाजपा कार्यकर्ताओं की है। नीले झण्डे के नीचे संघर्षशील डॉ. शाक्य अब भगवा लिए घूम रहे।ड्ढr सपा कार्यकर्ता भी ऐसा ही महसूस कर रहे। अब उसे कल्याण सिंह जसे कद्दावर नेता का समर्थन करने की जिम्मेदारी है।ं

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