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पैसों की बंदरबाट-अबूझ पहेली में उलझे कांग्रेसी

. . और किसने कितनी चपत लगायी, यह जोड़ने में लगे हैं पटना के कांग्रसी नेता और कार्यकर्ता। किसी ने 84 बूथ का ठेका ले लाखों उड़ाये तो कोई पूर विधानसभा क्षेत्र का ही ठेका ले घर से ही नहीं निकला। कहने को...

 पैसों की बंदरबाट-अबूझ पहेली में उलझे कांग्रेसी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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. . और किसने कितनी चपत लगायी, यह जोड़ने में लगे हैं पटना के कांग्रसी नेता और कार्यकर्ता। किसी ने 84 बूथ का ठेका ले लाखों उड़ाये तो कोई पूर विधानसभा क्षेत्र का ही ठेका ले घर से ही नहीं निकला। कहने को पटना साहिब का चुनाव प्रभारी पर बिना एसी गाड़ी के शरीर खिसकने को तैयार नहीं। स्टेट लेवल के स्वयंभू नेता पर अपने प्रत्याशी के समर्थन में आगे आने के लिए चुनाव का अंतिम दो दिन। कई ऐसे जिन्होंने प्रत्याशी को आसमान से टपकने का आरोप लगा उनके समर्थन में घुमने की बजाये घरों में बैठ पार्टी की स्थिति परखने में भलाई समझी। कार्यकर्ताओं की मानें तो पार्टी की तरफ से पटना साहिब के 1624 बूथों पर अनौपचारिक तौर पर प्रति बूथ मैनेजमेन्ट के लिए 1000 रुपए और पर्ची बांटने के लिए 300 रुपए तय किये गये।ड्ढr ड्ढr इस हिसाब से पूर संसदीय क्षेत्र में बूथ मैनेजमेन्ट पर 16 लाख 24 हजार रुपए और पर्ची बांटने पर 4 लाख 87 हजार। पर मतदान के दिन दो तिहाई बूथों पर न मैनेजमेन्ट दिखा और न मतदाताओं को पर्ची मिली। तो आखिर ये पैसे कहां गये। विधानसभा क्षेत्र के अनुसार चर्चा करं तो दीघा क्षेत्र में तीन तथाकथित कांग्रसियों ने क्रमश: 84, 40 और 27 बूथों का ठेका लिया था। बांकीपुर में एक दबंग नेता के शार्गिद ने 100 बूथों का ठेका लिया तो कुम्हरार में युवा और बुजुर्ग दो कांग्रसियों की जोड़ी ने मिल-बांट पार्टी कर पार्टी को बढ़िया गच्चा दिया। फतुहा के प्रभारी की तो इतनी फजीहत हुई कि पूरी पार्टी में सिर्फ इसी पर चर्चा है। वहीं पटना साहिब एव बख्तियारपुर के बूथों के मैनेजमेन्ट का हिसाब देने को अब तक कोई आगे नहीं आया है। बकौल एक कार्यकर्ता- वो तो कहिये कि दूसरे की पोल खोलने वाले प्रत्याशी शेखर सुमन के घर का संसाधन नहीं था वरना क्या होता यह बताना मुश्किल है। इमोशनल शेखर अपने अगले किरदार (टीवी ) में इस पूर प्रकरण को जनता तक किस तरीके पहुंचायेंगे, यह देखने की चीज है।

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